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मार्क्स -जेनी -एंगेल्स : ऐसी मित्रता जिसने दुनिया को बदलने का रास्ता दिखाया

अनन्त आकाश

 इतिहास में मित्रता के असंख्य उदाहरण हो सकते हैं किन्तु उनमें से जीवन साथी तथा मित्रों के ऐसे कम ही उदाहरण हैं ,जब किसी जीवन स़ंगीनी तथा मित्र ने बिना ऊफ किये ही ऐसी मित्रता निभाई हो तथा  इस मित्रता ने दुनिया को बदलने का वैज्ञानिक सिध्दांत दिया हो !  जैनी, मार्क्स , फ्रेडरिक एंगेल्स  का ऐसा ही बेहद प्रेणादारक एवं अनूठा उदाहरण हमारे सामने हैं । जिसने हमें सर्वोच्च बलिदान के साथ ही समाज के प्रति अपनी जबाबदेही का रास्ता दिखाया है ।

                                                   Karl Marx and his friend Fredrich Engels

विश्व में साम्यवाद के जन्मदाता कार्ल मार्क्स जब दुनिया लिऐ “दास  कैपिटल ” लिखने में तल्लीन थे ,तब उन्हें अपना एवं परिवार का निर्वहन करना काफी मुश्किल हो गया था । ऐसी विकट परिस्थितियों में भी उनकी पत्नी  निराश नहीं हुई.  उन्होंने पुराने कपड़ों की मरम्मत कर  उन्हें लन्दन की गलियों में घूमकर जाकर बेचा । उनकी पत्नी की इस प्रतिबध्दता के परिणामस्वरूप ही विश्व को “दास कैपिटल” ग्रन्थ तथा मार्क्स जैसा दार्शनिक मिला । विश्व के महान दार्शनिक और राजनीतिक अर्थशास्त्र के प्रेणता कार्ल मार्क्स  जीवनोपर्यंत अभावों में रहे । इसके कारण उनके कई बच्चों की असमय मृत्यु हुई । जैनी मार्क्स जो पर्सिया राजघराने की थी, ने अपना शानोशौकत त्यागकर अपने पति मार्क्स के आदर्शों एवं युगांतरकारी प्रयासों की सफलता के लिए अपने आप को समर्पित कर दिया । जर्मनी से निर्वासित होने के बाद मार्क्स लन्दन आये, न जाने उन्होंने ,जैनी तथा बच्चों ने क्या -क्या कष्ट नहीं झेले ,वर्णन करना काफी कष्टकारी है ।

                                                                 Das Kapital, changed the world.

मार्क्स ने अपने जमाने में अनेक घटनाओं को बहुत ही करीब से देखा तथा समाज को बदलने के स्वप्न को साकार करने  के लिए  दिन रात एक किया । विद्रोही लेखन समाज की रूढिवादी परम्पराओं के खिलाफ संघर्ष के चलते तत्कालीन सत्ताधारियों तथा पोंगापंथी समाज को मार्क्स रास नहीं आ रहे थे  । इसलिए उनका कई – कई बार अनेक देशों से  निकाला होता रहा । ऐ सारी घटनाऐं भी उनके इरादों में बाधक नहीं बन पायी

                                                     Karl Marx and his wife Jenny Edle von Westphalen in Youth.

5 मई 1818 को ट्रिवीज परसा में यहुदी परिवार में जन्मे मार्क्स के प्रगतिशील विचारों के पिता पेशे से वकील थे । जिनकी मृत्यु के समय मार्क्स कम उम्र के थे । मार्क्स की शादी आस्ट्रिया के राज परिवार के मन्त्री की बेटी जेनी से हुई थी जो कि शानोशौकत में पली थी,जो मार्क्स की प्रतिभा से प्रभावित थी तथा उनको दिलोजान से चाहती थी । भारी कष्टों एवं अभावों के बावजूद मरते दम तक उसने मार्क्स का साथ नहीं छोड़ा । मार्क्स भी अपनी पत्नी को उतना ही प्यार करते थे, वे एक दूसरे के आजीवन  पूरक रहे ।

 

जेनी ने मार्क्स को आगे बढा़ने के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर  किया इतिहास में ऐसे  कम ही उदाहरण मिलते हैं । जिन्होंने बेहतर दुनिया के निर्माण के लिए अपना सब कुछ दाव पर लगाया । जेनी की मृत्यु पर मार्क्स बेहद दुखी थे तथा अपने को अकेला महसूस करने लगे । लन्दन निर्वासन के दौरान जेनी के बाद एक वैचारिक मित्र के रूप में फ्रेडरिक एंगेल्स जो कुलीन परिवार के साथ ही एक उद्योगपति  परिवार के भी थे । वे मार्क्स की हरसंभव सहायता करते थे । उन्होंने इंसानियत के लिए हो रहे ऐतिहासिक कार्य को मार्क्स के मृत्योपरान्त भी आगे बढ़ाकर मित्रता का फर्ज बखूबी निभाया ।

 

मार्क्स ने अपने जीवित रहते ही समाज के लिए अभूतपूर्व कार्य कर डाला । शायद किसी दार्शनिक ने आज तक ऐसा किया हो । मार्क्स से पहले तो दार्शनिकों ने केवल दुनिया की ब्याख्या की। किन्तु मार्क्स ने दुनिया को बदलने का रास्ता बताया । मार्क्स ने दुनिया में शोषण से मुक्ति के लिए दुनियाभर के मजदूरों एक हो का नारा देकर उन्हें शोषण से मुक्ति का सूत्र दिया । दुनिया में शोषक तथा शोषितों के मध्य एक स्पष्ट लकीर खींचकर शोषितों के लिए एक लक्ष्य निर्धारित किया कि उनकी असली लड़ाई किनके के खिलाफ है ?

 

ऐसे गुमनाम सितारों से भरा हुआ है इतिहास । हर कामयाब पुरूष के पीछे उसकी पत्नी की भूमिका रही है । जैनी की महानता एवं सर्वोच्च बलिदान परिकाष्ठा इस तथ्य की पुष्टि करती है । यह जोड़ी आज हमारे मनोमतिष्क में है ,और आने वाली कई सदियों तक हमारे समाज का मार्गदर्शन करती रहेगी । ( लेखक माकपा के वरिष्ठ नेता हैं और उत्तराखंड आंदोलन  में भी काफी सक्रिय रहे हैं।)

 

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