बसने के लिये पहली पसन्द चण्डीगढ़ और देहरादून
जयसिंह रावत,देहरादून।
बढ़ती आबादी के कारण आबोहवा में वो ताजगी और शुकून न रह जाने के बावजूद देहरादून आज भी चण्डीगढ़ के साथ ही देश के चोटी के नौकरशाहों और कार्पोरेट जगत के भारी जेब वाले मुख्यकार्यकारियों के लिये रिटायरमेंण्ट के बाद बसने के लिये पहली पसन्द बने हुये हैं।
एसोसिएटेड चैम्बर आफ कामर्श एण्ड इण्डस्ट्रीज आफ इण्डिया(एसोचेम) द्वारा कराये गये एक अध्ययन के अनुसार सेवानिृत्ति के बाद चैन की जिन्दगी जीने के लिये चोटी के सरकारी नौकरशाह और कारपोरेट जगत के मुख्य कार्यकारियों द्वारा इन दानों शहरों में से भी चण्डीगढ़ को पहली वरीयता मिल रही है। इन दो शहरों के बाद लोगों ने दूसरे दर्जे के अन्य नगरों में पुणे,उदयपुर,जबलपुर, इन्दौर और रांची को पसन्द किया है।
नोयडा, गाजियाबाद,मेरठ,नोयडा फरीदाबाद,सोनीपत और मनेसर के औद्योगिक रूप से विकसित होने के कारण वहां रोजगार के स्वर्णिम अवसर तो हैं, मगर एसोचेम के अध्ययन के अनुसार नौकरशाहों और मुख्यकार्यकारियों ने इन्हें बसने लायक नहीं पाया है। देश की राजधानी बहुत करीब होने के बावजूद रिटायर होने वालों ने इन शहरों में काफी कम रुचि दिखाई है। बिजली और पानी जैसी नागरिक सुविधाओं की किल्लत के साथ ही इन दूसरे दर्जे के शहरों में बिगड़ती कानून व्यवस्था को
नापसन्दगी का सबसे बड़ा कारण माना गया।
एसोचेम की एक अध्ययन रिपोर्ट के अनुसार इस सर्वेक्षण के लिये चुने गये शहरों में इन्दौर,जबलपुर,चण्डीगढ़, पुणे,उदयपुर औरंगाबाद,सूरत, कायम्बटूर, मदुरै,कोच्चि, विशाखापटनम्,विजयवाड़ा,मैसूर, देहरादून, गाजियाबाद, मेरठ, फरीदाबाद, नोयडा, सोनीपत और लखनऊ शामिल थे।
डी.एस.रावत के अनुसार इस अध्ययन में बसने के लिये पसन्दीदा शहरों के लिये जो मानक तय किये गये थे, उनमें बिजली,पानी, बाजार की सहूलियत,स्वास्थ्य और मनोरंजन केन्द्र,सीवेज तथा जलोत्सारण, पर्यावरण और कानून व्यवस्था की स्थिति जैसे मानक तय किये गये थे। इन भारी भरकम वेतन पाने वालों ने रिटायरामेंट के बाद ज्यादातर चण्डीगढ़ और देहरादून में बसने की
इच्छा व्यक्त की ।इन लोगों ने देहरादून और चण्डीगढ़ में सबसे बेहतर नागरिक सुविधाऐं होने तथा वेहतर कानून व्यवस्था होने की बात मानी। इन दोनों में भी चण्डीगढ़ पहले नम्बर पर माना गया। जबकि वहां पंजाब और हरियाणा के दबाव के कारण वहां पेयजल की समस्या जग जाहिर है।
एसोचेम के सेक्रेटरी जनरल के अनुसार इन दो शहरों के बाद पुणे,उदयपुर, इन्दौर,जबलपुर और रांची दूसरी पसन्द रहे। इनमें भी उदयपुर और पुणे को बराबर नम्बर मिले। उसके बाद रांची,जबलपुर, और इन्दौर को लोगों ने पसन्द किया। इन शहरों में यदाकदा वरिष्ठ नागरिकों के खिलाफ छुटपुट हिंसा के बावजूद इन्हें बुजुर्गों के रहने के लिये उपयुक्त पाया गया।
गुजरात में सूरत और महाराष्ट्र में औरंगाबाद को भी रिटायरमेंट के बाद शेष जीवन बिताने के लिये आदर्श शहर माना गया। इसका कारण सेवानिवृत्ति के बाद उद्यमी प्रवृत्ति के लोगों को समय बिताने के लिये कुछ करने काम करने का मौका होना माना गया। सर्वे में लखनऊ और मैसूर को तीसरे नम्बर पर पाया गया और उसके बाद मदुरै, कोची और कोयम्बटूर को मुफीद
जगह माना गया। लखनऊ में जमीनों के भाव काफी ऊंचे होने के बावजूद वरिष्ठ नागरिक मंहगी जमीन खरीदने के लिये भी तत्पर दिखाई दिये।
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