आपदा/दुर्घटना

आपदा प्रबंधन की बैठक में केन्द्रीय जल आयोग को जल स्तर के साथ ही बाढ़ की चेतावनी भी देने के निर्देश

In the meeting of disaster management, the Central Water Commission has been directed to give warning of flood along with the water level.
–uttarakhandhimalaya.in —
देहरादून, 5  जुलाई ।  जलवायु परिवर्तन के कारण तीक्ष्ण मौसमी घटनाओं की बारम्बारता बढ़ रही है जिसके कारण विगत में भारी वर्षा की घटनाओं में वृद्धि  विशेष रूप से राज्य के मैदानी क्षेत्रों के लिये बाढ़ प्रबन्धन योजना बनाये जाने के उद्देश्य से 5  जुलाई को पूर्वाह्न 11ः00 बजे सचिव, आपदा प्रबन्धन एवं पुनर्वास विभाग, उत्तराखण्ड शासन की अध्यक्षता में एक बैठक का आयोजन किया गया जिसमें उत्तराखण्ड राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण के अधिकारियों के अतिरिक्त केन्द्रीय जल आयोग, देहरादून, सिंचाई विभाग, उत्तराखण्ड तथा सिंचाई अनुसंधान संस्थान, रूड़की के अधिकारी उपस्थित थे।
बैठक में केन्द्रीय जल आयोग को कुमाऊं क्षेत्र की नदियों के लिये भी चेतावनी की व्यवस्था किये जाने हेतु निर्देशित किया गया। बैठक में विचार-विमर्श के उपरान्त संज्ञान में आया कि वर्तमान में केन्द्रीय जल आयोग के द्वारा केवल नदियों के जल स्तर से सम्बन्धित जानकारियां उपलब्ध करवायी जा रही है और नदियों का जल स्तर बढने से उत्पन्न बाढ की स्थिति में प्रभावित हो सकने वाले गांवों व शहरों से सम्बन्धित कोई भी जानकारी उपलब्ध नहीं करवायी जाती है। उक्त के दृष्टिगत उत्तराखण्ड राज्य आपदा प्रबन्धन प्राधिकरण को विशेष रूप से राज्य के मैदानी क्षेत्रों में अवस्थित आबादी वाले स्थानों का सर्वेक्षण कर उनके अक्षांश, देशान्तर व समुद्र तल से ऊंचाई से सम्बन्धित आंकड़े एकत्रित किये जाने उसे भारतीय सर्वेक्षण विभाग से सम्पूर्ण राज्य के डिजिटल टोपेग्राफिक मानचित्र प्राप्त कर मानत्रिक पर आंकडों को रेखांकित किये जाने हेतु निर्देशित किया गया है साथ ही उन समस्त आंकडों का  MIS तैयार कर एक  Algorithm तैयार की जाये ताकि नदियों के जलस्तर के अनुसार रिहाइसी क्षेत्रों हेतु सटीक चेतावनी जारी की जा सके।
उक्त के अतिरिक्त यह भी निर्देश दिये गये कि समस्त नदियों के पूर्व से चिन्हित 145 स्थानों तथा नये Vulnerable व महत्वपर्ण स्थलों पर प्रत्येक वर्ष दिसम्बर-जनवरी माह में  Cross Section लिया जाये ताकि समय से नदियों की  Training/dredging की कार्यवाही वैज्ञानिक तरीके से की जा सके तथा वर्षात में  Cross-Section के आधार पर नदियों के जल-प्रवाह का आंकलन कर चेतावनी जारी की जा सके।चूंंकि केन्द्रीय जल आयोग का कुमाऊं डिविजन द्वारा लखनऊ को रिपोर्ट किया जाता है, निर्देशित किया गया कि केन्द्रीय जल आयोग के कुमाऊं ऑफिस में एक नोडल अधिकारी नामित किया जाये जो देहरादून कार्यालय में रिपोर्ट करे।
अवगत कराया गया कि केन्द्रीय जल आयोग द्वारा उत्तराखण्ड में मात्र चार स्थानों के लिये बाढ़ का पूर्वानुमान  (Flood forecasting) से सम्बन्धित जानकारियां उपलब्ध करवायी जाती हैं। कुमाऊं मण्डल में केन्द्रीय जल आयोग द्वारा किसी भी स्थान में बाढ़ का पूर्वानुमान  (Flood forecasting) नहीं किया जाता है। उक्त के दृष्टिगत 10 दिन के अन्दर एक प्रस्ताव तैयार कर उपलब्ध करवाये जाने हेतु निर्देशित किया गया।
 जलवायु परिवर्तन के कारण तीक्ष्ण मौसमी घटनाओं की बारम्बारता बढ़ रही है जिसके कारण विगत में भारी वर्षा की घटनाओं में वृद्धि हो रही है। उक्त के कारण जहां राज्य के पहाड़ी क्षेत्र में त्वरित बाढ़ व भू-स्खलन के कारण जन-धन की क्षति होती है तो वहीं दूसरी ओर मैदानी क्षेत्र में बाढ़ के कारण परिसम्पत्तियों के साथ-साथ फसलों को क्षति होती है।
मैदानी क्षेत्रों में बाढ की घटनाएं प्रायः पहाडी क्षेत्र में सम्बन्धित नदियों के जल संग्रहण क्षेत्र में होने वाली भारी वर्षा या लम्बे समय तक होने वाली वर्षा के कारण होती है। अतः नदियों के जल संग्रहण क्षेत्र में होने वाली वर्षा के साथ ही ऊपरी क्षेत्र में नदियों के जल स्तर व जल प्रवाह की जानकारी के आधार पर बाढ़ से प्रभावित हो सकने वाले मैदानी क्षेत्रों के लिये चेतावनी की व्यवस्था की जा सकती है और समय रहते प्रभावित हो सकने वाले जनसमुदाय को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा सकता है।

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