विश्व की पहली निर्वाचित कम्युनिस्ट सरकार के मुख्यमंत्री थे , ईएमएस नम्बूदरीपाद

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-अनन्त आकाश

कॉमरेड ई.एम.एस. नंबूदरीपाद भारत में कम्युनिस्ट आंदोलन के अग्रणी नेताओं में से एक थे और भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के संस्थापक थे। वे देश की पहली चुनी हुई कम्युनिस्ट सरकार के मुख्यमंत्री रहे । यह राज्य है केरल जहाँ आज भी लाल झण्डे का परचम लहरा रहा । इस झण्डे के नीचे अनेक जनकल्याणकारी योजनाओं का संचालन हो रहा ,शिक्षा ,स्वास्थ्य तथा रोजगार तथा सार्वजनिक सुविधाओं में केरल देश का एक नम्बर राज्य है । जिसकी नीव कामरेड ईएमएस, कामरेड गोपालन जैसे मूर्धन्य कम्युनिस्ट नेताओं ने रखी ।


अपने लगभग सात दशकों के सार्वजनिक जीवन और क्रांतिकारी गतिविधियों में, E.M.S. नंबूदरीपाद ने देश के प्रगतिशील और श्रमिक वर्ग के आंदोलन पर एक अमिट छाप छोड़ी। एक युवा के रूप में, वह जाति के खिलाफ सामाजिक सुधार आंदोलन में सक्रिय हो गए। उन्होंने 1931 में स्वतंत्रता संग्राम में शामिल होने के लिए कॉलेज छोड़ दिया और सत्याग्रह आंदोलन में जेल गए। तब से, उन्होंने कांग्रेस आंदोलन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और वे केरल में कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी के संस्थापकों में से एक थे। 1934 में वे कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी के अखिल भारतीय संयुक्त सचिव बने वे इस अवधि में केरल पार्टी के महासचिव के रूप में कांग्रेस पार्टी का नेतृत्व करते हुए कांग्रेस पार्टी मार्क्सवाद से परिचित हो गई।

ई एम एस उन पांच सदस्यों में से एक थे , जिन्होंने 1936 में केरल में कम्युनिस्ट पार्टी के संस्थापक समूह का गठन किया था। ई.एम.एस. नंबूदरीपाद ने दो धाराओं के साथ आने का प्रतिनिधित्व किया, साम्राज्यवाद-विरोधी और सामंतवाद-विरोधी संघर्ष, जिसने केरल में एक शक्तिशाली कम्युनिस्ट आंदोलन के विकास की नींव रखी। वह एक्य केरल के प्रमुख प्रस्तावकों में से एक थे जिसने केरल को एक एकीकृत भाषाई राज्य के रूप में स्थापित करने में उनका महत्वपूर्ण योगदान रहा है ।


E.M.S. नंबूदरीपाद 1939 में पहली बार मद्रास प्रांतीय विधान सभा के लिए चुने गए थे। उन्होंने अपनी ज़मीन-जायदाद की आय को पार्टी को दान कर दिया। वह 1939-42 और 1948-50 के बीच महत्वपूर्ण समय में पार्टी का निर्माण करते चले गए। वह 1941 में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की केंद्रीय समिति के लिए चुने गए। वह दिसंबर 1950 में सीपीआई के पोलित ब्यूरो और बाद में इसके सचिवालय के सदस्य बने। वे 1962 में एकजुट सीपीआई के महासचिव बने।

1957 में पहले तथा चुनावों में केरल राज्य बनने के बाद कम्युनिस्ट पार्टी ने बहुमत हासिल किया और ई.वी.एस. नंबूदरीपाद भारत में पहले निर्वाचित कम्युनिस्ट सरकार के मुख्यमंत्री बने। ईएमएस जिसने भूमि सुधार कानून और अन्य लोकतांत्रिक से अनेक सुधार लागू किये जिसका सन्देश पूरे देश को गया ,1959 में उनकी सरकार को तत्कालीन नेहरू सरकार ने अलोकतांत्रिक तरीक़े से बर्खास्त किया। ई.एम.एस. नंबूदरीपाद 1967 संयुक्त मोर्चे के फिर से मुख्यमंत्री बने।

उन्होंने सीपीआई (एम) की स्थापना में महत्वपूर्ण योगदान दिया और 1964 में पार्टी की सातवीं कांग्रेस में केंद्रीय समिति और पार्टी के पोलित ब्यूरो के लिए चुने गए और उन्होंने अपनी मृत्यु तक एक सक्रिय कम्युनिस्ट के रूप में कार्य किया ।

कामरेड E.M.S. नंबूदरीपाद को 1977 में भारत की कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) की केंद्रीय समिति का महासचिव चुना गया और उन्होंने 1992 में पार्टी की 14 वीं क्रांग्रेस नेतृत्व किया किन्तु ज्यादा उम्र एवं अस्वस्थता के कारण महासचिव पद से मुक्ति ली । सभी वाम, लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष ताकतों को एकजुट करने में उनका योगदान अविस्मरणीय है ।
वे एक शानदार मार्क्सवादी सिद्धांतकार थे। उनका भारतीय समाज में मार्क्सवाद-लेनिनवाद को व्यवहार में लाने में महत्वपूर्ण योगदान रहा है ।उनका भारतीय क्रांति की रणनीति और रणनीति पर काम करने में उत्कृष्ट योगदान सदैव याद किया जाऐगा , अपनी लेखनी से उन्होने समाज के हरेक हिस्से को छुआ वे मार्क्सवादी सिद्धांत की बोली में महारत हासिल की। भूमि संबंधों, केरल, समाज और राजनीति पर उनके लेखन और मार्क्सवादी दर्शन, साहित्य और इतिहास पर उनके लेखन – उन्हें देश और दुनिया के सबसे प्रभावशाली कम्युनिस्ट विचारकों की अंग्रिम पंक्ति में खड़ा करती हैं ।
कामरेड नंबूदरीपाद एक कम्युनिस्ट नेता के रूप में एक दुर्लभ उदाहरण है ,जो एक बहुत बड़े जमींदार परिवार से सम्बन्ध रखने के बावजूद सर्वहारा क्रांतिकारी आंदोलन का अग्रणी नेता बने , वे तीन साल जेल में और छह साल भूमिगत में रहे । उनका जीवन त्याग और सादगी का था। जिसने पूरे देश में हजारों कम्युनिस्टों को प्रेरित किया। केरल में वे अपने जीवनकाल में सभी वर्गों के लोग उन्हें ने सम्मान देते थे । जीवन के अंतिम दिनों में अस्वस्थ्यता के बावजूद, ई एम एस अपनी लेखनी के माध्यम पार्टी का मार्गदर्शन करते रहे ।

कामरेड ईएमएस ने 89 बर्ष की उम्र में आज ही के दिन 19मार्च, 1998 को इस दुनिया से विदा हुऐ ।उनका योगदान सदैव याद किया जाऐगा ।कामरेड ईएमएस को लाल सलाम ,इन्कलाब जिन्दाबाद ।।

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