हाइड्रो पावर कंपनी पर कैल नदी में अवैध खनन कर सरकार को लाखों का चूना लगाने का आरोप
-रिपोर्ट हरेंद्र बिष्ट —
थराली, 26 जनवरी । पिंडर घाटी के विकासखंड देवाल के कैल नदी में निर्मित 5 मेगावाट चमोली हाइड्रो पावर लिमिटेड के द्वारा प्रति वर्ष परियोजना की मरम्मत के कार्यों में स्थानीय नदी को चीर कर उससे निकाले जा रहे रेत, बजरी, पत्थरों एवं बोल्डरों का बिना रायल्टी एवं जीएसटी जमा किए ही उपयोग करने का मामला प्रकाश में आ रहा है।
माना जा रहा हैं कि इससे प्रति वर्ष सरकार को जहां लाखों रुपयों का चूना लग रहा है, वही नदी का सीना बीचों, बीच चीरे जाने के चलते नदी एवं जलीय जीवों को भी भारी नुकसान हो रहा है। किंतु हाइड्रो कंपनी को अपने व्यक्तिगत लाभ के चलते सरकारी नियम कानूनों से कोई भी लेना, देना नही रह गया है।
दरअसल देवाल ब्लाक में बहने वाली कैल नदी में सरकार के द्वारा एक 5 मेगावाट लघुजल विद्युत परियोजना का एक प्राइवेट कंपनी चमोली हाइड्रो पावर कंपनी लिमिटेड को 2005 में आवंटन किया था। जिसके बाद कंपनी के द्वारा यहां पर एक पावर प्लांट की स्थापना की गई।
बताया जा रहा हैं पिछले लंबे समय से बरसात में परियोजना के डेम, नहरों सहित अन्य स्थानों पर क्षति पहुंचने के बाद मरम्मत का कार्य किया जाता रहा है। जिसमें स्थानीय कैल नदी से ही भारी मात्रा में उपखनिजों को निकाल कर मरम्मत कार्य में उपयोग किया जाता रहा है।
इस बार भी इन दिनों डैम साईड पर गेटों के आगे बढ़ी मात्रा में कार्य किया जा रहा हैं। जिसमें कैल नदी की सीना बीचों बीच जेसीबी मशीन के जरिए चीर कर काफी बढ़ी मात्रा में उपखनिजों को निकाल कर मरम्मत कार्य में लगाए जाने की बात सामने आ रही है।
मरम्मत कार्यों में स्थानी उपखनिजों का उपयोग किए जाने पर उसकी रायल्टी, जीएसटी जमा किए जाने के संबंध में पूछे जाने पर कंपनी के कारिंदे गोलमोल जवाब देते आ रहे हैं। इस संबंध में पूछे जाने पर थराली के उपजिलाधिकारी रविन्द्र जुंवाठा ने बताया कि कंपनी के पास खनन कार्य की अनुमति है या नहीं इसकी जांच की जाएगी और कंपनी द्वारा निकाले गए उपखनिज की रॉयल्टी जमा न होने की दशा में कंपनी के विरुद्ध चलानी कार्यवाही अमल में लायी जाएगी।
चमोली हाइड्रो के द्वारा जिस तरह से डैम के आगे जिस तरह से मशीनों के जरिए कैल नदी का सीना चीरा गया हैं उससे इस नदी के जलीय जीवों के अस्तितुव को लेकर कई तरह के प्रश्न उठने लगे हैं मसलन क्या कंपनी की नदी के बीचों-बीच खोदने की इजाजत दी गई हैं याकि कंपनी पर्यावरणीय नियम कानूनों को ताक पर रख कर अपने लाभ के लिए कार्य करने में जुटा हुआ हैं और प्रशासन लंबे समय से मौन बना बैठा हुआ हैं। एसडीएम थराली के द्वारा मामले में जांच की बात करने से कई खुलासे होने की संभावना बढ़नें लगी हैं।