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अफसरों और नेताओं की अकर्मण्यता, शिथिलता से नहीं बन पा रहा कतेडा नदी पर पुल

–रिखणीखाल से प्रभुपाल रावत —

विभागीय अधिकारियों की अकर्मण्यता, शिथिलता  और अड़ियल रवैये के कारण कतेडा नदी पर  24 मीटर पैदल पुल का निर्माण न होने से आधा दर्जन गावों के  स्कूली बच्चों और आम नागरिकों को या तो जान जोखिम में डाल कर नदी पार करनी पड़ रही है या काफी लम्बा रास्ता तय कर गंतव्य तक पहुंचना पड़ रहा है।

रिखणीखाल प्रखंड के ग्राम पंचायत मुछेलगाँव और ग्राम पंचायत द्वारी के तोक पातल नामक जगह के मध्य कतेडा नदी बहती है, जो कि बरसात के दिनों में अपना भयंकर रौद्र रूप ले लेती है। ग्राम पंचायत मुछेलगाँव के अन्तर्गत ग्राम गाजा,गलैगाँव,डिन्ड,डबराड आदि गाँवो के दर्जनों स्कूली छात्र छात्राये राजकीय इन्टर कॉलेज द्वारी को पैदल ही शिक्षा ग्रहण करने जाते हैं व आम नागरिक,कृषक अपने कृषि भूमि कार्य इसी नदी से गुजरते है।उनको नदी पार करने में बड़ी परेशानी होती है।नदी में भयंकर बाढ़ आ जाती है,इस हालत में नदी को पार करना जोखिम भरा कदम है।

इसी परिप्रेक्ष्य में स्थानीय लोगों ने  सांसद गढवाल तीरथ सिंह रावत से मांग की थी कि उन्हें 24 मीटर पैदल पुल की आवश्यकता है तो सांसद महोदय ने अक्टूबर 2020 में हामी भर दी।लोक निर्माण विभाग लैंसडौन ने ऑकणन बनाकर जिला विकास अधिकारी पौड़ी को भेज दिया।उसके पश्चात पौड़ी से प्रस्ताव पत्रांक 1646/12(20)याता ( लैंसडौन) पौड़ी 2021 दिनांक 24/04/2021 को प्रमुख सचिव लोक निर्माण विभाग,सचिवालय देहरादून को स्वीकृति के लिए भेजा।

सम्पर्क करने पर प्रमुख सचिव के कार्यालय से जानकारी दी गई कि जब तक विधायक/सांसद व मुख्य मंत्री से निर्देश नहीं मिलेगे तब तक यह प्रस्ताव पास नहीं होगा।उस समय विधायक के अनुपलब्ध होने पर माननीय सांसद से दिनांक 20/05/2022 को प्रमुख सचिव को प्रस्ताव भेजा।

अब जब सचिवालय में पता करते हैं तो वे कहते हैं कि बजट नहीं है,कहीं से बचेगा तो करेगें। फिर दो माह बाद पता करते हैं तो कहते हैं कि अब नया बजट आयेगा तो तब होगा।फिर एक पत्र माननीय सांसद से भिजवाया तो भी कुछ हरकत नहीं हुई।अब फोन करते हैं तो कोई फोन उठाने को राजी नहीं है। ये है उत्तराखंड के सचिवालय की कहानी,कोई काम करना नहीं चाहता।अब ऐसे में सन 2025 तक उत्तराखंड देश का नम्बर वन राज्य कैसे बनेगा?अगर यही चाल ढाल व रवैया रहा तो।ऐसी हालत में तो सांसद की भूमिका भी नगण्य है,जो कि राज्य के पूर्व मुख्य मंत्री भी रह चुके हैं।कहने को तो सरल है कि सचिवालय में अब पास बनाना हुआ आसान,लेकिन पास बनाने के लिए अग्निवीर से भी ज्यादा तपस्या व दौड़ भाग करनी होती है।क्या यही पारदर्शिता है?

क्या अब  मुख्य मंत्री जी व लोक निर्माण विभाग इस 24 मीटर पैदल पुल निर्माण कार्य का संज्ञान लेगें तथा कार्य को अंजाम तक पहुंचायेगे।

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