जगने लगी है उम्मीद गौचर हवाई पट्टी के दिन बहुरने की
–गौचर से दिग्पाल गुसांईं –
केंद्र सरकार द्वारा उत्तराखंड की अन्य हवाई पट्टियों के साथ ही गौचर हवाई पट्टी से भी हवाई सेवा शुरू करने की मंजूरी दिए जाने से सीमांत जनपद चमोली की गौचर हवाई पट्टी के दिन बहुरने की उम्मीद जगने लगी है।
नब्बे के दशक में जब केंद्र सरकार ने उत्तराखंड को भी हवाई सेवा से जोड़ने के लिए पिथौरागढ़ जनपद के नैनीसैनी, उत्तरकाशी के चिन्यालीसौड़ तथा जनपद चमोली के गौचर में हवाई पट्टियां बनाने का निर्णय लिया तो गौचर क्षेत्र के कास्तकारों ने पनाई सेरे की अति उपजाऊ जमीन में हवाई पट्टी बनाने का विरोध करना शुरू कर दिया था।भारी विरोध को देखते हुए सरकार ने पोखरी विकास खंड के खड़पतिया खाल व केला कठार नामक स्थानों का भी सर्वे किया लेकिन बात नहीं बनी। इसके पश्चात गौचर क्षेत्र की ही भटनगर तोक की जमीन का भी सर्वे किया गया लेकिन यह क्षेत्र को भी तकनीकी अड़चनों की वजह से रद् करना पड़ा था।तब सरकार ने हर हाल में पनाई की तलाऊ जमीन में ही हवाई पट्टी बनाने का निर्णय लिया।इस जमीन का सर्वे शुरू करते ही कास्तकारों का आंदोलन उग्र हो गया।तब सरकार ने कास्तकारों के आंदोलन को कुचलने के लिए फूट डालो राज करो की नीति अपना कर आंदोलन की धार को कुंद करने का काम किया था। इससे एक वर्ग विकास के पक्ष में खड़ा हो गया तो दूसरा पक्ष अपनी पिस्तैनी आजीविका को उजाड़ने के विरोध में। स्थिति ऐसे मोड़ पर पहुंच गई थी कि न सरकारी अमला झुकने को तैयार था न कास्तकार पीछे हटने को तैयार थे।तब शासन प्रशासन ने सीमांत जनपद की गौचर हवाई पट्टी को सामरिक व पर्यटन की दृष्टि से बनाया जाना अति आवश्यक बताया था। यही नहीं प्रभावित कास्तकारों के एक सदस्य को नौकरी, पर्यटन व्यवसाय के लिए आसान ब्याज दरों पर ऋण,के साथ ही क्षेत्र का समुचित विकास का वादा भी किया लेकिन कास्तकार शासनादेश से पीछे हटने को तैयार नहीं हुए। सरकार ने जबरदस्ती की तो कास्तकार हाई कोर्ट की सरण में गए लेकिन सरकार के सामरिक दृष्टि के आगे कास्तकारों के सभी तर्क फेल हो गए थे।इस लंबी लड़ाई के बाद वर्ष 2000 में बनकर तैयार गौचर हवाई पट्टी से हवाई सेवा शुरू न किए जाने से इसके औचित्य पर ही सवाल उठने लगे थे।अब केंद्र सरकार ने उड़ान योजना के तहत गौचर हवाई पट्टी से भी हवाई सेवा शुरू करने की मंजूरी देने से सीमांत जनपद की इस हवाई पट्टी के दिन भी बहुरने उम्मीद की जाने लगी है।
सब कुछ ठीकठाक रहा तो केन्द्र सरकार के निर्णय के अनुसार 31 जनवरी से गौचर हवाई पट्टी से भी हवाई जहाज फर्राटे भरने लगेंगे। हालांकि निर्माण के इन 22 सालों में कई बार हवाई सेवा शुरू करने के लिए कई इयर क्राफ्ट कंपनियों ने अपने छोटे जहाज उतारकर संभावनाओं का जायजा लिया लेकिन नतीजा सिफर ही रहा।
गौचर हवाई पट्टी के लिए जमीन अधिग्रहण करते समय किए गए वादों पर आज तक अमल न किए जाने से आज भी यहां के कास्तकारों के मन में टीस बनी हुई है। सरकार के झूठे वायदों से यहां का कास्तकार ही नहीं आम जनमानस अपने को ठगा सा महसूस कर रहा है। प्रगतिशील कास्तकार कंचन कनवासी, विजया गुसाईं, जसदेई कनवासी, उमराव सिंह नेगी, रघुनाथ बिष्ट आदि का कहना है यहां का कास्तकार सिंचाई, बंदरों, लंगूरों तथा आवारा जानवरों से परेशान है कोई सुनने को तैयार ही नहीं है।
कांग्रेस जिलाध्यक्ष मुकेश नेगी,यंग ब्रिगेड के प्रदेश अध्यक्ष अजय किशोर भंडारी, पूर्व मंडी समिति अध्यक्ष संदीप नेगी, कांग्रेस नगर अध्यक्ष सुनील पंवार, आदि ने केंद्र सरकार के गौचर हवाई पट्टी से हवाई सेवा शुरू करने के निर्णय का स्वागत करते हुए कहा कि कास्तकारों की समस्याओं का समाधान भी किया जाना चाहिए।
उत्तराखंड में अधिकांश हवाई पट्टियां वर्षों से निष्क्रिय पड़ी हैं , रख रखाव में हर वर्ष भारी धनराशि खर्च करनी पड़ रही है. एयरलाइन्स सवारियों की कमी से रुचि नहीं ले रही हैं, सरकार की न्यूनतम गारंटी योजना भी ज्यादा सफल नहीं रहीं. पर्यटन को बढ़ावा देने कर लिए ठोस कार्ययोजना ज़रूरी है, पर्यटन स्थल विकसित करने व प्रचारित करने की जरूरत है. धार्मिक पर्यटन पर श्रद्धालुओं को किराये में रियायत व वरिष्ठ नागरिकों को विशेष छूट मिलनी चाहिए. पर्यटक बढ़ेंगे तो हवाई यात्रा बढ़ेगी, विमान पट्टियों का सदुपयोग होगा, रोजगार बढ़ेगा.