कांग्रेस ने बेरोजगार युवाओं के मानसिक उत्पीड़न का आरोप लगाया
देहरादून, 6 जून -उत्तराखंड कांग्रेस की मुख्य प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने प्रदेश की धामी सरकार और कर्मचारी चयन आयोग पर उत्तराखंड के बेरोजगार युवाओं का मानसिक उत्पीड़न और आर्थिक शोषण करने का आरोप लगाया।
गुरुवार को प्रदेश मुख्यालय प्रेस वार्ता करते हुए दसौनी ने कहा की उत्तराखंड अधीनस्थ चयन आयोग के द्वारा ग्राम विकास अधिकारी एवं समाज कल्याण अधिकारी के लिए जो परीक्षा 4 और 5 दिसंबर 2021 को आयोजित की गई थी वह परीक्षाएं नकल की भेंट चढ़ गई और रद्द कर दी गई ।अब उस परीक्षा को पुनः कराने के लिए 9 जुलाई की तारीख सुनिश्चित की गई है। किंतु उत्तराखंड में इस वक्त कावड़ यात्रा जोरों पर है और 9 जुलाई को परीक्षा रखी गई है जिसमें रुड़की, हरिद्वार, देहरादून और ऋषिकेश के परीक्षार्थियों के परीक्षा केंद्र 200 से 250 किलोमीटर की दूरी पर दिए गए हैं। इस तरह से कई परीक्षार्थी कावड़ यात्रा के समय यातायात व्यवस्था पूरी तरह से चरमरा जाने से परीक्षा केंद्रों तक समय से नहीं पहुँच पाएंगे।
दसौनी ने कहा कि आयोग के द्वारा परीक्षा केंद्र का चयन करते समय लापरवाही बरती गई है। आयोग को कैलेंडर जारी करने से पहले कावड़ यात्रा के बारे में जानकारी होते हुए भी इस तरह की चूक किस लिए की गई । लगता है आयोग केवल इस परीक्षा को कराकर अपनी जिम्मेदारी से मुक्त होना चाहता है। दसौनी ने कहा की आयोग को चाहिए कि वह 9 तारीख की परीक्षा को स्थगित कर कई व्यवहारिक तिथियां तय करे। दसौनी ने कहा की आयोग को छात्रों के हित को ध्यान में रखते हुए एवं कांवड़ यात्रा के दौरान यातायात असुविधा को देखते हुए इस परीक्षा को पुनः आयोजन करके महाशिवरात्रि के बाद इस परीक्षा को आयोजित करना चाहिए। आयोग को परीक्षार्थियों की आर्थिक कठिनाईयों को तथा दिव्यांग अभ्यर्थियों की सुविधा को भी ध्यान में रखना चाहिए।साथ ही आयोग को महिला परीक्षार्थियों की समस्या को भी समझना चाहिए महिला परीक्षार्थी अपने शहर से 200 किलोमीटर दूर जाने में असमर्थ होती हैं एवं उनके साथ सुरक्षा की भी समस्या रहती है।
साथ ही साथ दसोनी ने प्रेस वार्ता के दौरान सुबे के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से अब उत्तराखंड के समान नागरिकता कानून का भविष्य जानना चाहा ।दसोनी ने कहा कि हतप्रभ करने वाली बात है कि समिति ने जब 5 दिन पहले ही मसौदा तैयार हो जाने की बात कही थी तो अभी तक वह ड्राफ्ट मुख्यमंत्री तक क्यों नहीं पहुंचा और मुख्यमंत्री बताएं कि यूसीसी के लिए महीनों से चल रही कवायद और समिति पर करोड़ों रुपया बहाने के बाद अब उत्तराखंड के यूसीसी का क्या होगा?