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कम्युनिस्टों एवं क्रान्तिकारियों की कर्मस्थली है,देहरादून

– अनन्त आकाश

अपनी विशिष्ट भौगोलिक, सामाजिक और राजनीतिक परिस्थितयों के कारण देहरादून सदैव सामाजिक और राजनीतिक चेतना का केन्द्र रहा है। पंजाब और उत्तर प्रदेश के बीच में होने के कारण जहां देहरादून में पेशावर और कश्मीर तक के कार्यकर्ताओं और क्रांतिकारियों का आना जाना होता था वहीं उत्तराखण्ड के रास्ते भी देहरादून और ऋषिकेश से गुजरते थे। इसी देहरादून में रासबिहारी बोस जैसे महान क्रांतिकारी रास बिहारी बोस ने एफआरआइ में नौकरी के दौरान वायसराय पर बम फेंकने की योजना बनायी थी जिसमें उनके साथी बसन्त कुमार को फांसी हो गयी थी। इसी देहरादून को अन्तर्राष्ट्रीय कम्युनिस्ट आन्दोलन के पुरोधा एम.एन.राय ने अपना स्थाई ठिकाना बनाया था। उनकी टिहरी के आन्दोलन में भी प्रमुख भूमिका रही। इसी देहरादून को क्रांतिकारी राजा महेन्द्र प्रताप ने अपनी राजनीतिक कर्मस्थली बनाया था। इसी देहरादून से पहा़ड़ के कम्युनिस्ट आन्दोलनों को प्रेरणा और शक्ति मिलत रही।

 

ब्रिटिश काल से ही देहरादून में चाय, चूना, बल्ब एक प्रमुख उद्योग रहा। यहाँ काम करने वाले कामगारों के हितों के मुद्दे लेकर वामपंथी कम्युनिस्ट नेता लगातार काम कर रहे थे। बृजेन्द्र गुप्ता उस समय अविभाजित कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख नेतृत्वकारी साथी थे। देश के विभाजन के बाद पाकिस्तान के पंजाब प्रांत व नार्थ वेस्ट फ्रंट से बहुत से शरणार्थी यहाँ आये। कुछ पूर्वी पाकिस्तान, जो अब बंगला देश है, वहाँ से भी यहाँ शरणार्थी आ कर बसे। इनमें से कुछ लोग प्रगतिशील वाम आंदोलन से भी जुड़े, जिन्होंने आगे चलकर देहरादून के मजदूर आंदोलन को एक नई गति प्रदान की। इनमें कामरेड मेलाराम, अमरनाथ आनंद, द्वारिकानाथ धवन, पुष्पराज चबाक, सुनीलचंद दत्ता, निताई घोष, सी0 बी0 मेहता सरीखे लोग थे जो मजदूर एवं प्रगतिशील आंदोलन के चमकते सितारे थे । इनमें से कुछ लो

MN Roy, a giant of International communist movemet and radical humanist spent rest of his life in DEhradun Balvir Road.

ग रिवोल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी से भी जुड़े रहे।

अविभाजित कम्युनिस्ट पार्टी का दफ्तर पल्टन बाजार में होता था . जो बाद में सीपीआई का दफ्तर भी रहा। सन् 1964 में सीपीएम का गठन हुआ। कामरेड मेला राम, कामरेड दलजीत, कामरेड गुरजीत आदि नेतृत्वकारी साथियों ने यहाँ मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी की बागडोर संभाली। इसी दौरान कामरेड गौतमदेव गर्ग पार्टी से जुड़े़। कामरेड गर्ग ने आजीवन कम्युनिस्ट आदर्शों को अंगीकार करके रखा है। शु

Raja Mahendra Prata who declared himself President of India and formed his government in exile in Afghanistan. He spent most of his life in Dehradun.

