धर्म/संस्कृति/ चारधाम यात्रा

चमोली के प्रवेश द्वार गौचर पहुँचने पर शंकराचार्य का भव्य स्वागत

गौचर, 16 जून (गुसाईं)। चमोली मंगलम यात्रा के तहत जनपद के प्रवेश द्वार गौचर पहुंचने पर ज्योर्तिमठ पीठ के शंकराचार्य जगतगुरु शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद का धर्मावलंबियों ने गर्मजोशी से स्वागत किया।

अपने चमोली मंगलम यात्रा के तहत शनिवार को देर शाम गौचर पहुंचे स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद अपने निर्धारित कार्यक्रम के तहत सर्व प्रथम पालिका क्षेत्र के कृष्णा गौ सदन आयोजित गो पूजन, दर्शन में प्रतिभाग किया जहां उन्होंने अपने कार्यक्रम व जनपद चमोली के बारे विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि दरअसल चमोली का नाम शास्त्रों के अनुसार चन्द्रमावली है जो भगवान का साक्षात स्वरूप है। इस लिए उन्होंने निर्णय लिया है कि विश्व की कल्याण की बात करने से पहले भगवान विष्णु की धरती चमोली से की जाय।

उन्होंने कहा कि उनका कार्यक्रम एक तरह से एक सर्वे है वे जानना चाहते हैं कि जनपद चमोली के लोग क्या सोचते हैं कि ऐसा कौन सा कार्य किया जाय जिसमें वे अपने मंगल की कामना करते हैं। क्या करने से उनको लगेगा कि उनका मंगल हो गया है। उन्होंने कहा कि पहले जनपद चमोली का मंगल करना है इसके लिए लोगों की राय लेने का काम किया जा रहा है।

उनका कहना था कि वे शास्त्रों के अनुसार कार्य तो करेंगे ही शास्त्रों में लिखा है किसी व्यक्ति व किसी क्षेत्र का मंगल कैसे करना है उसको तो वे करेंगे ही। लेकिन जनपद के लोगों की राय जानना भी जरूरी है ताकि उनको भी लगे कि उनका मंगल हो गया है। इसके पश्चात ही पूरे उत्तराखंड की मंगल की बात की जाएगी। इसके बाद उत्तर भारत फिर संपूर्ण भारत फिर एशिया तथा अंत में विश्व के मंगल की बात की जाएगी। उन्होंने कहा कि गाय एक प्रतिष्ठित प्राणी है इसकी सेवा में सबका कल्याण है।

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