आपदा/दुर्घटनाब्लॉग

आपदा की चेतावनी और राहत

-by Piyoosh Rautela Jul 6, 2023

संता – भाई आपदा तो ठीक हैं, पर इनके कारण होने वाले नुकसान का क्या?

बंता – कहीं तुम नुकसान की भरपाई की बात तो नहीं कर रहे?

संता – एकदम ठीक पकड़ा तुमने।

बंता – ऐसे में तो भाई, सरकार हो या कोई और; उसका दिवालिया होना तय हैं।

संता – तब फिर?

बंता – आपदा को ले कर तो यही कहा जा सकता हैं कि सबसे पहले तो सावधानी बरतो ताकि नुकसान हो ही नहीं।

सही स्थान पर बसों, उपयुक्त तकनीक का उपयोग करो, विशेषज्ञों से विचार-विमर्श करो,

और साथ ही अपने घर व अन्य सम्पत्तियो का बीमा करवाओ।

संता – वैसे बीमा से तो बात बन सकती हैं।     

बंता – वो तो हैं, पर बीमा कम्पनी भी आँख बन्द कर के तो पैसा देने से रही।

संता – तुम भी भाई, हर चीज में नुक्स निकालने लगते हो।   

बंता – कुछ शर्ते तो रखनी पड़ेंगी न?

संता – जैसे कि?

बंता – अब वाहन की बात करे तो क्षति जान-बूझ कर नहीं होनी चाहिये,

वैध ड्राइविंग लाइसेंस होना चाहिये,

वाहन के क्षतिग्रस्त होने के स्थान पर वाहन चलाना प्रतिबन्धित नहीं होना चाहिये

या फिर क्षति जोखिम वाली परिस्थिति, जैसे कि रेस या रैली में नहीं होनी चाहिये।

संता – यह कुछ ज्यादा जटिल नहीं हो रहा हैं?

बंता – पैसे से जुड़ी चीजें ऐसी ही होती हैं।

फिर जान-बूझ कर लिये जाने वाले जोखिम का बोझ तो कोई भी वहन करने से रहा।

संता – वो तो ठीक हैं।

बंता – ठीक समझा तुमने, इसीलिये तो आत्महत्या की स्थिति में जीवन बीमा का लाभ नहीं मिलता हैं।

संता – ऐसे में क्या सुरक्षा हेतु दी जाने वाली चेतावनियों की अवहेलना जान-बूझ कर लिया गया जोखिम नहीं हैं ?

बंता – भाई अनजाने ही सही, पर बड़ी ही गूढ़ बात छेड़ दी तुमने।

संता – ऐसा क्या हो गया भाई?

बंता – मुझे तो लगता हैं कि अभी तक किसी बीमा कम्पनी ने इस पक्ष पर गहनता से विचार किया ही नहीं हैं।

संता – वैसे चेतावनी की अवहेलना हुवा तो जान-बूझ कर जोखिम लेना ही ?

बंता – तुम्हारे तर्क में निश्चित ही दम हैं।

ऐसे में चेतावनी मौसम विभाग ने दी हो या फिर आपदा विभाग ने।

दी गयी चेतावनी पर अमल न करने के कारण होने वाली क्षति के लिये तो न ही बीमा कम्पनी को कुछ देना चाहिये और न ही सरकार को।

संता – ऐसा होने से और कुछ हो या ना हो, लोग चेतावनियों को गम्भीरता से जरूर लेंगे।

बंता – बात तो तुम बड़े ही पते की कर रहे हो भाई।

संता – पर चेतावनी की अवहेलना जान-बूझ कर की गयी हैं, यह साबित होगा तो कैसे ?

बंता – आदमी की नीयत जान पाना या साबित कर पाना ही तो सबसे बड़ी महाभारत हैं, और हमारा सारा का सारा दंड विधान इसी पर तो टिका हैं।

संता – वैसे इस बारे में कुछ तो किया ही जाना चाहिये।

बंता – अब देखा जाये तो आज हर किसी चीज के लिये एक एप हैं; खाना मंगाने से वाहन किराये पर लेने तक।

ऐसे ही चेतावनी को लोगो तक पहुँचाने के लिये भी एप हैं – वो है ना उत्तराखण्ड का भूकम्प अलर्ट या फिर मौसम विभाग का दामिनी एप।

संता – पर एप से चेतावनी मिलने के बाद की गयी प्रतिक्रिया का पता कैसे चलेगा ?

बंता – प्रतिक्रिया को छोड़ो, चेतावनी मिली या नहीं इतना तो पता चल ही जायेगा।

और इसके लिये एप को मोबाइल पर इनस्टॉल करने को बीमा करवाने की एक शर्त बनाया जा सकता है।

संता – इससे चेतावनी भी ज्यादा से ज्यादा लोगो तक पहुँच पायेगी।

बंता – सैद्धान्तिक रूप से तो ठीक हैं, पर इसमें कुछ व्यावहारिक कठिनाइयाँ भी हैं।

संता – वो क्या?

बंता – अब चेतावनी देने वाली इतनी सारी संस्थायें हैं – मौसम विभाग, जल आयोग, आपदा प्राधिकरण और भी ना जाने कितने?

आखिर कोई एप इनस्टॉल करेगा भी तो कितने? यह तो अपने आप में एक बड़ा सिरदर्द बन जायेगा।

संता – पर केवल सिरदर्द से बचने के लिये तो इसे नहीं छोड़ा जा सकता?

आखिर हर प्रकार की चेतावनी के लिये एक अकेला मोबाइल एप भी तो बना सकते हैं?

बंता – ये हुयी ना बात। एक अकेला एप – जिसे चेतावनी देनी हैं इसी के माध्यम से दे।

संता – पर बिना डंडे के तो यह होने से रहा।

बंता – हाँ, नियम-कानून के बिना तो होने से रहा।

संता – पर ये सब करेगा कौन?

बंता – अब करना तो राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण को ही पड़ेगा।

संता – मतलब कि हर तरह की चेतावनी के लिये एक अकेला एप और इस एप के बिना चेतावनी प्रसारण पर प्रतिबन्ध।

बंता – फिर बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण के माध्यम से इस एप को व्यक्ति के मोबाइल पर इनस्टॉल करना बीमा करवाने की एक शर्त बना दी जाये।

और बीमा लाभ देते समय मृत्यु प्रमाण पत्र की ही तरह यह भी सुनिश्चित किया जाये कि मृत्यु के समय यह एप सम्बन्धित व्यक्ति के मोबाइल पर इनस्टॉल था।

संता – इसी तरह क्या राष्ट्रीय आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण विभिन्न वित्तीय संस्थाओ से लिये गये लोन से बनने वाली अवसंरचनाओं में आपदा सुरक्षा मानकों व तकनीकों का समावेश अनिवार्य भी तो कर सकता हैं ?

बंता –  अब करने को तो राष्ट्रीय प्राधिकरण बहुत कुछ सकता हैं, पर आज के लिये एक मुद्दा ही काफी हैं।

अभी इसी पर बात कुछ आगे बढ़ जाये, फिर बाकी भी करते हैं।

 

(The post आपदा की चेतावनी और राहत appeared first on Risk Prevention Mitigation and Management Forum.)

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