राजनीति

हार के डर से साम्प्रदायिक प्रचार पर उतर आई भाजपा कर्णप्रयाग में भी, फिर भी मुकेश नेगी आगे

गौचर से दिग्पाल गुसाईं-
मतदान की उल्टी गिनती शुरू होते ही प्रत्यासियों ने मतदाताओं को अपने पाले में खींचने के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। भाजपा व कांग्रेस प्रत्याशी के एक ही स्थान के होने की वजह से उन्होंने चुनाव को प्रतिष्ठा का प्रश्न बना दिया है। गौचर में मतदाताओं की चुप्पी ने प्रत्यासियों को पशोपेश में डाल दिया है।


उत्तराखंड में 14 फरवरी को मतदान होना है। कर्णप्रयाग विधानसभा से 11 प्रत्याशी अपना भाग्य आजमा रहे हैं। जैसे जैसे मतदान का दिन नजदीक आ रहा है। मुख्य मुकाबला कांग्रेस व भाजपा के बीच दिखाई देने लगा है। भाजपा ने गौचर निवासी पूर्व विधायक अनिल नौटियाल को मैदान में उतारा है तो कांग्रेस ने भी गौचर के ही दो बार नगरपालिका के अध्यक्ष रहे युवा तुर्क नेता मुकेश नेगी पर दांव लगाया है। मजेदार बात यह है इन दोनों प्रत्यासियों के घरों का फासला मात्र 100 मीटर का है। भाजपा प्रत्याशी के साथ पूरा संगठन मजबूती के साथ प्रचार में जुटा हुआ है तो कांग्रेस प्रत्याशी मुकेश नेगी के साथ युवा उनकी विजय के ऐड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं। उक्रांद के प्रत्याशी महेश खंडूड़ी,आप के दयाल सिंह, निर्दलीय प्रत्याशी टीका प्रसाद मैखुरी भी अपनी जीत के लिए खूब पसीना बहा रहे। अन्य प्रत्यासियों ने भी अपनी सामर्थ्य के हिसाब से पूरी ताकत झोंक दी है। जानकारों के अनुसार भाजपा से नाराज़ होकर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे टीका प्रसाद मैखुरी, उक्रांद प्रत्याशी महेश खंडूड़ी, भाकपा माले के इंद्रेश मैखुरी, भाजपा को नुक़सान पहुंचा रहे हैं तो आप प्रत्यासी दयाल सिंह कांग्रेस के वोटों पर सेंधमारी कर रहे।इन आंकड़ों में कितनी सत्यता है यह तो मतगणना के बाद ही पता चलेगा।दुख तो इस बात का है कि उत्तराखंड को 21 साल का युवा होने की दुहाई देने वाली भाजपा ने विकास की डगर छोड़कर अब प्रधानमंत्री मोदी के नाम पर वोट मांगने के साथ ही हिन्दू मुस्लिम का राग अलाप कर वोटों का ध्रुवीकरण करना शुरू कर दिया है। पहाड़ों में जीवन यापन करने वाले लोग इसे उत्तराखंड का दुर्भाग्य मान रहे हैं।इन लोगों का कहना है पहाड़ों से पलायन का मुख्य कारण स्वास्थ्य, शिक्षा, बदहाल सड़कों व जंगली जानवरों से हो रही परेशानी है।इनसे निजात दिलाने की बात कांग्रेस व भाकपा माले के आलावा कोई नहीं कर रहा है। चुनाव आयोग द्वारा रैलियों व जनसभाओं पर रोक लगाने की वजह से सभी प्रत्यासियों ने गांव के वोटरों पर डोरे डालने के लिए गांवों की पगडंडियों को नापना शुरू कर दिया है।अलग राज्य बनने से पहले से ही कर्णप्रयाग विधानसभा सीट पर भाजपा का कब्जा रहा 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी स्वर्गीय डा अनशूया प्रसाद मैखुरी लगभग 22 साल बाद भाजपा के किले को भेदने में कामयाब रहे थे।2017 के चुनाव में इस सीट पर भाजपा के सुरेंद्र सिंह नेगी पुनःकब्जा करने में कामयाब रहे थे। इस बार भाजपा व कांग्रेस ने मृदुभाषी प्रत्यासियों को मैदान में उतारा है। अब देखना होगा कि क्या भाजपा अपने गढ़ को बचा पाती है कि नहीं। कांग्रेस प्रत्याशी मुकेश नेगी के बारे में कहा जा रहा है कि वह गत वर्ष कोरोना बीमारी से जब क्षेत्र की जनता डर के मारे घरों में दुबक गई थी तब उनके सामने जीवन बचाने के लिए दवाइयों के अलावा राशन का भी संकट था। सरकारी इमदाद के अलावा कांग्रेस प्रत्याशी मुकेश नेगी ने पूरे विधानसभा में गांव गांव जाकर लोगों की मदद करने का काम किया। मदद करते करते वे स्वयं कोरोना बीमारी के चपेट में आ गए थे। ठीक होने के बाद उन्होंने दूसरे चरण में सभी स्कूलों में छात्रों व अध्यापकों को मास्क व सेनेटायजर बांटने का काम किया।अब देखना होगा कि उनकी इस मदद का लोगों पर कितना असर पड़ता है।

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