जल जीवन मिशन : कनेक्शन दिये मगर पानी नहीं दिया
- मोदी जी ने की थी त्रिवेन्द्र की तारीफ
- मिशन में पीठ थपथपवाने वालों ने पीठ दिखाई
- शहरों में 8 लाख से ज्यादा घर सीवर लाइन से नहीं जुड़े
- पानी के श्रोत के विना ही कागजों में बनी लाइन
-जयसिंह रावत
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के महत्वाकांक्षी जलजीवन मिशन से दो कदम आगे चलने का दावा करने वाला उत्तराखण्ड फिलहाल इस मिशन में दो कदम पीछे ही नजर आ रहा है। इस मिशन में पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत ने असत्य आंकड़े पेश कर भले ही प्रधानमंत्री से अपनी पीठ थपथपवा ली हो लेकिन वास्तविकता यह है कि दो साल गुजरने के बाद भी यह राज्य लक्ष्य के आधे तक भी नहीं पहुंच पाया है। अब भी प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्र में 8.13 लाख घर और शहरी क्षेत्र में 6.07 लाख घरों तक पानी नहीं पहुंचा। जहां पानी पहुंचाने का दावा किया गया उनमें कई गांव ऐसे भी मिले जहां पानी के कनेक्शन तो दिये मगर पानी नहीं दिया।

प्रधानमंत्री मोदी ने थपथपाई थी त्रिवेन्द्र रावत की पीठ
प्रधानमंत्री मोदी द्वारा 29 सितम्बर 2020 को वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिये हरिद्वार स्थित नमामि गंगे की 6 परियोजनाओं के उद्घाटन के अवसर पर जब तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र रावत ने मिशन को उत्तराखण्ड में दो साल पहले ही सन् 2022 में पूर्ण करने और मात्र एक रुपये में लोगों को पानी का कनेक्शन देने की जानकारी प्रधानमंत्री मोदी को दी तो मोदी जी का गदगद होना स्वाभाविक ही था। इसलिये वह कह गये कि उत्तराखण्ड इस मिशन में हमसे दो कदम आगे चल रहा है। मोदी के मुख से सराहना के इन बोलों का खूब प्रचार किया और कराया गया। जबकि हकीकत यह है कि प्रधानमंत्री द्वारा दिया गया लक्ष्य दो पहले तो क्या, 2024 तक भी पूरा होता नजर नहीं आ रहा है। इसी तरह त्रिवेन्द्र रावत ने उत्तराखण्ड को जुलाई 2017 में ही खुले में शौच मुक्त राज्य घोषित कर दिया था, जो कि 2022 तक भी संभव नहीं लगता।
अभी 14.20 लाख घर पानी के नल से दूर
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा 23 सितम्बर 2021 को देहरादून में की गयी जलजीवन मिशन की समीक्षा बैठक के तथ्यों के अनुसार मिशन का लक्ष्य 2022 तो क्या 2024 तक भी पूरा होता नजर नहीं आ रहा है। समीक्षा बैठक में पेयजल सचिव नितेश झा ने बताया कि प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों के 15.18 लाख घरों में से अभी 8.13 घरों में और शहरी क्षेत्र के 11.65 घरों में से 6.07 घरों में पानी पहुंचाया जाना बाकी है। ये पानी के लिए हैंडपंप या आसपास के लिए विभिन्न जलस्रोतों पर निर्भर हैं। इसी प्रकार शहरी क्षेत्र के 11.65 घरों में से 8.39 घरों को सीवर लाइन से जोड़ा जाना बाकी है। प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने 15 अगस्त 2019 को देश के हर घर में 2014 तक पाइप के जरिए पानी मुहैया कराने के लिए एक जल जीवन मिशन का एलान किया था। राज्य में इस मिशन की प्रगति की पोल स्वयं भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय की जल जीवन मिशन की वेबसाइट खोल रही है। इस वेबसाइट में अप्रैल 2020 से लेकर मार्च 2021 तक के 12 महीनों की अवधि में उत्तराखण्ड में केवल 287 बस्तियों में पूर्ण रूप से पेयजल पहुंचाने और 40 में आंशिक रूप से जल पहुंचाने का विवरण दिया गया है। वेबसाइट के अनुसार इस अवधि में अनुसूचित जनजाति की 40 बस्तियों को भी कवर करने की बात कही गयी है जबकि जनजाति की बस्तियों में जल जीवन मिशन की प्रगति शून्य दर्शाई गयी है।

नल लगाये जिन पर पानी नहीं टपका
राज्य में जल जीवन मिशन योजना पर सवाल उठते रहे हैं। बड़ी संख्या में ऐसे घरों में भी नल लगा दिए गए, जहां आज तक पानी की बूंद नहीं टपकी। कहीं स्रोत ही नहीं थे और पानी के नल लगा दिए गए थे। उत्तरकाशी के नौगाँव ब्लॉक के कफनौल गांव के नितिन पंवा का कहना है कि पानी का कोई पक्का स्रोत न होने के कारण और अधिकारियों द्वारा बिना गांव के प्रधान को और गांव के आम लोगों के पूछे बिना गलत सर्वे करवा दिया जहां पर प्रयाप्त पानी नहीं है और अधिकारी इस वजट को ठिकाने लगाने चाहते हैं।
लक्ष्य घोषित किया मगर प्रयास अधूरे
अगर इसी गति से काम होगा तो 2024 तक लक्ष्य पूर्ति असंभव ही है। दरअसल जल जीवन मिशन को लेकर पेयजल मंत्री ने लक्ष्य दिया था कि अगस्त तक प्रदेश में सभी डीपीआर तैयार हो जाएं और सितंबर तक सभी टेंडर पूरे हो जाएं। बावजूद इसके अभी भी डीपीआर तय लक्ष्य से बहुत दूर हैं। एक हजार करोड़ की करीब 45 डीपीआर का अभी सर्वे का काम चल रहा है। 253 करोड़ की 13 डीपीआर को स्टेट लेवल सैंक्शनिंग कमेटी से मंजूरी मिलनी है। 237 करोड़ की 18 डीपीआर की ईएफसी अलग होनी है।
केन्द्र से मिला धन भी खर्च नहीं कर पाये
केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने जब उत्तराखण्ड के तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत के साथ23 सितम्बर 2020 को जलजीवन मिशन की समीक्षा की थी तो उनको बताया गया था कि राज्य के 15,218 गाँवों में से, 14,595 में जलापूर्ति योजनाएँ हैं, लेकिन 14.61 लाख घरों में से केवल 2.71 लाख (18.55 प्रतिशत) में ही नल कनेक्शन हैं। इस मिशन में उत्तराखण्ड के लिये इसके लिए इस वित्तीय वर्ष 1465 करोड़ रुपये तय किये गये हैं। इनमें से राज्य को सत्र 2021-22 के लिए 721.89 करोड़ रुपये स्वीकृत किए गए हैं, जिसकी प्रथम किस्त के रूप में 360.94 करोड़ रुपये मिल चुके हैं, मगर उत्तराखण्ड में राज्यांश खर्च करना तो रहा दूर केन्द्रीय सहायता का भी पूरा उपयोग नहीं हो पा रहा है। इस राशि के अलावा राज्य सरकार के पास पिछले वित्तीय वर्ष में खर्च न हो सकी राशि और राज्यांश को मिला कर कुल 104.53 करोड़ का उपयोग पड़ा हुआ है।