पहाड़ों में कई क्षेत्रों से चुनाव वहिष्कार की धमकियों ने खोली विकास के दावों की पोल ; शासन-प्रशासन की सांस अटकी
-रिपोर्ट हरेंद्र बिष्ट-
थराली/देवाल। आगामी लोकसभा चुनावों थराली एवं देवाल विकास खंडों के 8 गांवों के ग्रामीणों के द्वारा मतदान का बहिष्कार करने की चेतावनियों से आखिरकार प्रशासन कैसे निपटेगा। हालांकि प्रशासन ने मतदान करने के लिए ग्रामीणों को मनाया शुरू कर दिया है, किंतु अभी तक ग्रामीण मतदान का बहिष्कार करने पर अडिग बने हुए हैं। चूकि अब फैसला जनता के हाथ में है इसलिए पहाड़ों में चुनाव वहिष्कार की धमकियों से जनता का गुस्सा जहाँ तहां फूट रहा है। अपने को हाक़िम समझ बैठे लोगों के पास गिड़गिड़ाने के सिवा कुछ नहींं है। चमोली के ही पोखरी ब्लॉक से भी कुछ स्थानों से चुनाव वहिष्कार की धमकियां आती रही हैं ।
थराली विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत पीछे 3-4 महिनों से नगर पंचायत थराली के अंतर्गत देवराड़ा एवं भेटा वार्ड के नागरिकों ने नगर पंचायत थराली पर भेदभाव का आरोप लगाते हुए दोनों ही वार्डों को पुनः ग्राम पंचायत का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर आंदोलित है।इन दोनो ही वार्डों के नागरिकों ने प्रशासन को बकायदा लोकसभा सहित अन्य चुनावों के बहिष्कार की चेतावनी दी है।
देवराड़ा वार्ड के नागरिकों ने तो गांव में चुनाव प्रचार करने तक को मना करते हुए क्षेत्र के मुख्य मार्गों पर पोस्ट एवं काले झंडे लगा दिए थे जिसे तहसील प्रशासन ने हटा दिए हैं।इसी तरह थराली गांव के नागरिकों ने भी बीते बरसात में भैकलताल क्षेत्र में बादल फटने से थराली-पैनगढ़ मोटर सड़क पर प्राणमती नदी के ऊपर बने मोटर पुल के स्थान पर नए पुल का निर्माण किए जाने अथवा वैली ब्रिज का निर्माण कार्य किए जाने की मांग को लेकर चुनाव बहिष्कार की घोषणा की हुई हैं।इसी विकास खंड के अंतर्गत करीब करीब 4 माह तक यातायात सुविधा से वंचित रहे रणगांव के ग्रामीणों ने भी में बादल फटने के बाद आई बाढ़ के डुंग्री-रतगांव मोटर सड़क पर घटगाड़ गद्देरे में बने वैली ब्रिज के बहने के स्थान पर नया वैली ब्रिज का निर्माण किए जाने एवं सड़क को ठीक किए जाने की मांग करते हुए चुनाव बहिष्कार की चेतावनी दी हुई हैं।
इसी तरह अनुसूचित जाति बाहुल्य गांव लेटाल के ग्रामीणों ने भी गांव तक सड़क निर्माण की मांग को लेकर चुनाव बहिष्कार की चेतावनी प्रशासन को दी हुई हैं।इसके अलावा विकास खंड देवाल के अंतर्गत यातायात सुविधा से वंचित पड़े हुए दुरस्थ गांव बलाण ने गांव तक सड़क के निर्माण की मांग को लेकर चुनाव बहिष्कार की घोषणा की है।
इसी तरह आपदा के बाद कुलिंग गांव से दिदिना में विस्थापित हुए ग्रामीणों ने एवं बेराधार के अनुसूचित बाहुल्य गांव बमोटिया गांव के नागरिकों ने भी सड़क निर्माण एवं अन्य मूलभूत सुविधाओं को पूरा किए जाने की मांग को लेकर चुनावों के बहिष्कार करने की घोषणा की है।एक ओर चुनाव आयोग इस साल मतदान प्रतिशत बढ़ाने के लिए बड़े स्तर पर हरहाल में अपना मतदान करने के लिए नागरिकों एवं ग्रामीणों को जागरूक करने के लिए प्रचार,प्रसार कर रहा हैं,वही दो ब्लाकों के 8 गांवों के ग्रामीणों के द्वारा मतदान के बहिष्कार की चेतावनी के चलते प्रशासन के हाथ-पांव फूले हुए हैं।ऐनकैन प्रकारेण प्रशासन मतदान का बहिष्कार ना करने के लिए लोगों को मनाने के प्रयासों में जुटा हुआ है। इसमें उसे कितनी सफलता मिलती है यह तो मतदान दिवस 19 अप्रैल को ही पता लग पाएगा।
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थराली विधानसभा के सहायक रिटर्निंग ऑफिसर एवं थराली के उपजिलाधिकारी अबरार अहमद ने बताया कि जिन भी गांव ने समस्याओं को उठाते हुए चुनाव बहिष्कार की घोषणा की हैं। उनके संबंध में उच्चाधिकारियों एवं शासन को अवगत करा दिया गया है। वें स्वयंम, राजस्व विभाग के जिम्मेदार अधिकारी, संबंधित विभागीय अधिकारी, जोनर व सैक्टर मजिस्ट्रेट अपने, अपने स्तरों पर आंदोलित लोगों से वार्ता कर मतदान करने के लिए मनाने जुटे हैं । उन्होंने आशा जताई कि लोग मतदान करने के लिए तैयार हो जाएंगे।
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2018 में विधायक स्व मगन लाल शाह के आक्समिक निधन के बाद थराली विधानसभा में हुए उपचुनाव में देवाल ब्लाक के देवसारी गांव के ग्रामीणों ने गांव को सड़क से जोड़े जाने की मांग को लेकर विधानसभा उपचुनाव का पूर्ण बहिष्कार किया था।उस समय प्रशासन के लाख मनाने पर भी ग्रामीणों ने एक भी वोट नही डाला था और ईवीएम मशीन खाली लौटी थी।