जोखिम, नए रास्तों, न्यू टेक्नोलॉजी को आत्मसात करें स्टुडेंट्सः डॉ. शौनक
तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के ऑडी में इंटरप्रेन्योरशिप, इंस्टिट्यूशन एंड कंपीटिटिवनेस पर हुई फर्स्ट लीडरशिप टॉक
ख़ास बातें :
- इंटरप्रेन्योरशिप सफलता का नाम नहीं, असफलताओं से सीखने की प्रक्रिया
- रिसर्च और टेलेंट से मिलकर बनती है नई बाउंड्रीः प्रो. रघुवीर सिंह
- यूनिवर्सिटी इंटरप्रेन्योरशिप डवपलमेंट के प्रति बेहद संजीदाः रजिस्ट्रार
- स्टुडेंट्स के लिए ऐसी सीरीज मील का पत्थर साबित होगीः एसोसिएट डीन
- लीडरशिप टॉक की पुस्तिका का अतिथियों ने किया विमोचन
मुरादाबाद, 15 दिसंबर ( भाटिया )।बनयान एडु सर्विस, नई दिल्ली के फाउंडर डॉ. शौनक रॉय चौधरी बोले, तीन सौ सालों का इतिहास गवाह है कि इस दौर में क्रिस्टोफर कोलंबस की नई दुनिया की खोज ने स्पेन को वर्ल्ड पावर बनाकर इंटरप्रेन्योरशिप की शुरूआत की। सर राबर्ट क्लाइव ने इंग्लैंड को यूरोप की बड़ी ताकत बनाया। इसी का नतीजा है, इंटरप्रेन्योरशिप किसी सफलता का नाम नहीं, बल्कि असफलताओं से सीखने की प्रक्रिया है क्योंकि इन दोनों का जीवन असफलताओं की कहानी है। डॉ. चौधरी बोले, डोमिनेंट लॉजिक आज की पीढ़ी में मार्गदर्शन का बड़ा कारक है। हम दूसरे के सपने दूसरे के दम पर पूरा करना चाहते हैं। जरूरत इस बात कि है, हम अपने सपने देखें और अपने दम पर उन्हें मुकम्मल करें। बनयान एडु सर्विस, नई दिल्ली के फाउंडर डॉ.चौधरी तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी के ऑडी में फर्स्ट लीडरशिप टॉक सीरीज में इंटरप्रेन्योरशिप, इंस्टिट्यूशन एंड कंपीटिटिवनेस पर बतौर मुख्य वक्ता बोल रहे थे। इससे पूर्व मां सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित करके टॉक सीरीज का शंखनाद हुआ। इस मौके पर श्री शौनक रॉय चौधरी बतौर मुख्य अतिथि, कुलपति प्रो. रघुवीर सिंह, रजिस्ट्रार डॉ. आदित्य शर्मा, टॉक सीरीज की कन्वीनर एवम् एसोसिएट डीन प्रो. मंजुला जैन, सीटीएलडी के निदेशक प्रो. आरएन कृष्णिया, टिमिट के निदेशक प्रो. विपिन जैन, बीआईसी के मैनेजर श्री नीरज मित्तल आदि की गरिमामयी मौजूदगी रही। अंत में मुख्य अतिथि को स्मृति चिन्ह भेंट किया गया। संचालन असिस्टेंट डायरेक्टर एकेडमिक्स श्रीमती नेहा आनन्द ने किया। लीडरशिप टॉक की पुस्तिका का भी विमोचन हुआ। अंत में कन्वीनर आईआईसी डॉ. गीतान्शु डावर ने वोट ऑफ थैंक्स दिया।
डॉ. रॉय ने आगे कहा, नकल करना अच्छा है। अगर नए तरीके से की जाए। लंबे समय से कोई नया सिद्धांत नहीं आया है, बल्कि पुराने सिद्धांतों को ही नए कलेवर के साथ प्रस्तुत किया जा रहा है। वास्तव में यहीं इन्नोवेशन है। स्टुडेंट्स से मुखातिब होते हुए बोले, कम्युनिकेशन आज के दौर का सशक्त हथियार है। मुख्य अतिथि और छात्रों ने बीच सकारात्मक संवाद भी हुआ, जिसमें श्री शौनक ने छात्रों को रिस्क लेने, नई तकनीक अपनाने और अपने रास्ते स्वंय चुनने की नेक सलाह दी। साथ ही साथ श्री चौधरी बोले, जुगाड़ और इन्नोवेशन के बीच एक महीन फर्क है। उन्होंने जुगाड़ और इन्नोवेशन पर विस्तार से प्रकाश डाला। वह बोले, उद्यमिता में उम्र कोई बाधा नहीं है।
