शिक्षा/साहित्य

‘कविता में नव गुंजन’ कार्यक्रम में युवा रचनाकारों का पाठ

देहरादून, 15 जुलाई। दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र की ओर से विगत सायं 5:00 बजे संस्थान के सभागार में नवोदित युवा रचनाकारों के लिए कविता पाठ के कार्यक्रम का एक आयोजन किया गया. ‘कविता में नव गुंजन’ कार्यक्रम के तहत युवा रचनाकार अक्षत शर्मा, गौरव पंत, मोहिनी जुगराण और सुधान कैंतुरा ने एक से बढ़कर एक नज्म, गज़ल व गीतों की प्रस्तुति डी. उपस्थित श्रोताओं द्वारा उनके पाठ की मुक्त कंठ से सराहना की गयी. इस पाठ में वे कविगण भी शामिल रहे जिन्होंने इन युवाओं को प्रेरित किया. कार्यक्रम का संचालन साजिद हुसैन ने किया.

इस अवसर पर युवा रचनाकारों ने आम जनजीवन और सामाजिक सन्दर्भ से जुडी रचनाएं श्रोताओं के समक्ष रखी.
मोहिनी जुगरान ने बहुत सुंदर ढंग से कहा ” यादें ज़हन में रहें बस फोन में नहीं, छोडो हम साथ में तस्वीरें नहीं लेते ” वहीं सुधांशु कैंतुरा ने अपनी कविता में कहाँ ” बेटा चाहे कोसना या चाहे डांठना, मुझको भले ही काटना पर घर न बांटना ”
सबसे कम उम्र के युवा कवि ने यह ऊर्दू कविता सुनाकर सबकी तालियां बटोरी।” जब सिले से रग़बत थी हम पे शी खिंजा छाई, जब खिंजा से रग़बत की टैब कहीं बहार आई” ।
वहीं गौरव पन्त ने गिर्दा की कविताओं को याद करते हुए कहा ” गांव अगर गए तो आंगन चूम आना, चूमती फसलों का दामन चूम आना।” वहीं संचालक साजिद हुसैन ने सुनाया “दीवारों से सर टकराना जाया था,हमने सर को दे कर मारा कागज़ पे”।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में दून पुस्तकालय एवं शोध केंद्र के प्रोग्राम एसोसिएट चंद्रशेखर तिवारी ने यवा कवियों और उपस्थित लोगों का स्वागत किया. कार्यक्रम के अंत में निकोलस हॉफ़लैंड ने सबके प्रति आभार व्यक्त किया.
इस अवसर पर,गीतकार नरेंद्र नेगी, राजीव लोचन साह, गोविंद पन्त राजू, डॉ.योगेश धस्माना, विमल नेगी, सुंदर बिष्ट, गणेश खुगशाल, डॉ. अतुल शर्मा सहित कई साहित्यकार, लेखक, पत्रकार, साहित्य प्रेमी, सहित युवा पाठक मौजूद थे.

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