विश्व स्वास्थ्य दिवस 2025: समावेशी स्वास्थ्य सेवा की ओर भारत की यात्रा
World Health Day, celebrated every year on April 7, is a global occasion when we reflect on health-related challenges and take concrete steps to improve them. Initiated by the World Health Organization (WHO) in 1950, this day brings together governments, institutions, and communities to collaborate on public health priorities. The theme for 2025 is “Healthy Start, Hopeful Future”, which focuses on maternal and newborn health. It calls on all countries to end preventable maternal deaths and to prioritize the long-term health of women. This theme is especially relevant in the Indian context, where poverty, geographic disparities, and social inequalities have long impacted public health. Yet, over the past decade, India has made remarkable progress through political commitment, digital innovation, community outreach, and healthcare reforms.
-जयसिंह रावत / उषा रावत —
हर साल 7 अप्रैल को मनाया जाने वाला विश्व स्वास्थ्य दिवस एक वैश्विक अवसर है, जब हम स्वास्थ्य से जुड़ी चुनौतियों पर चिंतन करते हैं और उन्हें बेहतर बनाने के लिए ठोस कदम उठाते हैं। 1950 में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा शुरू किया गया यह दिन सरकारों, संस्थानों और समुदायों को एकजुट करता है ताकि वे सार्वजनिक स्वास्थ्य की प्राथमिकताओं पर मिलकर काम कर सकें। 2025 में इसका विषय है – “स्वस्थ शुरुआत, आशाजनक भविष्य”, जो मातृ एवं नवजात स्वास्थ्य पर केंद्रित है और यह सभी देशों से रोकी जा सकने वाली मातृ मृत्यु को समाप्त करने और महिलाओं के दीर्घकालिक स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने का आह्वान करता है।
यह विषय भारतीय संदर्भ में अत्यंत प्रासंगिक है, जहाँ गरीबी, भौगोलिक असमानताओं और सामाजिक विषमताओं ने लंबे समय तक सार्वजनिक स्वास्थ्य को प्रभावित किया है। फिर भी पिछले एक दशक में भारत ने राजनीतिक प्रतिबद्धता, डिजिटल नवाचार, सामुदायिक पहुंच और स्वास्थ्य सुधारों के माध्यम से उल्लेखनीय प्रगति की है।
मातृ और शिशु स्वास्थ्य: एक परिवर्तनकारी यात्रा
भारत ने मातृ और शिशु मृत्यु दर को कम करने में महत्वपूर्ण उपलब्धियाँ हासिल की हैं। मातृ मृत्यु दर (MMR) 2014-16 के 130 प्रति 1 लाख जीवित जन्मों से घटकर 2018-20 में 97 हो गई – यह 33 अंकों की गिरावट है। पिछले 30 वर्षों में भारत में 83% की गिरावट दर्ज की गई है, जबकि वैश्विक औसत गिरावट मात्र 42% रही।
इसी तरह बाल स्वास्थ्य संकेतकों में भी सुधार हुआ है:
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शिशु मृत्यु दर (IMR): 2014 में 39 से घटकर 2020 में 28
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नवजात मृत्यु दर (NMR): 26 से घटकर 20
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5 वर्ष से कम आयु की मृत्यु दर (U5MR): 45 से घटकर 32
इन सुधारों के पीछे कई प्रभावशाली पहलें हैं:
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मातृ मृत्यु निगरानी और प्रतिक्रिया (MDSR)
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माँ और शिशु सुरक्षा कार्ड
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सुरक्षित मातृत्व पुस्तिका
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दूरदराज़ क्षेत्रों में जन्म प्रतीक्षा गृह (BWH)
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जनन और शिशु स्वास्थ्य पोर्टल (RCH)
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ग्राम स्वास्थ्य, स्वच्छता और पोषण दिवस (VHSND)
प्रमुख योजनाएँ और नवाचार
