तो इतिहास के पन्नों में सिमट कर रह जाएगा, लार्ड कर्जन ट्रैक
*ग्वालदम-तपोवन जनरल स्टाफ सड़क को 2031 तक पूरा करने का हैं लक्ष्य*
–हरेंद्र बिष्ट की रिपोर्ट–
थराली। एक सदी से अधिक समय से लार्ड कर्जन टैक के नाम से मशहूर रही ग्वालदम से तपोवन ट्रैक को अब भविष्य में जनरल स्टाफ सड़क के नाम से जाना जाएगा यह सड़क धारचूला से ज्योर्तिमठ (जोशीमठ) में स्थित भारत-तिब्बत सीमा को जोड़ने वाली सबसे अधिक नजदीकी सड़क होगी।
विगत माह भारत सरकार के रक्षा मंत्रालय ने ग्वालदम से तपोवन तक 896.77 लाख रूपयों की लागत से 99.20 किलोमीटर की एक विशेष सैन्य सड़क के निर्माण की स्वीकृति प्रदान की हैं। इस सड़क के निर्माण का जिम्मा सीमा सड़क संगठन को सौंपते हुए सामरिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण होने वाली इस सड़क को 2031 तक पूरी तरह निर्मित करने का लक्ष्य दिया गया हैं। दरअसल जिस रूट से होते हुए इस सड़क का निर्माण किया जा रहा हैं, वह पूरे विश्व में लार्ड कर्जन ट्रैक के रूप में मशहूर रहा है।
ऐतिहासिक विवरण के अनुसार 1899 में जार्ज नथनिएल कर्जन ने ब्रिटिश सरकार की ओर से भारत में वायसराय लार्ड का कार्यभार ग्रहण किया और वे 18 नवंबर 1905 तक भारत में लार्ड के पद पर कार्यरत रहे। सहासिक घुमक्कड़ी के शौकीन लार्ड कर्जन 1905 में कुमाऊं के रस्ते ग्वालदम पहुंचे और उनका लक्ष्य था कि वे यहां से तिब्बत तक जाएं। इसके तहत लार्ड कर्जन ने ग्वालदम से पैदल यात्रा शुरू की और चिड़िगा, नंदकेशरी, देवाल,कैल, हाट कल्याणी,फल्दियां गांव, ल्वाणी, मंदोली, कुलिंग, वांण, कनौल,सुतोल पाणा,इराणी,झिंझी,खारतोली से 3200 मीटर की ऊंचाई पर स्थित क्वारीपास आदि स्थानों से होते हुए तपोवन पहुंचे करीब 150 किलोमीटर की यात्रा करने के दौरान तपोवन पहुंचने पर उनका स्वास्थ्य खराब हो गया। जिसके बाद लार्ड का काफिला तिब्बत जाने के बजाय वापस ग्वालदम की ओर लौट पड़ा। उसके बाद इस पैदल मार्ग को लार्ड कर्जन ट्रैक के नाम से जाना जाने लगा।
आजादी के बाद से आजतक भी इस ट्रैक को लार्ड कर्जन के नाम से जाना जाता है। जब इस क्षेत्र में यातायात की सुविधा नही थी तों प्रकृति का दिदार करने वाले सहासिक पर्यटक ग्वालदम से तपोवन तक ट्रैक करते रहते थे। वर्तमान में लार्ड कर्जन ट्रैक के वांण गांव तक मोटर सड़क का निर्माण हो जाने के बाद प्रति वर्ष सैकड़ों ट्रैकर्स वांण से तपोवन अथवा तपोवन से वांण ट्रैक पर ट्रेकिंग करते रहते हैं। आजादी के 77 वर्षों के बाद ही सही भारत सरकार के द्वारा लार्ड कर्जन के द्वारा 123 वर्ष पहले अर्थात 1905 में तिब्बत के लिए जाने वाले सबसे नजदीकी मार्ग की महत्ता को समझते हुए इसी ट्रैक के आसपास से जनरल स्टाफ सड़क के नाम से मोटर सड़क के निर्माण की स्वीकृति प्रदान कर दी हैं।इस सड़क के निर्माण के बाद आने वाले भविष्य में लार्ड कर्जन ट्रैक अब केवल इतिहास के पन्नों में रह जाएगा।
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*सामरिक के अलावा पर्यटन की दृष्टि से भी होगी सड़क महत्वपूर्ण*
ग्वालदम से तपोवन तक बनने वाले जनरल स्टाफ सड़क की शुरुआत ग्वालदम जो कि उत्तराखंड के हिल स्टेशनों में शुमार से लेकर तपोवन तक डेढ़ दर्जन से अधिक ऐसे पर्यटन स्थल हैं। जोकि अपने आप में प्रख्यात है।कुमाऊं क्षेत्र के अलावा पश्चिमी उत्तर प्रदेश, बिहार, नेपाल के अधिकांश बद्रीनाथ जाने वाले तीर्थयात्री इस रूट से ही धाम आने का प्रयास करेंगे। ग्वालदम के अलावा नंदकेशरी, देवाल, लोहाजंग, लाटू धाम वांणसुतोल, कनौल,पाणा इराणी, क्वारीपास जैसे ऊंचाई पर बसें एवं चमोली जिले के विख्यात धार्मिक एवं पर्यटक स्थल पड़ेंगे।
ग्वालदम-तपोवन सड़क अस्तित्व में आने के बाद इस सड़क के सामरिक दृष्टि के साथ ही पर्यटन की दृष्टि से भी लोकप्रिय सड़क बनना तय माना जा रहा है।