इसरो ने जारी की जोशीमठ की उपग्रह तस्बीरें : कुछ दिनों से तेजी से धंस रहा शहर: प्रशासन ने आपात प्लान बनाया
The National Remote Sensing Centre (NRSC) of the Indian Space Research Organisation (ISRO) has released satellite images of Joshimath and a preliminary report on land subsidence which shows that the entire town may sink.
देहरादून, 13 जनवरी। देश की सभी बड़ी संस्थानों की नजर उत्तराखंड के जोशीमठ शहर पर बनी हुई है, जो इस समय एक बड़े संकट से गुजर रहा है. जोशीमठ में भू-धंसाव के बाद घरों और सड़कों में जो दरारें पड़ी उन पर देश के तमाम वैज्ञानिक अध्ययन कर रहे हैं. जोशीमठ भू-धंसाव से जुड़ी हुई कुछ सैटेलाइट तस्वीरें पहली बार इसरो यानी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्था (ISRO) के हैदराबाद स्थित नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (NRSC) ने यह रिपोर्ट जारी की हैं.
सैटेलाइट तस्वीरों में बताया गया है कि जोशीमठ का कौन सा इलाका धंस रहा है. इसरो से जारी हुई जोशीमठ की सैटेलाइट तस्वीरें में साफ-साफ देखा जा सकता है कि जोशीमठ का कौन सा हिस्सा धंसने वाला है. यह सभी तस्वीरें कार्टोसैट-2एस सैटेलाइट से ली गई हैं.
ISRO की सैटेलाइट इमेज- फोटो- ISRO/NRSC.
नृसिंह मंदिर को भी खतरा! ISRO ने अपने सैटेलाइट से जोशीमठ की आपदा का जायजा लिया है, जिसकी तस्वीरें काफी डराने वाली है. इसरो ने सैटेलाइट तस्वीरें जारी की है, उसके अनुसार तो पूरा जोशीमठ शहर धंस जाएगा. इसरो ने तस्वीरों पर जो पीले कलर का मार्क किया है, वो सेंसेटिव जोन है. इस पीले घेरे में पूरा शहर आता है. इससे देखकर ऐसा लग रहा है, जैसे ये पूरा शहर धंसने वाला है. इसरो ने आर्मी का हेलीपैड और नृसिंह मंदिर को भी मार्क किया है. ये रिपोर्ट इसरो के हैदराबाद स्थित नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर (NRSC) ने जारी की है.
ISRO की सैटेलाइट इमेज में जोशीमठ का सबसे खतरनाक क्षेत्र.- फोटो- ISRO/NRSC.
क्या कहती है रिपोर्ट: शायद NRSC की रिपोर्ट के आधार पर ही उत्तराखंड सरकार जोशीमठ में रेस्क्यू ऑपरेशन चला रहा है और जिन इलाकों में ज्यादा खतरा है, वहां के लोगों को पहले सुरक्षित स्थानों पर शिफ्ट किया जा रहा है. NRSC की रिपोर्ट में बताया गया है कि अप्रैल से नवंबर 2022 तक जमीन धंसने का मामला धीमा था. इस सात महीनों में जोशीमठ-8.9 सेंटीमीटर धंसा है, लेकिन 27 दिसंबर 2022 से लेकर 8 जनवरी 2023 तक यानी 12 दिनों जमीन धंसने की तीव्रता-5.4 सेंटीमीटर हो गई. यानी की 12 दिनों जोशीमठ को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचा.
जोशीमठ शहर का मध्य भाग सबसे ज्यादा प्रभावित: सैटेलाइट तस्वीरों ने जो लाल रंग की धारियां दिख रहीं है, वो सड़कें हैं. वहीं नीले रंग का जो बैकग्राउंड है, वह जोशीमठ शहर के नीचे का ड्रेनेज सिस्टम है. यह नेचुरल और मावन निर्मित दोनों हो सकते हैं. तस्वीरों में जोशीमठ के मध्य भाग यानी शहर के सेंटर को लाल रंग को गोले दर्शाया गया है, जिससे पता चलता है कि ये हिस्सा सबसे ज्यादा भू-धंसाव से प्रभावित है. इस धंसाव का ऊपर हिस्सा जोशीमठ-औली रोड पर मौजूद है. शहर के मध्य में हुए धंसाव को वैज्ञानिक भाषा में क्राउन कहा जाता है. यानी औली रोड भी धंसने वाली है.
ISRO की सैटेलाइट इमेज में जोशीमठ का नरसिंह मंदिर भी दिखाया गया है.- फोटो- ISRO/NRSC.
दूसरा जोशीमठ का निचला हिस्सा यानी बेस जो अलकनंदा नदी के ठीक ऊपर है, वह भी धंसेगा. हालांकि इसरो की ये प्राइमरी रिपोर्ट है. फिलहाल रिपोर्ट की स्टडी अभी जारी है. लैंडस्लाइड काइनेमेटिक्स की स्टडी की जा रही है. बता दें कि उत्तराखंड को जोशीमठ शहर समुद्र तल से करीब 6000 फीट की ऊंचाई बसा है. जो धार्मिक, एतिहासिक और सामरिक दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण है. जोशीमठ भूकंप जोन 5 में आता है.
(ETV Bharat से जनहित में साभार ली गयी है यह रिपोर्ट)