यूसर्क सभागार में जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन
देहरादून, 30 दिसम्बर (उहि) उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केन्द्र (यूसर्क), सूचना एवं विज्ञान प्रौद्योगिकी विभाग, उत्तराखण्ड शासन द्वारा आज दिनांक 30 दिसम्बर 2021 को स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर के विद्यार्थियों के लिये आयोजित तीन दिवसीय ‘‘जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रम का समापन यूसर्क सभागार में सम्पन्न हुआ।
तकनीकी सत्र के प्रारंभ में यूसर्क के वैज्ञानिक डा0 भवतोष शर्मा ने उपस्थित पांच शिक्षण संस्थाओं के 25 प्रतिभागियों को जल की कठोरता, क्लोराइड, एल्किनिटी, बी0ओ0डी0, डी0ओ0, पी0एच0, डी0डी0एस0, टर्बडिटी आदि को टाइट्रेशन के द्वारा तथा उपकरणों के द्वारा हैण्ड्स आन ट्रेनिंग प्रदान की गई।
तकनीकी सत्र का प्रथम व्याख्यान केन्द्रीय भूमि जल बोर्ड (सी0जी0डब्लू0बी0) जल शक्ति मंत्रालय (भारत सरकार) के वरिष्ठ हाइड्रोजियोलाजिस्ट श्री रवि कल्याण बूसा ने ‘‘हाइड्रोलाॅजिस्ट का सिनेरियो आॅफ उत्तराखण्ड’’ विषय पर अपना व्याख्यान दिया। उन्होंने अपने व्याख्यान में उत्तराखण्ड राज्य के भूजल की स्थिति, जियोलाॅजी, एक्वीफर की उपस्थिति, एक्वीफर के प्रकार, पहाड़ी एवं तराई भूभाग के एक्वीफर्स, भूजल की गुणवत्ता एवं उपलब्धता आदि विषयों पर विस्तार से वैज्ञानिक जानकारी प्रदान की एवं प्रश्नों का समाधान प्रस्तुत किया। उन्होंने बताया कि पहाड़ी राज्य उत्तराखण्ड में वर्षाजल संचयन कृत्रिम भूजल पुनर्भरण, भूजल रिचार्ज की विभिन्न जियोलाजी आधारित तकनीकों पर प्रकाश डाला।
तकीनीकी सत्र का द्वितीय व्याख्यान राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान रूड़की (जल शक्ति मंत्रालय, भारत सरकार) के वरिष्ठ वैज्ञानिक डा0 मुकेश शर्मा ने ‘‘वाटर क्वालिटी ऐसेसमेन्ट’’ विषय पर दिया। उन्होंने जल की गुणवत्ता के वैज्ञानिक ढंग से अनुश्रवण करने एवं जल के विभिन्न पैरामीटर्स पर व्याख्यान दिया। डा0 शर्मा नेे घरेलू जल की गुणवत्ता, कृषि में प्रयोग होने वाले जल की गुणवत्ता, भूजल एवं सतही जल की गुणवत्ता के अध्ययन विषय पर विस्तार से बताया तथा उत्तराखण्ड राज्य के साथ-साथ भारत के अन्य राज्यों के जल स्रातों की गुणवत्ता तथा गुणवत्ता विषयक विभिन्न वैज्ञानिक समाधान भी बताये।
कार्यक्रम में यूसर्क के वैज्ञानिक डा0 राजेन्द्र सिंह राणा द्वारा ‘जल प्रदूषण पैरामीटरर्स तथा उनके मानव स्वास्थ्य पर पड़ने वाले प्रभावों’ को प्रस्तुतिकरण के माध्यम से बताया गया। उन्होंने कहा कि किस प्रकार से विषैली हैवी मैटल्स जैसे- आर्सैनिक, क्रोमियम तथा लैड इत्यादि से कैंसर, हार्ट अटैक एवं किडनी की बीमारियां लोगों में धीरे-धीरे फैल रही है।
समापन सत्र की अध्यक्षता करते हुये यूसर्क की निदेशक प्रो0 (डा0) अनीता रावत ने कहा कि यूसर्क द्वारा तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों को जल विज्ञान के विभिन्न पहलुओं से अवगत कराना तथा उन्हें शोध की दिशा में मार्गदर्शन प्रदान करना है। साथ ही साथ राज्य के जल स्रोतों के संरक्षण व अध्ययन कार्य को यूसर्क द्वारा प्रमुखता से चलाया जा रहा है। निदेशक यूसर्क द्वारा प्रो0 (डा0) अनीता रावत द्वारा कार्यक्रम में पांच शिक्षण संस्थाओं के 25 प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान किये गये। कार्यक्रम का संचालन प्रशिक्षण कार्यक्रम समन्वयक व यूसर्क के वैज्ञानिक डा0 भवतोष शर्मा ने किया। प्रशिक्षण कार्यक्रम के दूसरे दिन भारत सरकार के अन्तर्गत कार्यरत संस्था इंडियन इंस्टीट्यूट आॅफ साॅयल एण्ड वाटर कंजर्वेशन (आई0सी0ए0आर0) में हाइड्रोलाॅजी डिवीजन के विभागध्यक्ष डा0 पी0आर0 ओजस्वी ने ‘जल विज्ञान’ विषय पर तथा संस्थान के तकनीकी अधिकारी श्री सुरेश चैधरी ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् द्वारा ‘भूमि संरक्षण’ विषय पर व्याख्यान दिया। प्रशिक्षणार्थियों को संस्थान का भ्रमण भी कराया गया।
कार्यक्रम के अन्त में डा0 मन्जू सुन्दरियाल, वैज्ञानिक यूसर्क द्वारा समस्त विशेषज्ञों एवं प्रतिभागियों को धन्यवाद दिया गया। इस तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में यूसर्क के वैज्ञानिक डा0 भवतोष शर्मा, डा0 मन्जू सुन्दरियाल, डा0 राजेन्द्र सिंह राणा, आई0सी0टी0 टीम के ई0 राजदीप जंग, शिवानी पोखरियाल, हरीश प्रसाद ममगांई, राजीव बहुगुणा, रमेश रावत सहित 40 लोगों द्वारा प्रतिभाग किया गया।