टीएमयू के वीसी प्रो. रघुवीर सिंह बोले, इंटरप्रेन्योरशिप वास्तव में समुद्र के पानी के समान होता है, जो आपकी मजबूती को परखता है। ये परखना नए आइडिया, सॉलिड लर्निंग और रोल मॉडल के माध्यम से होता है। उन्होंने कहा, रिसर्च और टेलेंट मिलकर नई बाउंड्री तैयार करते हैं। व्हील की खोज रोज नहीं होती है। इसी प्रकार उपलब्ध रिसोर्स को पुरानी तकनीकों पर उपयोग करने से बेहतर है कि उनका सदुपयोग नई तकनीकों को विकसित करने में किया जाए। इंटरप्रेन्योरशिप पर बोले, यह तीन दशक पुरानी देन है, जब सरकार ने निजी क्षेत्रों को व्यवसाय लाइसेंस राज से मुक्त किया। हमारे युवा तभी से इंटरप्रेन्योरशिप के क्षेत्र में नए कीर्तिमान गढ़ रहे हैं। लेकिन दुर्भाग्य यह है, हमारे युवा धरातल पर सकारात्मक काम करने वाले लोगों से अनभिज्ञ हैं। रजिस्ट्रार डॉ. आदित्य शर्मा बोले, यूनिवर्सिटी इंटरप्रेन्योरशिप डवपलमेंट के प्रति बेहद संजीदा है। मौजूदा दौर में बड़ा बिजनेस शुरू करने के लिए अनेक सर्पोटिंग सिस्टम उपलब्ध हैं, जिनमें बैंक, एमएसएमई, एंजल इंवेस्टर्स आदि प्रमुख हैं। टीमएयू आईआईसी छात्रों को स्टार्टअप से जुड़ी गतिविधियों में भाग लेने के लिए इंस्पायर करती है। इंटरप्रेन्योरशिप के विकास को यह स्वर्णिम काल है क्योंकि इस समय सामाजिक, वित्तीय और शैक्षिक संस्थाएं इन्नोवेशन के डवपल को पूर्णतः संकल्पित हैं। एसोसिएट डीन प्रो. मंजुला जैन ने टॉक सीरीज के मकसद पर प्रकाश डालते हुए उम्मीद जताई कि यह टॉक सीरीज टीएमयू स्टुडेंट्स के सपनों को साकार करने की ओर एक कदम है। वह बोलीं, क्लासरूम के बाहर की दुनिया भी स्टुडेंट्स के लिए महत्वपूर्ण है। इंडस्ट्री की हस्तियों के अनुभवों से स्टुडेंट्स इंडस्ट्री की बारीकियों को सीखते हैं। ऐसी सीरीज के जरिए न केवल स्टुडेंट्स एक दूसरे से इंट्रैक्ट होते हैं, बल्कि रिसर्च और क्रिएटिव प्रोजेक्ट्स को बनाना सीखते हैं। ऐसे प्रोग्राम से परस्पर संवाद, बहुउद्देशीय प्रतिभाएं- क्रिटिकल थिंकिंग, रीजनिंग और प्लानिंग विकसित होती हैं। इन गुणों के बूते ही युवा भविष्य में अविस्मरणीय नेतृत्व प्रदान कर पाएंगे। बीआईसी के मैनेजर श्री नीरज मित्तल ने उम्मीद जताई, लीडरशिप टॉक सीरीज युवाओं के लिए वरदान साबित होगी। लीडरशिप टॉक सीरीज में प्रो. निखिल रस्तोगी, डॉ. शंभु भारद्वाज, प्रो. आरसी त्रिपाठी, डॉ. ज्योति पुरी, डॉ. अमित शर्मा, श्री आकाश भटनागर, डॉ. नवनीत कुमार, डॉ. अनुराग वर्मा, डॉ. जसमीन के संग-संग एफओईसीएस, टिमिट आदि कॉलेजों के छात्र-छात्राएं भी मौजूद रहे।