–पंकज भार्गव–

अवधेश कौशल ने निडरता के साथ अपने पूरे जीवन को सामाजिक सरोकारों के लिए समर्पित किया। सही मायनों में अवधेश कौशल की जीवनी समाज को यह संदेश देती रहेगी कि अवधेश कौशल बनने के लिए बेशक कांटों का रास्ता पार करना पड़े लेकिन लक्ष्य पर जीत हमारा इंतजार कर रही होती है।

सामाजिक सरोकारों के लिए जनता के मुद्दों की अगुवाई करने वाले पद्मश्री अवधेश कौशल आज हमेशा के लिए जीवन की अंतिम यात्रा पर चले गये। उनके निधन की खबर सुनकर प्रदेश के प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने शोक जताया है। सामाजिक कार्यों के लिए अग्रिम पंक्ति में खड़े रहने वाले अवधेश कौशल ने मंगलवार सुबह देहरादून के एक निजी अस्पताल में अंतिम संास ली। उनके परिजनों के अनुसार 86 वर्षीय कौशल का स्वास्थ्य बीते कुछ दिनों से ठीक नहीं था।

70 के दशक से सामाजिक और मानवीय मुद्दों के लिए जनता की आवाज बुलंद करने वाले अवधेश कौशल ने कानूनी लड़ाई की अहमियत को समझते हुए गैर सरकारी संस्था रूलर लिटिगेशन एंड एनटाइटलमेंट केंद्र रूलक का गठन किया। जिसके बाद उन्होंने पर्यावरण संरक्षण, पंचायती राज, गुज्जर जनजाति के हक हकूकों की आवाज को सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचाने का काम किया और अपनी सकारात्मक सोच के चलते हर मोर्चे पर सच्चाई की जीत को साकार किया।

भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज बुलंद करने वाले कौशल कुछ वर्ष पूर्व उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्रियों को आवास सहित दी जाने वाली अन्य सुविधाओं पर होने वाले व्यय की वसूली के लिए उत्तराखंड उच्च न्यायालय तक गए।

अवधेश कौशल ने निडरता के साथ अपने पूरे जीवन को सामाजिक सरोकारों के लिए समर्पित किया। सही मायनों में अवधेश कौशल की जीवनी समाज को यह संदेश देती रहेगी कि अवधेश कौशल बनने के लिए बेशक कांटों का रास्ता पार करना पड़े लेकिन लक्ष्य पर जीत हमारा इंतजार कर रही होती है।