आर्मी हॉस्पिटल ने रोबोटिक लेजर से मोतियाबिंद सर्जरी में बनाया इतिहास!

नयी दिल्ली, 28 अगस्त। आर्मी हॉस्पिटल रिसर्च एंड रेफरल (एएचआरआर) ने एक रोमांचक उपलब्धि हासिल की है! आज, भारत का पहला और दक्षिण एशिया का दूसरा सरकारी अस्पताल बनकर, एएचआरआर ने एएलएलवाई अडैप्टिव प्रणाली से पहली रोबोटिक कस्टम लेजर मोतियाबिंद सर्जरी की। यह सर्जरी इतनी खास क्यों है? क्योंकि यह फेम्टो-सेकंड लेजर तकनीक (FLACS) का इस्तेमाल करती है, जो बिना चाकू के और कंप्यूटर की मदद से आंख की सटीक सर्जरी करती है—जैसे कोई साइंस फिक्शन फिल्म का दृश्य!
इस शानदार ऑपरेशन को ब्रिगेडियर एस.के. मिश्रा ने 61 साल के एक मरीज पर सफलतापूर्वक अंजाम दिया। पारंपरिक सर्जरी अभी भी कारगर है, लेकिन यह नई तकनीक चीजों को अगले स्तर पर ले जाती है। फेम्टो-सेकंड लेजर कॉर्निया काटने, कैप्सूल खोलने और मोतियाबिंद तोड़ने जैसे जटिल कदमों को माइक्रोन-स्तर की सटीकता से ऑटोमेटिक कर देती है। सोचिए, यह तकनीक कितनी सटीक होगी कि हर कट बिल्कुल परफेक्ट!
एएचआरआर की यह उपलब्धि सशस्त्र बलों की उस प्रतिबद्धता को दर्शाती है, जहां उनके जवानों और उनके परिवारों को सबसे आधुनिक और सुरक्षित इलाज मिले। खासकर सैन्य मेडिकल सिस्टम के लिए, जहां हर मिनट और हर सटीकता मायने रखती है, यह तकनीक गेम चेंजर साबित हो सकती है।
इस सफलता के पीछे रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह, थल सेनाध्यक्ष जनरल उपेन्द्र द्विवेदी, और सशस्त्र बल चिकित्सा सेवा महानिदेशक सर्जन वाइस एडमिरल आरती सरीन का मार्गदर्शन रहा। एएचआरआर का नेत्र विज्ञान विभाग अपनी इस नई उपलब्धि के साथ आंखों की देखभाल में उत्कृष्टता और नवाचार की नई इबारत लिख रहा है। आने वाले दिनों में और भी कमाल की चीजें देखने को मिल सकती हैं!
