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साझा लापरवाहियों और भ्रष्टाचार का परिणाम था चमोली एसटीपी बिजली हादसा


गोपेश्वर, 30 जुलाइ (गुसाईं)। चमोली एसटीपी बिजली हादसे में अपराधिक लापरवाही की पोल आखिर कार खुल ही गयी। इस अक्षम्य लापरवाही में न केवल प्लांट का संचालन और रखरखाव करने वाली कंपनियां बल्कि पावर कारपोरेशन और पेयजल निगम के कारिन्दों की संलिप्तता पायी गयी।जांच में इन फर्मों के अलावा भास्कर महाजन की फर्म को भी हादसे के लिए जिम्मेदार माना गया है। इस हादसे में 17 लोगों की मौत हो गयी थी।

चमोली के एडीएम अभिेषेक त्रिपाठी के नेतृत्व में हुयी चमोली एसटीपी बिजली हादसे की मजिस्ट्रेटी जांच की रिपोर्ट में जो लापरवाहियां सामने आई हैं वे बेहद गंभीर प्रवृत्ति की हैं।मजिस्ट्रेटी जांच में एसटीपी में कई सुरक्षा मानकों का सरासर उल्लंघन पाया गया है। पेयजल और पावर कार्पोरेशन के जिन अफसरों पर प्लांट के नियमित निरीक्षण और कांट्रेक्ट की शर्तों का पालन कराने की जिम्मेदारी थी, वो भी एसटीपी की ओर से आंखे मूंदे रहे। प्लांट की नियमित जांच होती रहती तो 16 लोगों को जान न गंवानी पड़ती।

मजिस्ट्रेटी जांच में पेयजल और पावर कारपोरेशन कार्मिकों के खिलाफ भी कार्रवाई की सिफारिश की गई है। जांच में पाया गया कि कंपनी से कांट्रेक्ट करने के अधिकारियों ने भारी लापरवाही की। यदि कांट्रेक्ट की शर्तों का पूरी तरह से पालन होता तो हादसे से बचा भी जा सकता था। कांट्रेक्ट की शर्तों को पालन कराने में नाकाम रहे और नियमित निरीक्षण न करने वाले अफसरों के खिलाफ विभागीय कार्यवाही की जाए। एसटीपी के संचालन और रखरखाव के बिल संदिग्ध होने के बावजूद भुगतान किया जाता रहा। उन अफसरों पर कार्रवाई हो।

चमोली करंट हादसा मामले में जांच अधिकारी एडीएम डॉ. अभिषेक त्रिपाठी ने 175 पन्नों की जांच रिपोर्ट में 39 लोगों के बयान दर्ज किए हैं। हादसे के लिए ज्वाइंट वेंचर फर्म को मुख्य रूप से जिम्मेदार बताया गया है। जांच अधिकारी ने संस्तुति की है कि नमामि गंगे कार्यक्रम को लेकर ज्वाइंट वेंचर के साथ अनुबंध को निरस्त किया जाए।

जांच में पाया गया कि ज्वाइंट वेंचर कंपनी और पेयजल निगम व जल संस्थान के बीच एसटीपी के संचालन के लिए हुए कांट्रेक्ट का उल्लंघनहुआ। कांट्रेक्ट के अनुसार प्लांट में कार्मिकों की नियुक्तियां नहीं की गयीं। एक्सिस पावर कंट्रोल्स के निदेशक का ज्वाइंट वेंचर फर्म से अधिकृत न होने के बावजूद एसटीपी में दखलंदाजी थी। रखरखाव के कंपनी द्वारा जल संस्थान- गोपेश्वर को दिए गए बिल भी विश्वसनीय नहीं पाये गए।

मजिस्ट्रेटी जांच में कुछ कठोर संस्तुतियां भी गयी हैं ताकि दोषियों कोउचित सजा मिल सके और भविष्य में ऐसी मानव संहार के लिए जिम्मेदार लापरवाही न हो सके-

  • ज्वाइंट वेंचर फर्म (जयभूषण मलिक कांट्रेक्टर और मैसर्स कांफिडेंट इंजीनियर इंडिया प्राइवेट लिमिटेड) के साथ हुए कांट्रेक्ट को तत्काल निरस्त करते हुए फर्म को राज्य में ब्लैक लिस्ट किया जाए। इनके साथ ही एक्सिस पॉवर कंट्रोल्स को भी राज्य स्तर पर तीनों कंपनियों को राष्ट्रीय स्तर पर ब्लैक लिस्ट किया जाए
  • कांट्रेक्ट की शेष अवधि में कांट्रेक्ट के अधीन सभी एसटीपी के आपरेशन और मेन्टिनेंस पर आने वाले खर्च, मरम्मत इत्यादि पर होने वाले कुल व्यय को कंपनी से भू राजस्व की तरह वसूला जाए
  • उत्तराखण्ड पेयजल निगम को दी गई 110.75 लाख की बैंक गारंटी को जब्त किया जाए
  • हादसे के लिए ज्वाइंट वेंचर फर्म को दोषी पाते हुए दंडात्मक कार्रवाई और एक्सिस पावर कंट्रोल्स के निदेशक भास्कर महाजन के खिलाफ दंड़ात्मक कार्रवाई

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