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पहाड़ों में पलायन के बावजूद लोगों का पशुपालन के प्रति लगाव घटा नहीं

-रिखणीखाल से प्रभूपाल रावत –

पहाड़ों से मैदानो की ओर तेजी से हो रहे पलायन के बावजूद  रिखणीखाल प्रखंड के अन्तर्गत कयी गांवों में पशुपालन व बकरीपालन मुख्य व्यवसाय के रूप में कायम तो  है मगर बाघ  (गुलदार) का खतरा लोगों को चैन से रहने नहीं देता।

रिखणीखाल विकास खंड के ग्राम नावेतल्ली व ग्राम रजबौ मल्ला में लोग भी पशुपालन व बकरीपालन का धंधा कर रहे हैं।देखा गया है कि लोगों का पशुपालन व बकरीपालन से एक रिश्ता जुड़ा हुआ है। सिर्फ अब ग्रामीण बाहर गोठ नहीं बना रहे हैं।अक्सर संज्ञान में आया है कि ग्रामीण देवी देवताओं में अटूट विश्वास करते हैं तो अधिकांश लोग पूजा आदि में भी इनकी खरीददारी करते हैं।अभी इस माघ के माह में इस क्षेत्र में काफी पुजाई के कार्यक्रम हो रहे हैं। इन कार्यक्रमों में बकरियों की काफी मांग होती है।

आज गाँव के सभी गोशालाओं का जायजा लेने पर पता चलता है  कि गढ़वाल में पशुपालन,बकरीपालन,मुर्गीपालन का व्यवसाय से लगाव है। लेकिन  लोग जंगली जानवरों गुलदार बाघ आदि के डर से भी भयभीत हैं।इसलिए निगरानी बराबर करनी होती है।

सरकार को भी गांवों में पशुपालन,बकरीपालन,मुर्गीपालन आदि को प्रोत्साहन देना चाहिए व जंगली जानवरों से बचाव के उपाय करने होगें।तभी लोगों का मनोबल व उत्साह बढेगा।

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