रुआती दौर में अफ्रीका हाउस कांवली रोड (नजदीक एस बी आई )में पार्टी का केन्द्र स्थापित हुआ। गुडरिच चाय बागान में कामरेड मेलाराम ने वहाँ के कामगारों को संगठित किया, वहाँ  के कामगार आज भी सीटू से जुड़े हैं। कांवली रोड के इस अफ्रीका हाउस में दलजीत और गुरजीत रहा करते थे। यहीं मेलाराम का कामरेड पूरणचन्द से भी संपर्क हुआ जो बल्ब फैक्टी में काम करते थे जो बाद में कामगारों के बड़े नेता बने तथा अन्त तक सीपीएम से जुड़े रहे। साथी वीरेन्द्र भण्डारी को भी पार्टी की सदस्यता इसी केन्द्र से दी गई थी जिनका परिचय पार्टी से कामरेड गुरजीत ने करवाया। आगे चलकर भण्डारी  सीटू मजदूर आंदोलन के अग्रिम पंक्ति के ने बने जो  अब हमारे बीच नहीं रहे । 80 के दशक से पूर्व कामरेड अर्जुन रावत के नेतृत्व में गन पाउडर फैक्टी यूनियन यहाँ के मजदूर आन्दोलन के विकास में उल्लेखनीय है ।

उन दिनों कुछ दिनों तक 1-तिलक रोड में नारंग साइकिल की दुकान से भी पार्टी केन्द्र चला। शायद साइकिल की दुकान के मालिक कामरेड मेलाराम के परिचित थे। इसी दौर में कामरेड विजय रावत भी पार्टी के संपर्क में आ गये थे। लोकल बस स्टैण्ड के आफिस के निर्माण में डाईवर, कण्डक्टर यूनियन द्वारा पार्टी को बुनियादी सहयोग मिला। इस यूनियन के अध्यक्ष रहे महाबीर नेगी ने बहुत कम कीमत पर पार्टी के लिए वर्ष 1983 में कार्यालय उपलब्ध कराया जो बाद को पार्टी निर्माण का महत्वपूर्ण केन्द्र बना। कामरेड रावत के आने के बाद पार्टी का तेजी से विकास हुआ । इससे पूर्व आई0 डी0 पी0 एल0 वीरभद्र ऋषिकेश में कामगार यूनियन के नेता कामरेड विपिन उनियाल के योगदान को भी कभी भुलाया नहीं जा सकता। वे शुरुआती देहरादून पार्टी के सेक्रेटरी भी रहे हैं।

Great revolutionary Ras Bihari bose who was employed in FRI Dehradun. He was fonder of INA too.

बर्ष 1982-83 में रास्ते की मांग को लेकर डुमरराव स्टेट के विरुद्ध कारबारी गाँव की ग्रामीण जनता का बहादुराना संघर्ष और उसमें पार्टी की नेतृत्वकारी भूमिका आज के पार्टी के निर्माण व किसान सभा के निर्माण का मुख्य आधार है। यूं कहें कि इस सम्पूर्ण क्षेत्र के विकास में यह आन्दोलन मील का पत्थर साबित हुआ ।कारबारी के इस जन संघर्ष में कामरेड भगवान सिंह पुण्डीर, गुसाईं सिंह जगवाण, कामरेड सुरेंद्र सिंह सजवाण, कामरेड राज शर्मा, पूरनचंद ,सुभाष चन्द्र चटर्जी आदि का योगदान भी याद करने योग्य है। सन् 1983 के देहरादून का भट्टा मजदूर आन्दोलन में पार्टी की ऐतिहासिक भूमिका उल्लेखनीय है। इस आन्दोलन के दौरान सहसपुर थाना पुलिस की दमनात्मक कार्रवाई में मजदूर नेता वीरेंन्द्र भण्डारी तथा एस एफ आई नेता अनन्त आकाश को पुलिसिया दमन का शिकार होना पड़ा। इस आंदोलन के कारण मजदूर वर्ग की ताकत के सामने तत्कालीन पर्वतीय विकास मन्त्री चन्द्र मोहन सिंह को माफी मांगनी पड़ी। आन्दोलन ने भट्टा मजदूरों के जीवन बदलने में महत्वपूर्ण योगदान दिया ।कांवली गांव जो हाल ही के दशकों तक सांमतशाही की जकड़ में था इससे मुक्ति के लिए पार्टी का संघर्ष उल्लेखनीय है ।सन् 1986 के ऐतिहासिक कर्मचारी आन्दोलन को नेतृत्व देने वाले साथी कामरेड डीपी भट्ट तथा कामरेड एस एस नेगी भी पार्टी के कतारों के ही हिस्से रहे हैं ।

BJP workers stormed in CPIM office in Dehradun 0n 11 October 2017 and attacked communist workers mercilessly.

