चौथे दिन भी नहीं खुला बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग ; चमोली जिले में दूध-सब्जियो का संकट; कच्चे वैकल्पिक मार्गों पर दुर्घटनाओं का खतरा
-गौचर से दिग्पाल गुसाईं-
तमाम प्रयासों के बाद भी जनपद चमोली के प्रवेश द्वार कमेड़ा जखेड़ में पिछले चार दिनों से बंद राष्ट्रीय राजमार्ग को यातायात के लिए नहीं खोला जा सका है। अलबत्ता कुछ घंटों के अंतराल में मुसाफिरों का पैदल आवागमन करवाया जा रहा है।
क्षेत्र में हुई मूसलाधार बारिश से जनपद चमोली की सीमा पर स्थित कमेड़ा जखेड़ में राष्ट्रीय राजमार्ग का बढ़ा भू भाग मलवे की चपेट में आने से बंद हो गया था। मार्ग खोलने का कार्य सोमवार से शुरू कर दिया गया था। लेकिन चार दिन बीत जाने के बाद भी मार्ग पर यातायात बहाल नहीं किया जा सका है। मार्ग बंद होने से क्षेत्र में रसोई गैस,दूध, सब्जीयों की भारी किल्लत बनी रहने से लोगों के सामने भारी मुश्किल भी खड़ी हो गई है। टमाटर के दाम 200 रूपए पार करने के साथ ही टमाटर बाजार से नदारद हो गया है।
पशु पालकों के सामने पशु चारे का गंभीर संकट खड़ा होने से उनको पशुओं का जीवन बचाने की समस्या भी खड़ी हो गई है। इस स्थान पर दलदली मिट्टी होने की वजह से डोजर आपरेटरों को मार्ग खोलने में तमाम दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
क्षेत्र में मौसम विभाग की भारी बारिश की चेतावनी के बावजूद चटख धूप खिलने से मार्ग खोलने का कार्य वृहस्पतिवार को भी रोजाना की भांति सुबह से शुरू कर दिया गया था। लेकिन शाम तक उन्हें मार्ग खोलने में कामयाबी नहीं मिल पाई है। इस स्थान पर दलदली मिट्टी होने की वजह से ज्यादा मुस्किलें खड़ी हो रही है।
जिस जगह पर डाट पुलिया वास आऊट हो गई थी उस स्थान पर ह्यूम पाइप के सहारे मार्ग खोलने का प्रयास किया जा रहा है। मार्ग खुलने के इंतजार में सड़क के दोनों ओर ट्रकों सहित अन्य वाहनों की लंबी कतार लगी हुई है। समय रहते जनपद चमोली की लाइफ लाइन माने जाने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग को नहीं खोला गया तो लोगों के जीवन यापन करने के तमाम सामानों का संकट गहरा सकता है।
पिछले तीन दिनों से अखबार,दूध, सब्जी के वाहन कभी सारी होते हुए तो कभी पोखरी होकर आने का प्रयास कर रहे थे लेकिन इन मार्गों के भी बारिश की वजह से बंद हो जाने से अव वे इन मार्गों से आने में भी कतराने लगे हैं। इतने दिनों तक मार्ग बंद रहने से इस बात की भी चर्चा ने जोर पकड़ लिया है कि केंद्र सरकार ने इस मार्ग को सीमा सड़क संगठन से हटाकर बढी भूल करने के साथ ही सीमांत जनपद वासियों के बढ़ा धोखा किया है। यह मार्ग सीमा सड़क संगठन के अधीन होता तो कबका खुल गया होता।