गढ़वाल में नयी -नयी कांवड़ यात्रा के प्रति लोगों में उत्साह, कहीं शुरु तो कहीं समाप्त

Spread the love

-रिपोर्ट हरेंद्र बिष्ट-

थराली, 8 अगस्त। हरिद्वार पर केंद्रित ओरिजीनल कांवड़ यात्रा भले ही  गत 15 जुलाई को शिवरात्रि पर संपन्न हो गयी हो मगर पहाड़ों में कांवड़ यात्रा जगह जगह अब चल रही है। पहाड़ के लोगों ने पहले कांवड़ यात्रा का नाम तक नहीं सुना था इसलिए पहाड़ की मौलिक संस्कृति के प्रति चिंतित लोग नव जागरण पर सवाल भी उठाने लगे हैँ। कुछ लोग इसे पहाड़ी संस्कृति पर अतिक्रमण भी मान  रहे हैँ।

बद्रीनारायण सांस्कृतिक विद्यालय के बैनर तले सोमवार को रायकोली से निकाली गई कांवड़ यात्रा का मंगलवार को रायकोली गांव में हवन,यज्ञ एवं भंडारे के साथ समापन हो गया हैं।इस मौके पर भारी संख्या में शिव भक्तों ने इस आयोजन में प्रतिभाग किया।


सोमवार को रायकोली से निकली गई कांवड़ यात्रा देवाल के पिंडर एवं कैल नदी के पवित्र संगम से जल लेकर थराली से रायकोली के बीच छः शिवालयों में जलाभिषेक कर देर सांय रायकोली गांव स्थित नाराणेश्वर शिवालय पहुंची जहां पर कांवड़ पहुंचने के बाद रात्रि जागरण किया गया। और पूरी रात यहां पर भजन कीर्तन किया गया।आज सुबह से ही यहां नाराणेश्वर मंदिर में पूजा-अर्चना के साथ ही भवन कर यज्ञ किया गया। इसके बाद यहां पर एक भंडारे का आयोजन भी किया गया।

इस दौरान यज्ञ पूजा में बद्रीनारायण सांस्कृतिक विद्यालय के संस्थापक नवीन जोशी, प्रसिद्ध कथावाचिका राधिका जोशी केदारखंड़ी,सामाजिक कार्यकर्ता विनोद रावत, नारायण धार मंदिर के जीत सिंह फर्स्वाण,लक्ष्मण सिंह फर्स्वाण, सुदर्शन मनराल, शौर्य प्रताप सिंह रावत, आचार्य मोहित रतूड़ी, खुशहाल रावत,तुगेश्वर व्यापार संघ अध्यक्ष धनराज रावत,रायकोली की प्रधान पुष्पा देवी,ममंद अध्यक्ष संगीत देवी, चंद्रा देवी आदि ने सक्रिय भूमिका निभाई।आयोजक नवीन जोशी एवं राधिका जोशी ने बताया कि अगले साल इस आयोजन को और भी अधिक भव्य रुप से आयोजित किया जाएगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!