राजनीति

हरबंश कपूर: उत्तराखण्ड का एक अजेय राजनीतिक योद्धा नहीं रहा, 8 times MLA Harbans kapur is no more.

देहरादून का 8 बार प्रतिनिधित्व
उत्तर प्रदेश एवं उत्तराखण्ड विधानसभाओं में देहरादून का 8 बार प्रतिनिधित्व करने वाले वरिष्ठतम् विधायक हरबंश कपूर का सोमवार सुबह अपने आवास पर हृदय गति रुक जाने से निधन हो गया। उनके निधन से प्रदेश ने एक वरिष्ठतम् राजनेता खो दिया जो कि दो दशक से भी अधिक समय से अपने क्षेत्र की जनता के लिये समर्पित रहा। उनके समर्पण का ही नतीजा था कि नब्बे के दशक के बाद राजनीतिक उतार चढ़ावों के बावजूद उनको कोई परास्त नहीं कर सका और वह मरणोपरन्त अविजित रहे। वर्तमान में वह देहरादून की कैंट सीट से विधायक थे और राज्य बनने से पहले वह देहरादून नगर सीट का प्रतिनिधित्व करते रहे।
उत्तर पश्चिमी सीमान्त प्रान्त से आ गया था हरबंश कपूर का परिवार
हरबंश कपूर का जन्म 1946 में उत्तर पश्चिमी सीमान्त प्रान्त के बन्नू में हुआ था। भारत-पाक विभाजन के बाद उनका परिवार देहरादून में आ गया था। यहां उन्होंने सेंट जोसेफ अकादमी से स्कूलिंग और बाद में डीएवी कालेज से स्नातक और एलएलबी की डिग्रियां हासिल कीं। पूर्णतः राजनीति को समर्पित होने से पहले वह देहरादून में ही वकालत भी करते थे।
1989 में चुने गये तो फिर उन्हें कोई नहीं हरा सका
राजनीति में वह सदैव भाजपा और उसके अनुसांगिक संगठनों से जुड़े रहे। उन्होंने पहली बार 1985 में देहरादून सीट से भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ा मगर कांग्रेस के हीरा सिंह बिष्ट से चुनाव हार गये। यह उनकी पहली और अंतिम हार थी। लेकिन जब वह 1989 में उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिये चुने गये तो फिर उन्हें कोई नहीं हरा सका। उस समय उन्होंने हीरा सिंह बिष्ट का हरा कर अपनी पिछली हार का बदला लिया था। उसके बाद उन्होंने 1991 में कांग्रेस के विनोद चन्दोला और 1993 में कांग्रेस के ही दिनेश अग्रवाल, 1996 में भी दिनेश अग्रवाल को परास्त किया। उस समय उन्होंने 56.37 प्रतिशत मत हासिल किये थे। राज्य गठन के बाद नये प्रदेश की विधानसभा सीटों का परिसीमन होने से उनका विधानसभा क्षेत्र देहरादून कैंट हो गया जिसका वह जीवन के अंतिम क्षणों तक प्रतिनिधित्व करते रहे।
राज्य गठन के बाद 2002 में हुये पहले चुनाव से लेकर 2017 तक के 4 चुनावों में निरन्तर इस सीट से जीत दर्ज करते रहे। उन्होंने इन चुनावों में कांग्रेस के संजय शर्मा, लालचन्द, देवेन्द्र सिंह सेठी और आखिर में सूर्यकान्त धस्माना का हराया था। वह उत्तर प्रदेश में राज्य मंत्री तथा उत्तराखण्ड में 2007 से 2012 तक विधानसभा अध्यक्ष रहे। वह ग्रामीण विकास मंत्री और बीस सूत्रीय कार्यक्रम के उपाध्यक्ष भी रहे।
पहाड़ों से भी असीम प्रेम रहा
कपूर का देहरादून के सार्वजनिक जीवन में तो सदैव भागीदारी रही ही लेकिन उनका पहाड़ों से भी असीम प्रेम रहा। वह पहले गैर पहाड़ी मूल के नेता थे जिन्होंने पौड़ी गढ़वाल के द्वारीखाल ब्लाक के दिखेत गांव जा कर रात्रि प्रवास कर वहां चन्द्र मोहन सिंह बिष्ट द्वारा पलायन रोकने के लिये किये जा रही कृषि एवं बागवानी गतिविधियों को प्रोत्साहित किया था।

भाजपा में शोक की लहर
हरबंस कपूर के निधन से पार्टी और उनके क्षेत्र के लोगों में भी शोक व्याप्त है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी हरबंस कपूर के देहरादून स्थित आवास पर पहुंचे और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इसस दौरान मुख्यमंत्री ने उनके निधन पर दुख व्यक्त किया और भगवान ने उनकी आत्म की शांति की प्रार्थना की। हरबंस कपूर के निधन पर उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि सभी के मार्गदर्शक रहे हरबंस कपूर का निधन एक युग का अंत है। इस अपूरणीय क्षति को भर पाना मुमकिन नहीं है। बीजेपी के वरिष्ठ नेता हरबंस कपूर के निधन पर उत्तराखंड विधानसभा अध्यक्ष प्रेमचंद अग्रवाल ने गहरा शोक व्यक्त किया है। उन्होंने कहा कि सभी के मार्गदर्शक रहे हरबंस कपूर का निधन एक युग का अंत है। इस अपूरणीय क्षति को भर पाना मुमकिन नहीं है। आज हमने राजनीति एवं समाज की सेवा में अग्रणी रहने वाली एक धरोहर को खो दिया है। उनकी गणना हमेशा सक्रिय रहने वाले विधायकों में थी। कांग्रेस विधायक किशोर उपाध्याय ने कहा कि हरबंस कपूर के निधन से उत्तराखंड की राजनीति का एक वट वृक्ष जैसा व्यक्तित्व हमारे बीच नहीं रहा। एक दशक उनके साथ काम करने का अवसर मिला। विधान सभा अध्यक्ष के रूप में उनका मार्ग दर्शन और संयम अनुकरणीय और उदाहरणीय था। वहीं कांग्रेस ने हरंबस कपूर के निधन पर शोक व्यक्त कर उन्हें श्रद्धांजलि दी और सोमवार को आयोजित होने वाली अपनी रैली स्थगित कर दी।

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