केदारनाथ के बाद अब बैकुंठ धाम बद्रीनाथ की हज़ामत, विशेषज्ञों की आशंकाएं बढ़ीं
-जयसिंह रावत
केदारनाथ धाम के भारी भरकम निर्माण कार्य पर सवाल उठाने के बाद भू-विज्ञानी एवं अन्य विशेषज्ञ हिन्दुओं के सर्वोच्च तीर्थ बदरीनाथ के मास्टर प्लान पर भी आशंका प्रकट करने लगे हैं। पर्यावरणवादियों का मानना है कि राज्य के चारों ही धामों पर वैसे ही भू-स्खलन, हिमस्खलन और भूकम्प का खतरा मंडरा रहा है।
दरअसल, अगर हिमालय के अति संवेदनशील पारितंत्र से छेड़छाड़ जारी रही तो केदारनाथ महाआपदा की पुनरावृत्ति एवलांच की दृष्टि से अति संवेदनशील बदरीनाथ धाम में भी हो सकती है। केदारनाथ के अवैज्ञानिक निर्माण कार्यों की शिकायत स्वयं राज्य सरकार के भूविज्ञानी प्रधानमंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार के.विजयराघवन के माध्यम से कर चुके हैं।
सर्वोच्च तीर्थ को स्मार्ट सिटी बनाने की प्रक्रिया शुरू
हिमालयी सुनामी के नाम से याद की जाने वाली 2013 की केदारनाथ महाअपदा से तबाह केदारनाथ धाम के पुननिर्माण कार्य के साथ ही अब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की प्रबल इच्छानुसार हिमालयी धामों को भव्य रूप देने की दिशा में उत्तराखण्ड सरकार ने बदरीनाथ को स्मार्ट सिटी की तर्ज पर स्मार्ट धाम बनाने के लिए 424 करोड़ की लागत के इस मास्टर प्लान के फेज एक की कार्यवाही शुरू कर दी है, जिसमें प्लान के बीच में आ रहे भवनों को तोड़ने के लिए नोटिस जारी हो चुके हैं। इन भवनों में रिलायंस का भी एक भवन है। इस प्लान के अनुसार बदरीनाथ धाम में यात्रियों की सुविधा के लिए होटल, पार्किंग, श्रद्धालुओं को ठंड से बचाने का इंतजाम, बदरी ताल तथा नेत्र ताल का सौंदर्यीकरण का निर्माण किया जाना है। श्रद्धालुओं के मनोरंजन के लिए साउंड एवं लाइट आदि की व्यवस्था भी की जानी है।
इस अति संवेदनशील प्रोजेक्ट में भू-गर्भ विज्ञानियों, स्ट्रक्चरल इंजिनियरों, आर्किटैक्ट एवं टाउन प्लानिंग विशेषज्ञों, हिमनद-एवलांच विशेषज्ञों और उस स्थान का इतिहास और भूगोल की जानकारी रखने वाले लोगों से सलाह मश्वरा लेने के बजाय प्रधानमंत्री मोदी को खुश करने के लिए उनसे विशेषज्ञ राय ली जा रही है।
जाने-माने भूविज्ञानी महेन्द्र प्रताप कहते हैं-
केदारनाथ पुनर्निमाण में भी भयंकर भूल हो चुकी है जिसकी शिकायत उन्होंने राज्य सरकार के साथ ही प्रधानमंत्री कार्यालय तक कर दी थी। वहां मंदिर की सुरक्षा दीवार ही असुरक्षित है।उसके निर्माण पर स्ट्रक्चरल इंजिनीयरिंग का ध्यान नहीं रखा गया। यह धाम पुराने मोरेन डेबरिस पर है। केदारनाथ के पुनर्निर्माण हुई भयंकर गलतियों से यूसैक के निदेशक एवं भू-विज्ञानी प्राफेसर एमपीएस बिष्ट प्रधानमंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार के. विजयराघवन को अवगत करा चुके हैं ताकि स्वयं प्रधानमंत्री इसका संज्ञान ले सकें।
