शेक्सपियर का *श्यामा* के नाम एक प्रेमगीत
-गोविंद प्रसाद बहुगुणा –
शेक्सपियर को किसी स्त्री से प्यार हो गया था लेकिन उसने शेक्सपियर को कभी भाव नहीं दिया , हताश कवि ने उसके नाम जो गीत लिखे उनको *श्यामा* (*ब्लैक लेडी*) के नाम समर्पित किया , ऐसे एकतरफा इश्क पुराने समय में बहुत होते थे, जिनकी वजह से तमाम गीत लिखे गए हैं ।
आज यह गीत “Look in thy glass and tell the face thou viewest”
पढ़ते हुए इसका भावानुवाद करने की इच्छा हुई ऐसे ही ,अस्तु
अपने आईने में जाकर देखो फिर बताओ
तुम जिस चेहरे को देख रही हो वह अब कैसा दिखता है ?
अब वक्त आ गया है जब तुमको दूसरा चेहरा बनाने की जरूरत आन पड़ी होगी
जिसकी नये सिरे से मरम्मत कर
तुम शायद फिर से उसको ताजा करना चाहो ।
तुम दुनिया को चकमा देना चाहती हो , किसी मां को मरहूम करने के लिए।
वह चेहरा अब इतना खूबसूरत कहां रह गया
जिसकी कोख कभी आवाद न हो सकी
क्या यह तुम्हारे पति की मर्दानगी
लानत नहीं है ?
वह शक्सं जो प्रेमी जैसा दिखता है लेकिन है सिर्फ एक मकबरा !!
तुम अपनी माँ की आईना हो , उसका अक्स तुम्हारे अंदर है
जो अपने यौवन के वसन्त को फिर बुला रही है
उम्र की खिड़की से तुमको झांक रही है
तुम्हारे स्वर्णकाल को याद करते हुए
बावजूद उन सलवटों और झुर्रियों के
जो तुम्हारे चेहरे पर निकल आई हैं
लेकिन अगर कोई तुम्हें बिना याद किए भी तुम जीती हो
तब तुम भी ऐसे ही अकेली इस दुनियां से चली जाओगी
तुम्हारी छवि भी तुम्हारे साथ दफन हो जायेगी –
Shakespeare.
(भावानुवाद -गोविन्दप्रसाद बहुगुणा)