देहरादून तथा पर्वतीय क्षेत्र में पार्टी विस्तार में 1982- 83 हेमवती नन्दन बहुगुणा का लोकसभा चुनाव पार्टी को स्थापित करने में मील का पत्थर साबित हुआ क्योंकि इस चुनाव में पार्टी ने कम ताकत के बावजूद बेहतरीन कार्य कर जनता के बीच अपनी पहचान बनायी।पोलिट व्यूरो सदस्य स्वर्गीय कामरेड हरकिशन सिंह सुरजीत,कामरेड सुनीत चोपड़ा उस दौर में देहरादून पार्टी के सम्पर्क में थे । पार्टी के नेतृत्वकारी साथियों ने पंचायत प्रमुख के रूप में अनेक बस्तियो को बसाने में अपना योगदान दिया। इसी दौर में बसी अधोईवाला में अनेक बस्तियां तथा गांधी ग्राम, चन्द्रशेखर आजाद नगर, आकाशदीप, नई बस्ती चुक्खुवाला क्रिशियन कालोनी,आदि प्रमुख हैं।

The author of these lines Anant Akash addressing his protesting party workers at the gate of Gandhi Park Dehradun.

सन् 1980 तथा सन् 1990 के दशक के दौरान मजदूर, किसान व नौजवान आंदोलन के साथ छात्र आंदोलन भी महत्वपूर्ण मुकाम पर था। एस0 एफ0 आई0 के गठन में प्रो0 वीरेन्द्र श्रीवास्तव, भगवती प्रसाद उनियाल, वेदिकावेद, संतोष श्रीवास्तव ,मोहन मन्दौलिया ,कलमसिंह लिंगवाल सहित अनेकों  की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। छात्रसंघों मे रहते हुऐ हमने जनकवि बाबा नागर्जुन ,ऐजाज अहमद ,आजाद हिन्द फौज की कमान्डर कैप्टन लक्ष्मी सहगल जैसी हस्तियों को बुलाना हमारे लिऐ गौरव की बात ।आज देहरादून में सुरेन्द्र सजवाण ,इन्दुनौडियाल ,शिवप्रसाद देवली ,राजेन्द्र पुरोहित ,कमरूद्दीन ,लेखराज आदि आज भी कम्युनिस्ट ,ट्रेड ,किसान तथा मजदूर आंदोलन के जाने पहचाने चेहरे बने हुये हैं। विपरीत परिस्थितियों के बावजूद छात्र आन्दोलन फिर से आफने को स्थापित करनी की ओर अग्रसर है ।समाज वैज्ञानिक चेतना की अलख जगाने के लिए कामरेड भट्ट के नेतृत्व में निरन्तर प्रयास जारी हैं ।आज देहरादून में कामरेड पूरनचंद के नाम पर एक भवन है।  पार्टी ने लगभग तीन वर्ष पूर्व सीमित साधनों के बावजूद बहुत कम समय में इस कार्यालय का निर्माण करवाया जिसके लिए देहरादून पार्टी निर्माण समिति जिसके अध्यक्ष कामरेड शिवप्रसाद देवली , पार्टी  के सभी साथियों तथा विशेष कर राज्य सचिव कामरेड नेगी जिन्होंने दिन-रात एक करके राज्य कार्यालय निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया ।

आज राजनैतिक परिस्थितियां प्रतिकूल होने के बावजूद भी आगे बढ़ने की पूरी संभावनायें बनी हुई हैं। संयुक्त किसान मोर्चे के नेतृत्व में किसान आंदोलन की सफलता ने हमें रास्ता दिखाया है। उम्मीद ही नहीं पूरा विश्ववास है कि हमारी पार्टी का नेतृत्व नई ऊर्जा व गति देने का महत्वपूर्ण ऐतिहासिक काम करेगा तथा साम्प्रदायिक एवं विभाजकारी तत्वों के खिलाफ चलाऐ जा रहे महत्वपूर्ण संघर्ष को निर्णायक मुकाम तक पहुंचाने का कार्य करेगा ।

नोट:- इस लेख के लिए पुराने ऐतिहासिक फोटो आमंत्रित हैं – संपादक 

 

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