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किलोग्राम, केल्विन, मोल और एंपियर जैसी मापक इकाइयों की दुनिया को मिली नई परिभाषा

 

After decades of ground-breaking laboratory works, the world’s scientific and technical community, in a landmark and historic decision taken in the recent open session of the General Conference on Weights and Measures (CGPM) at BIPM on 16 November 2018, has unanimously adopted the resolution to redefine four of the seven base units, the kilogram (SI unit of weight), Kelvin (SI unit of temperature), mole (SI unit of amount of substance), and ampere (SI unit of current). This decision has now enabled scientists and researchers to base the SI units entirely on fundamental properties of nature, which will ensure their ongoing refinement and improvement for years to come. The fundamental constants are invariants of time and space and successfully replaced the artifact-based units, and aptly opened up a new era for the quantum world by linking all seven base units to fundamental constants/quantum standards.

 

By- Usha Rawat

दशकों तक प्रयोशालाओं में किए गए गहन वैज्ञानिक प्रयोगों के बाद आाखिर दुनिया के वैज्ञानिकों ने 16 नवंबर 2018 को बीआईपीएम में माप-तौल  पर आयोजित सम्‍मेलन में माप तौल की सात अंतरराष्‍ट्रीय इकाइयों में से चार  –किलोग्राम(भार मापक इकाई) केल्विन (ताप मापक इकाई), मोल (पदार्थ मापक इकाई) और एंपियर (विद्युत मापक इकाई) को विश्‍व स्‍तर पर फिर से परिभाषित करने का ऐतिहासिक फैसला लिया था।

यह परिभाषा पूरी दुनिया में  विश्व माप विज्ञान दिवस के दिन से लागू हुयी  है।  जो कि  हर साल 20 मई को मनाया जाता है। वर्ष 1875 को 20 मई को के दिन दुनिया के 17 देशों के प्रतिनिधियों ने माप तौल की एक सर्वमान्‍य अंतरराष्‍ट्रीय इकाई प्रणाली तय करने के लिए मीटर कन्‍वेन्‍शन पर हस्‍ताक्षर किए थे। इस सम्‍मेलन ने वैश्विक सहयोग के माध्‍यम से नाप तौल विज्ञान और उसकी औद्योगिक ,वाणिज्यिक और सामाजिक उपयोगिता की रूपरेखा तय करने का मार्ग प्रशस्‍त किया था।

हालांकि  लागू नई परिभाषा का आम लोग तो कुछ खास अनुभव नहीं कर पायेंगे या यूं कहें कि आम जन-जीवन में इसके बदलाव में कुछ खास असर नहीं देखा जाएगा पर इसके बदलाव के सूक्ष्मतम स्तर पर परिणाम व्यापक होंगे। एसआई की परिभाषा में परिवर्तन के परिणामस्वरूप अंतर्राष्ट्रीय व्यापार, उच्च तकनीक निर्माण, मानव स्वास्थ्य और सुरक्षा, पर्यावरण की सुरक्षा, वैश्विक जलवायु अध्ययन और बुनियादी विज्ञान के क्षेत्रों में सुलभता आएगी। इससे उच्च स्तर पर प्रकृति के वर्तमान सैद्धांतिक वर्णन के आधार पर इकाइयों को दीर्घकालिक, आंतरिक रूप से आत्मनिर्भर और व्यावहारिक रूप से प्राप्य होने की उम्मीद है।

वैज्ञानिक एंव औद्योगिक अनुसंधान परिषद् -सीएसआईआर के महानिदेशक श्री शेखर सी. मांडे ने नई इकाइयों की परिभाषा तय करने के प्रयासों में शामिल होने के लिए राष्‍ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला को बधाई दी  है और कहा कि  क्‍वांटम कंप्‍यूटिंग, आर्टिफीशियल इंटेलीजेंस, इंडस्‍ट्री 4.0 और अंतरिक्ष में संचार सेवा जैसी भविष्‍य की कुछ वैश्विक चुनौतियां हैं। ऐसे में भारत जैसी उभरती अर्थव्‍यवस्‍था के लिए इन चुनौतियों से निबटने की तैयारी करना बेहद जरूरी हो गया है।

अंतरराष्‍ट्रीय माप विज्ञान समुदाय और विशेष रूप से देश का राष्ट्रीय मापन संस्थान (एनएमआई)  इस वर्ष विश्‍व माप विज्ञान दिवस को एक नई शुरुआत के रूप में मनाता रहा है। सीएसआईआर और एनपीएल अंतरराष्‍ट्रीय माप तौल इकाइयों को नए सिरे से परिभाषित किए जाने को व्‍याख्‍यानों और कई अन्‍य कार्यक्रम के जरिए से लोगों तक पहुंचाने का काम कर रहा है। नए सिरे से परिभाषित की गई इन इकाइयों के महत्‍व को स्‍वीकार करने और राष्‍ट्रीय स्‍तर पर इसे पहचाने दिलाने की जिम्‍मेदारी के तहत सीएसआईआर और एनपीएल ने नए सिरे से कई दस्‍तावेज तैयार किए हैं जिनमें माप विज्ञान की पहचान, राष्‍ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद्-एनसीईआरटी, माप विज्ञान में इंजीनियरिंग, भारतीय प्रौद्योगिकी संस्‍थान, आल इंडिया काउंसिल फॉर टेकनिकल एजुकेशन तथा राष्‍ट्रीय तकनीकी संस्‍थाअनों के पाठ्यक्रम में नयी परिभाषा को समाहित करने के लिए प्रस्‍तावित बदलाव के सुझाव से जुड़े दस्‍तावेज शामिल हैं।

सीएसआईआर और एनपीएल ने मिलकर ‘अंतरराष्‍ट्रीय माप इकाइयों की नयी परिभाषा और मापविज्ञान से जुड़ी एनपीएल की गतिविधियां’ शीर्षक से एक पुस्‍तक भी प्रकाशित की थी। इस पुस्‍तक में माप इकाइयों की परिभाषा में किए गए बदलावों और भारत की माप विज्ञान अवसंरचना को मजबूत बनाने में एनपीएल की भूमिका की भी विस्‍तृत जानकारी दी गई है।(Input-PIB)

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