भारत के स्वास्थ्य सुधार की अगुवाई कर रहा है आयुष्मान भारत, जिसके दो प्रमुख स्तंभ हैं: आयुष्मान आरोग्य मंदिर (Health & Wellness Centres) और आयुष्मान भारत डिजिटल मिशन (ABDM)।
अप्रैल 2025 तक:
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1.76 लाख आरोग्य मंदिर कार्यरत हैं
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107.10 करोड़ हाइपरटेंशन और 94.56 करोड़ डायबिटीज जांचें की गईं
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5.06 करोड़ वेलनेस सत्र (योग, ध्यान आदि सहित) आयोजित
ABDM के तहत:
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76 करोड़ से अधिक स्वास्थ्य खाता (ABHA) बनाए गए
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52 करोड़+ स्वास्थ्य रिकॉर्ड जुड़े हुए
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5.95 लाख स्वास्थ्य पेशेवर पंजीकृत
ई-संजीवनी, जो कि दुनिया का सबसे बड़ा टेलीमेडिसिन नेटवर्क है, अब तक 36 करोड़ से अधिक परामर्श दे चुका है। इसमें 1.30 लाख से अधिक स्पोक्स और 17,000 हब कार्यरत हैं।
एनीमिया, कुपोषण और रोकथाम योग्य रोगों पर नियंत्रण
एनीमिया मुक्त भारत (AMB) अभियान के माध्यम से किशोरियों और गर्भवती महिलाओं में आयरन की कमी को जागरूकता, पोषण और अनुपूरक आहार द्वारा कम किया जा रहा है। वहीं U-WIN प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से टीकाकरण को ट्रैक किया जाता है:
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7.90 करोड़ पंजीकृत लाभार्थी
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1.32 करोड़ टीकाकरण सत्र
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29.22 करोड़ टीके लगाए गए
रोग नियंत्रण और उन्मूलन में भारत की उपलब्धियाँ:
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मलेरिया: 69% मामले और 68% मौतें घटीं (2017–2023)
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ट्रेकोमा: 2024 में समाप्त
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काला-अजार: अक्टूबर 2024 में समाप्ति लक्ष्य प्राप्त
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खसरा और रूबेला: कई जिलों में शून्य मामले
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टीबी: 2015 की तुलना में मामलों में 17.7% गिरावट; मृत्युदर 28 से घटकर 22 प्रति लाख
मानसिक स्वास्थ्य और गुणवत्ता सुधार
टेली-मनस प्लेटफ़ॉर्म अब 36 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में 53 केंद्रों के माध्यम से 20 लाख से अधिक कॉल्स हैंडल कर चुका है। साथ ही, 17,000+ सरकारी स्वास्थ्य संस्थान राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानकों (NQAS) के अंतर्गत प्रमाणित किए गए हैं।
गरीबी और असमानता: एक बड़ी चुनौती
इन तमाम उपलब्धियों के बावजूद गरीबी और स्वास्थ्य के बीच की गहरी कड़ी आज भी भारत की सबसे बड़ी चुनौती है। ग्रामीण क्षेत्रों में सुविधाओं की कमी, आदिवासी क्षेत्रों में विशेषज्ञों की अनुपलब्धता और उच्च निजी खर्च – ये सभी कारक समावेशी स्वास्थ्य के मार्ग में बाधा बने हुए हैं।
एक स्वस्थ और समावेशी भविष्य की ओर
विश्व स्वास्थ्य दिवस 2025 जश्न के साथ-साथ एक आह्वान भी है। मातृ-शिशु स्वास्थ्य, रोग नियंत्रण और डिजिटल नवाचारों में हुई प्रगति यह दर्शाती है कि जब राजनीतिक इच्छाशक्ति, तकनीकी दक्षता और जनसहभागिता एक साथ आते हैं, तो परिवर्तन संभव है।
“स्वस्थ शुरुआत, आशाजनक भविष्य” का लक्ष्य तभी साकार होगा जब हम नीति, समाज और व्यवस्था – तीनों स्तरों पर न्यायसंगत, समावेशी और सतत प्रयास जारी रखें। भारत की यह यात्रा जारी है – उम्मीद और समता की दिशा में, जहाँ स्वास्थ्य केवल चिकित्सा नहीं, बल्कि अधिकार और गरिमा का प्रतीक बने।