अग्निवीर ने छीन लिया सैन्य बाहुल्य गढ़वाल – कुमाऊँ की आजीविका और पुश्तैनी गौरव
-गजेंद्र रावत
दुर्गा देवी के पति अग्निवीर होते तो आज क्या खाती ?
उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव में अग्नि वीर का मुद्दा बड़ा चुनावी मुद्दा बनता जा रहा है।
पिछले दिनों पिछले दिनों कुमाऊं भ्रमण के दौरान कौसानी से गरुड़ के रास्ते में एक माताजी ने गाड़ी रूकवाई और फिर वह हमारे साथ सवार हो गई मैंने पूछा ईजा क्या नाम है कहां जाएगी उन्होंने अपना दुर्गा देवी बताया . दुर्गा देवी ने प्रफुल्लित मन से बताया कि उनके पति पलटन में थे अब तो इस दुनिया में नहीं रहे लेकिन उनके पसीने से निकलने वाली पेंशन आज दुर्गा देवी के लिए सहारा है।
.कैंटीन का कार्ड भी है तो सस्ते दाम पर सामान भी मिल जाता है. दुर्गा देवी की दो बेटियां हैं दोनों अपनी ससुराल में है दुर्गा देवी अपने पति की उसे पेंशन में से कुछ पैसे अपने नाती पोतों पर भी खर्च करती है उनका कहना है कि अगर उनके पति फौज में ना होते और आज अगर पेंशन न मिल रही होती तो ना बेटियों की शादी हो पाती न उनकी पढ़ाई हो पाती. दुर्गा देवी को कुछ दिन पहले मालूम हुआ कि अब देश में सेना में अग्नि वीर व्यवस्था लागू हो गई है इसलिए युवा खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं असुरक्षित भविष्य को लेकर आखिरकार युवा जाएगा 20 से 24 साल में रिटायर होकर घर आ जायेगा तो कहां जाएगा न कोई पेंशन न कैंटीन कार्ड शहीद हो गए तो शहीद का दर्जा भी नही . दुर्गा देवी जैसे हजारों उदहारण उत्तराखंड में हैं गरुड़ बाजार में स्टेट बैंक के बाहर दुर्गा देवी उतरने लगी तो मैने फोटो खींचने का अनुरोध किया दुर्गा देवी का हंसता खिलखिलाता चेहरा और रास्ते में बच्चों के साथ संवाद ने यात्रा सुखद कर दी । अभी मामला यहीं खत्म नहीं हुआ सफर का रोमांच चरम पर आना बाकी था. गाड़ी से उतरकर दुर्गा देवी ने 20 रूपये मेरी तरफ बढ़ाए तो मन बहुत भावुक हो गया बच्चे तो हंसने लगे उनके लिए ये पहला अनुभव था मुझे पहाड़ में जब भी कोई बुजुर्ग माता जी या चाचा ताऊ मिलते हैं तो उतरते वक्त जरूर ऐसा ही करते हैं.मैंने उनसे अनुरोध किया कि बस आशीर्वाद दो कि कभी भी कोई सड़क पर हाथ दे तो मैं इसी प्रकार किसी की खुशी का कुछ देर के लिए ही सही सारथी बन सकूं .बच्चों ने पहली बार सुना कि कुमाऊं में मां को ईजा ,पिताजी को बाजु बबा, दादा को बुबू, दादी को आमा,बेटी को चेली कहते हैं
अब आप ही तय कीजिए कि अग्नीवीर से युवाओं का कैसे कल्याण होगा कौन उन बेरोजगारों से अपनी बेटी ब्याहेगा …. वो घर आकर कहां जायेंगे।