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भारतीय सिनेमा की बढ़ती लोकप्रियता पर चर्चा : भारतीय सिनेमा का विशेष आकर्षण ही लोगों को इसकी ओर आकर्षित करता है

 

  • The charm of Indian Cinema is the reason why people are attracted to it: Rahul Rawail
  • Emotions are always Universal: Asha Parekh
  • The uniqueness of film festivals around the world lies in the fact that they give platforms to offbeat films: Ramesh Sippyawail

—- uttarakhandhimalaya.in —-

शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) फिल्म महोत्सव में आयोजित अब तक का पहला संवाद सत्र खचाखच भरा रहा। एससीओ क्षेत्र में भारतीय सिनेमा की बढ़ती लोकप्रियता पर चर्चा पैनलिस्ट फिल्म निर्माता एवं लेखक राहुल रवैल; फिल्म निर्माता रमेश सिप्पी और जानी-मानी अभिनेत्री आशा पारेख ने की। व्हिसलिंग वुड्स इंटरनेशनल के उपाध्यक्ष चैतन्य चिंचलीकर इस सत्र के संचालक थे। पैनलिस्टों ने उन कारकों पर चर्चा की जो भारतीय सिनेमा को इतना प्रिय बनाते हैं और इसके साथ ही उन्‍होंने समस्‍त तरह के सांस्कृतिक प्रभावों के बारे में चर्चा की।

इस सत्र के दौरान पैनलिस्टों ने इस क्षेत्र के लोगों के साथ भारतीय सिनेमा के विशेष जुड़ाव के बारे में चर्चा की। राहुल रवैल ने उदाहरण दिया कि राज कपूर को न केवल यूएसएसआर, बल्कि ईरान और तुर्की के लोग भी काफी पसंद किया करते थे। रमेश सिप्पी ने इस बारे में विस्तार से बताते हुए कहा कि सिनेमा में किरदारों की सादगी से ही पूरी दुनिया की सीमाओं को मिटाना संभव हो पाया है। आशा पारेख ने इस तरह के व्‍यापक जुड़ाव का श्रेय संगीत को दिया।

 

रमेश सिप्पी ने ‘चांदनी चौक टू चाइना’ बनाने के अपने अनुभवों के बारे में भी बताया। चीनी नागरिकों के मेहनती और सहयोगी स्वभाव को देखकर वे मंत्रमुग्ध हो गए थे। यही कारण है कि एससीओ क्षेत्र फिल्म निर्माण के मामले में कहीं अधिक अनुकूल हो गया है। उन्होंने चीनी सिनेमा में कुंग-फू और एक्शन दृश्यों की भरमार की भी सराहना की।

 

राहुल रवैल ने कहा कि भारतीय सिनेमा का विशेष आकर्षण ही लोगों को इसकी ओर आकर्षित करता है। जहां तक आशा पारेख और रमेश सिप्पी का सवाल है, उन्‍होंने कहा कि भावनाएं हमेशा सभी को प्रभावित करती हैं। चीन में ‘सीक्रेट सुपरस्टार’ जैसी फिल्मों की लोकप्रियता इस बात का प्रमाण है कि कैसे समाज में व्‍याप्‍त कोई गलत सोच या परंपरा पूरे क्षेत्र के लोगों के लिए एक आम विभाजक हो सकती है।

 

आशा पारेख ने पश्चिमीकरण की प्रक्रिया धीमी करके भारतीय फिल्मों में भारतीयता को निरंतर जीवंत रखने पर विशेष जोर दिया। रमेश सिप्पी ने विशेष जोर देते हुए कहा कि भारतीयता को बरकरार रखते हुए दुनिया भर में संभावनाएं तलाशने के लिए उतनी ही उत्सुकता भी दिखानी चाहिए।

एससीओ फिल्म महोत्सव में और क्‍या जोड़ा जाना चाहिए, उसके बारे में पैनलिस्ट इस पर एकमत थे कि फिल्म निर्माण में बेहतर सहयोग के माध्यम से इस क्षेत्र के लोगों को भूगोल और समाज के बारे में कहीं अधिक जानने की जरूरत है। रमेश सिप्पी ने यह भी बताया कि दुनिया भर में फिल्म महोत्सवों की विशिष्टता इस तथ्य में निहित है कि वे लीक से हटकर फिल्मों को सटीक प्लेटफॉर्म मुहैया कराते हैं जिन्हें अन्यथा नजरअंदाज कर दिया जाता है।

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