दिल्ली के कॉस्टीट्यूशन क्लब में हुआ ‘योगी रामराज्य’ पुस्तक का लोकार्पण
नयी दिल्ली, 28 अगस्त (उहि)। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की ख्याति लखनऊ से लेकर दिल्ली और देश विदेशों में फैल रही है। उनको पिछले पांच साल के दौरान एक कुशल प्रशासन चलाने वाले मुख्यमंत्री के तौर पर देखा गया। उसी का परिणाम हुआ कि इस साल हुए विधानसभा चुनावों में उन्हें राज्य के लोगों ने फिर से भारी बहुमत से विजय दिलाई और फिर भाजपा ने उन्हें दोबारा राज्य का मुख्यमंत्री बनाया।
योगी आदित्यनाथ के पांच साल के कुशल प्रशासक के तौर पर जो जो काम किये हैं उनको सामाजिक कार्यकर्ता और हिल-मेल पत्रिका की प्रबंध निदेशक और इस पुस्तक की लेखिका चेतना नेगी ने अपनी पुस्तक ‘योगी रामराज्य’ में समेटा है। जिसमें उन्होंने योगी सरकार के अहम फैसलों का जिक्र किया है। इस पुस्तक का विमोचन शनिवार को दिल्ली के कॉस्टीट्यूशन क्लब में केन्द्रीय मंत्री वीके सिंह, उत्तराखंड के पूर्व सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत, यूपी के गन्ना विकास एवं चीनी मिल मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी और उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव नवनीत सहगल ने किया।
इस अवसर पर एनडीएमए के सदस्य राजेंद्र सिंह ने कहा कि योगी रामराज्य का उन्होंने बहुत बखूबी तरीके से वर्णन है और अगर मैं अपने शब्दों में कहूं तो रामराज्य का मतलब है सर्वांगीण विकास जो हमें उत्तर प्रदेश में देखने को मिला है ऊपर से लेकर नीचे तक सबका विकास। 2017 से लेकर अब तक आपदा प्रबंधन की कई मीटिंगे जो अभी तक नहीं हो पाई थी वह योगी आदित्यनाथ ने करवाई। वह एक ऐसे मुख्यमंत्री है जिन्होंने लखनऊ में एक इमरजेंसी सेंटर का निर्माण करवाया और साथ ही साथ उन्होंने 75 जिलों में भी आपदा प्रबंध को मजबूत बनाया और उसे राज्य और सेंटर से कनेक्ट किया। कोविड काल के समय 18,140 कोविड स्केनिंग सेंटर उत्तर प्रदेश में खोले गये जिसमें 36 करोड़ लोगों को वहां पर स्क्रीन टच किया गया। इसके साथ ही 3225 कमेनिटी सेंटर उस दौरान खोले गये जिसमें कि छः करोड़ से ज्यादा लोगों को भोजन उपलब्ध कराया गया।
उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री लक्ष्मी नारायण चौधरी ने इस मौके पर कहा रामराज्य की परिकल्पना एक आदर्श व्यवस्था का प्रतीक है। रामराज्य ऐसे क्षेत्र की संपूर्ण परिभाषा है, जहां हर क्रियाकलाप एक दूसरे के सामंजस्य से पूरा होता है। रामराज्य की संकल्पना जनहित और सर्वसमावेशी व्यवस्था पर आधारित है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का पदभार संभालने के बाद पांच वर्ष की अवधि में महंत योगी आदित्यनाथ ने सांस्कृतिक, सामाजिक, आर्थिक और शैक्षणिक व्यवस्था में आमूल-चूल परिवर्तन किए और एक कल्याणकारी राज्य की अवधारणा को मूर्त रूप दिया।
अपर सचिव नवनीत सहगल ने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने अपने पांच वर्ष के शासन के दौरान उत्तर प्रदेश को अपने सांस्कृतिक वैभव के विराट स्वरूप के दर्शन कराए और आधुनिक राज्य की पहचान को वैश्विक स्तर पर आगे बढ़ाया। विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं की आम जनमानस तक सहज सुलभता और विकास के नए कीर्तिमान उस रामराज्य की अवधारणा को प्रदर्शित करते हैं, जिसमें जनकल्याण ही सर्वोपरि है। पांच वर्ष के दौरान सत्ता की दृढ़ता, दूरदर्शिता, सजग प्रबंधन, संवेदनशीलता से परिस्थितियां ऐसे परिवर्तित हुई कि उत्तर प्रदेश उद्योगपतियों, पूंजी निवेशकों, कॉरपोरेट सेक्टर का सर्वप्रिय राज्य बन गया है।
