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अमेरिकन  युवा  कवि सुज़े कस्सम की कविता “उनसे सावधान रहें ” का भावानुवाद

उनसे सावधान रहें “-
सुज़े कस्सम इजिप्शियन मूल की एक अमेरिकन  युवा  कवि हैं जिनमें कई प्रतिभाएं विकसित हैं ,वह कवि हैं , दार्शनिक हैं, लेखक है और जाने क्या क्या है  इतनी कम उम्र में उनने इतना हासिल कर लिया I  उनका जन्म दिसंबर १९७५ में ही हुआ था – । प्रस्तुत कविता  उनके कविता संकलन   -‘जागो और सूरज को नमस्कार करो’ ( Rise Up and Salute the Sun)   से साभार उद्धृत कर  स्वान्तःसुखाय मैंने  उसका भावानुवाद  करने की कोशिश की है  -GPB
“”उनसे सावधान रहें “-   Suzy  Kassem (Beware of those)
उनसे सावधान रहें ,
जो तुम्हारे प्रति कडुवाहट रखते हैं
 वे तुम्हें कभी भी अपने फल का आनंद नहीं लेने देंगे I
उनसे सावधान रहें
 जो तुम्हारी बुराई करते हैं ,
जो तुम्हारे  अंदर खोट ढूंढने की कोशिश में रहते  हैं
जब तुमने कोई काबिले  तारीफ़  कामयाबी  हासिल की हो
क्योंकि वे छुपे -छुपे सिर्फ अपनी ही तारीफ़  सुनना पसंद करते हैं I
उनसे  सावधान रहें
 जो हर वक्त जरूरतमंद होने का नाटक करते
 और खुद मक्खीचूस होते  है
वे सिर्फ आपको चूसने और डंक मारने  के अलावा
आपको कुछ नहीं दे सकते
उनसे भी सावधान रहें
जिनको  हमेशा  ना ना ना  बोलने की आदत   हैं
हर चीज और हर इंसान के बारे में
उनका यही नजरिया होता है
क्योंकि ऐसे  नकारा आदमी
कभी तुम्हारे बारे में अच्छा नहीं कहेगा I
उनसे भी सावधान रहें
जो हमेशा उदासीन रहते हैं ,
और उबाऊ होते हैं
जिनमें  जिंदगी को जीने का जज्बा  नहीं होता
क्योंकि ऐसे लोग तुम्हें अपने वाहियात दलील देकर
जीवन की निरर्थकता ही साबित करना चाहेंगे  I
 उनसे भी सावधान रहें
जिनका ध्यान हर वक्त
अपने बाहरी आवरण को चमकाने और सजाने में ही लगा रहता है
क्योंकि उनमें  सार- तत्व को समझने की
समझ नहीं होती
 कि असली खूबसूरती  तो दिल के अंदर  रहती  है
जो हरेक के अंदर कुदरती बसी होती है I
 उन लोगों से भी सावधान रहें
जो सपना देखने के रास्ते में बाधक बन  आ जाते  हैं
क्योंकि उन्हें सिर्फ इतना ही सपना देखना आता है
 कि आप उनके मुकाबले सिर्फ आधा कदम भी न   चल सकें ।
 उन लोगों से  सावधान रहें
जो तुम्हारी दिली खुशी से तुमको कहीं  दूर भटका कर  ले जाते हैं
क्योंकि इससे उनको खुशी मिलती है
जब तुम भी उनकी  बराबरी में आकर  टिक जाते हो I
 और अपने अंदर एक  दूसरे के लिए कडुवाहट लिए रहते हो I
ऐसे लोग जो खुद दूसरों पर टीका- टिप्पणी करते हैं
लेकिन अपने प्रति  टीका -टिप्पणी पसंद नहीं करते
और जो खुद किसी को बर्दाश्त नहीं कर   पाते
उनके दिमाग में कुछ न कुछ कमी तो जरूर रहती है।
और आखिरी बात यह
 कि उनसे भी सावधान रहें
जो तुमको खबरदार  रहने के लिए कहते हैं
क्योंकि वे समझते हैं कि उन्हें ही सब बात  की अक्ल  है
जो खुद  अकेले रहते हैं ,
 और हमेशा डरे हुए रहते हैं I
(भावानुवाद  कोशिश : गोविन्दप्रसाद   बहुगुणा )

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