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दिनेश चमोला “शैलेश” का मध्यप्रदेश में सम्मान

भोपाल, 30  अप्रैल। प्रख्यात हिंदी साहित्यकार, प्रोफेसर (डॉ ) दिनेश चमोला ‘शैलेश’ को हिंदी साहित्य की विभिन्न विधाओं में उल्लेखनीय योगदान हेतु अटल बिहारी हिंदी विश्वविद्यालय, भोपाल (मध्यप्रदेश) के कुलपति, प्रमुख हिंदी सेवी साहित्यकार प्रो. के.एएस. डहेरिया द्वारा स्मृतिचिह्न, अंगवस्त्र, पुष्पगुच्छ व श्रीफल देकर सम्मानित किया गया । प्रो. चमोला, हिंदी विभाग द्वारा आयोजित मौखिकी परीक्षा एवं – ‘अनुवाद चिंतन’ एवं ‘हिंदी की प्रयोजनीयता’ विषयक व्याख्यानों हेतु भोपाल पधारे थे । प्रो. डहेरी ने मौलिक सर्जनात्मक साहित्य, अनुवाद, राजभाषा तथा प्रयोजनमूलक हिंदी के क्षेत्र में प्रो. चमोला के राष्ट्रव्यापी योगदान पर उन्हें हार्दिक बधाई दी व कहा कि अपने महत्त्वपूर्ण साहित्यिक अवदान के लिए आपका देश विदेश की संस्थाओं द्वारा सम्मानित होना तथा अनेक विश्वविद्यालयों में आपके साहित्य पर पीएचडी स्तरीय शोधकार्य संपन्न होना गौरव का विषय है । इस व्याख्यान में विभिन्न विभागों के शिक्षक, विद्यार्थी एवं हिंदी प्रेमी उपस्थित रहे ।
 पिछले इकलीस (41) वर्षों से देश की अनेकानेक पत्र-पत्रिकाओं के लिए अनवरत लिखने वाले साहित्यकार प्रो.चमोला राष्ट्रीय स्तर पर साठ से अधिक सम्मान व पुरस्कार प्राप्त कर चुके हैं व तिरासी (83) मौलिक पुस्तकों के लेखक के साथ-साथ हिंदी जगत में अपने बहु-आयामी लेखन व हिंदी सेवा के लिए सुविख्यात हैं ।
ध्यातव्य है कि 14 जनवरी, 1964 को उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जनपद के ग्राम कौशलपुर में स्व.पं. चिंतामणि चामोला ज्योतिषी एवं  श्रीमती माहेश्वरी देवी के घर मेँ जन्मे प्रो. चमोला ने शिक्षा में प्राप्त कीर्तिमानों यथा एम.ए. अंग्रेजी, प्रभाकर; एम. ए. हिंदी (स्वर्ण पदक प्राप्त); पीएच-डी. तथा डी.लिट्. के साथ-साथ साहित्य के क्षेत्र में भी
राष्ट्रव्यापी पहचान निर्मित की है। अभी तक प्रो. चमोला ने उपन्यास, कहानी, दोहा, कविता, एकांकी,  बाल साहित्य, समीक्षा, शब्दकोश, अनुवाद, व्यंग्य, लघुकथा, साक्षात्कार, स्तंभ लेखन के साथ-साथ एवं  साहित्य की विविध विधाओं में लेखन किया है । आपकी चर्चित पुस्तकों में ‘यादों के खंडहर,  ‘टुकडा-टुकड़ा संघर्ष, ‘प्रतिनिधि बाल कहानियां, ‘श्रेष्ठ बाल कहानियां, ‘दादी की कहानियां¸ नानी की कहानियां, माटी का कर्ज, ‘स्मृतियों का पहाड़, ’21श्रेष्ठ कहानियां‘ ‘क्षितिज के उस पार, ‘कि भोर हो गई, ‘कान्हा की बांसुरी, ’मिस्टर एम॰ डैनी एवं अन्य कहानियाँ,‘एक था रॉबिन, ‘पर्यावरण बचाओ, ‘नन्हे प्रकाशदीप’, ‘एक सौ एक बालगीत, ’मेरी इक्यावन बाल कहानियाँ, ‘बौगलु माटु त….,‘विदाई,  ‘अनुवाद और अनुप्रयोग, ‘प्रयोजनमूलक प्रशासनिक हिंदी, ‘झूठ से लूट’, ‘गायें गीत ज्ञान विज्ञान के’ ‘मेरी 51 विज्ञान कविताएँ’ तथा ‘व्यावहारिक राजभाषा शब्दकोश’ आदि प्रमुख हैं।
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प्रो. चमोला ने 22 वर्षों तक चर्चित हिंदी पत्रिका “विकल्प” का भारतीय पेट्रोलियम संस्थान, देहरादून से संपादन किया है तथा दो बार इस पत्रिका को राष्ट्रपति से प्रथम व द्वितीय  पुरस्कार दिलाया है । आप देश के विभिन्न विश्वविद्यालयों, आयोगों व  संस्थानों की शोध समितियों ; प्रश्नपत्र निर्माण व पुरस्कार मूल्यांकन समितियों के सम्मानित सदस्य/विशेषज्ञ हैं।   प्रो. दिनेश चमोला ‘शैलेश’ वर्तमान में उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय, हरिद्वार में कुलानुशासक एवं अध्यक्ष,भाषा एवं आधुनिक ज्ञान विज्ञान विभाग, हैं तथा वर्तमान में गढ़ विहार, फेज-1, मोहकमपुर, देहरादून में रहते हैं ।

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