इस अवसर पर उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि उत्तर प्रदेश जैसे विशाल प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में आपने – कठोर परिश्रम, कड़क कार्यशैली, निर्भीक निडर निर्णयशक्ति, माफिया, गुंडाराज, भ्रष्टाचार पर कठोर कार्यवाही कर कानून का राज स्थापित कर – उत्तर प्रदेश को बीमारू राज्य की श्रेणी से बाहर कर देश के अग्रणी राज्यों की पंक्ति में ला खड़ा किया है। प्रदेश में आम जनमानस के जीवन की आधारभूत जरूरतों जैसे – सड़क, बिजली, पानी, राशन, रोजगार, स्वास्थ्य, शिक्षा, सुरक्षा… के लिए सरकारी योजनाओं का बिना भेदभाव के समाज के सभी वर्गों के विकास के लिए कार्य किया है तथा रामराज्य की अवधारणा को चरितार्थ किया है।
मुख्य अतिथि के तौर पर केन्द्रीय मंत्री जनरल वीके सिंह कहा कि वास्तव में ‘रामराज्य’ है क्या ? ‘रामराज्य’ का सबसे बड़ा आधार है – जनता व सरकार के बीच अटूट विश्वास – जहां पूर्व की सरकारों में भ्रष्टाचार, अपराध, भाई भतीजावाद इत्यादि बुराइयों के कारण राजनेताओं व जनता के बीच अविश्वास की स्थिति रही है। आम जनमानस में सरकार व राजनेताओं के प्रति नकारात्मक भावना थी। वहीं विगत पांच वर्षों में योगीजी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के शासनकाल में – जनता व शासन के बीच पूरी समाप्त हुई है। सरकार में जनता का विश्वास पैदा हुआ है, समाज का हर वर्ग चाहे – बच्चे, महिलाएं, युवा, व्यापारी, कारोबारी… सभी में सुरक्षा की भावना पैदा हुई है, जनता में आत्मविश्वास पैदा हुआ है और इस का आधार है – ‘योगी आदित्यनाथ’।
इस अवसर पर पुस्तक की लेखिका चेतना नेगी ने कहा कि जैसा कि पुस्तक के शीर्षक ‘रामराज्य’ से ही स्पष्ट है कि – न्याय का शासन’ अर्थात् जो सबके साथ न्याय करे जो अन्याय को न सहे… तथा समाज के सभी वर्गों का कल्याण, सभी वर्गों का बिना भेदभाव के लोक कल्याणकारी शासन व्यवस्था। उन्होंने कहा कि योगी आदित्यनाथ ने विगत पांच वर्षों भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री के अपने कार्यकाल में – अपनी कर्मठ, निर्भीक कार्यशैली से जो शासन व्यवस्था स्थापित की है उस ‘योगी माडल’ की चर्चा पूरे देश दुनिया में हो रही है। आज ‘योगी आदित्यनाथ’ – सुसाशन का प्रयाय बन गए हैं।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए प्रभात प्रकाशन के प्रभात कुमार ने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पांच साल के सुशासन पर आधारित पुस्तक ‘योगी रामराज्य’ की लेखिका चेतना नेगी मूल रूप से सामाजिक सरोकारों को समर्पित रही हैं। प्रभात कुमार ने कार्यक्रम में शामिल सभी लोगों का धन्यवाद व्यक्त किया। इस अवसर पर एनडीएमए के सदस्य राजेंद्र सिंह, आईटीबीपी के एडीजी मनोज रावत, एयर मार्शल वीपीएस राणा, बजाज गु्रप के पूर्व एडवाइजेर टीसी उप्रेती, तारिणी रावत, उत्तर प्रदेश बीजेपी के राज्य सचिव डॉ चन्द्र मोहन, आईटी उद्यमी सुकेश नैथानी, दिल्ली में उत्तराखंड सेल के अध्यक्ष अर्जुन राणा, जीएस रावत आदि अनेक गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।
चेतना नेगी की बाल्यकाल में लखनऊ में भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी से कई बार भेंट हुई। उन्होंने देहरादून से बारहवीं की शिक्षा प्राप्त करने के बाद गढ़वाल विश्वविद्यालय से संबंद्ध एम.के.पी. कॉलेज से 2001 में स्नातक और 2003 में अर्थशास्त्र मे स्नातकोत्तर किया। इसके बाद 2008 में सिक्किम मणिपाल यूनिवर्सिटी से एम.बी.ए. की डिग्री हासिल की। पांच साल नोयडा स्थित एमिटी यूनिवर्सिटी में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर के रूप में अध्यापन कार्य भी किया। चेतना नेगी ने सामाजिक सरोकारों को लेकर एक बड़ी पहल करते हुए 2012 में ‘हिलमेल फाउंडेशन’ की स्थापना की। वह इस फाउंडेशन की संस्थापक और संचालक हैं। इस संस्था की ओर से बड़े पैमाने पर उत्तराखंड में रिवर्स पलायन की मुहिम चलाई जा रही है। वह दिल्ली और देहरादून से प्रकाशित होने वाली मासिक पत्रिका ‘हिल-मेल’ की प्रबंध निदेशक भी हैं। परिवार में उनकी एक बेटी सारा हैं। चेतना नेगी के पिता स्व. जे.बी. सिंह सत्र न्यायाधीश रहे हैं और माता महेंद्र कुमारी झांसी से हैं।