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भारत में टेलीविजन क्रांति का सफर – 15 सितम्‍बर 1959 से अब तक

Terrestrial television in India started with the experimental telecast starting in Delhi on 15 September 1959 with a small transmitter and a makeshift studio. Daily transmission began in 1965 as a part of All India Radio (AIR). Television service was later extended to Bombay (Now Mumbai) and Amritsar in 1972.

–संजय कचोट

ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन (बीबीसी) द्वारा 1936 में दुनिया की पहली टेलीविजन सेवा शुरू करने के दो दशकों के बाद ही भारत में 15 सितम्‍बर, 1959 को दिल्‍ली में टेलीविजन शुरू किया गया। यूनेस्‍को की सहायता से इसकी शुरूआत की गई। शुरूआत में हफ्ते में दो दिन एक-एक घंटे के लिए कार्यक्रमों का प्रसारण किया जाता था, जिनमें सामुदायिक स्‍वास्‍थ्‍य, यातायात, सड़क के इस्‍तेमाल पर नागरिकों के अधिकार और कर्तव्‍य जैसे विषय शामिल थे।

1961 में प्रसारण का दायरा बढ़ाया गया और उसमें स्‍कूल शिक्षा टेलीविजन (एसटीवी) परियोजना को शामिल किया गया। भारत में टेलीविजन का दायरा बढ़ाने का पहला बड़ा कदम 1972 में उठाया गया, जब बम्‍बई में दूसरा टेलीविजन स्‍टेशन खोला गया। इसके बाद 1973 में श्रीनगर और अमृतसर में तथा 1975 में कलकत्‍ता, मद्रास और लखनऊ में टीवी स्‍टेशन खोले गये।

शुरूआत के 17 वर्षों के दौरान टेलीविजन प्रसारण का दायरा धीरे-धीरे फैला। उस दौरान     श्‍वेत-श्‍याम प्रसारण ही होते थे। 1976 तक आठ टेलीविजन स्‍टेशन वजूद में आ चुके थे और इनके दायरे में 75 हजार वर्ग किलोमीटर के फैलाव में 45 मिलियन आबादी आती थी। आकाशवाणी के एक अंग के रूप में विस्‍तृत टेलीविजन प्रणाली के प्रबंधन में दिक्‍कत आने के कारण सरकार ने दूरदर्शन का गठन किया। यह संस्‍था सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अधीन एक अलग विभाग के रूप में सामने आई।

1970 के दशक के मध्‍य में भारत में टेलीविजन की अभूतपूर्व वृद्धि के तीन महत्‍वपूर्ण शुरूआती बिन्‍दु हैं। पहला, उपग्रह शैक्षिक टेलीविजन अनुभव (एसआईटीई) है, जिसकी शुरूआत अगस्‍त, 1975 और जुलाई, 1976 के बीच हुई। इसके तहत छह राज्‍यों के गांवों तक उपग्रह के माध्‍यम से शैक्षिक कार्यक्रमों का प्रसारण किया जाने लगा। इसका मकसद विकास के लिए टेलीविजन का उपयोग करना था, हालांकि मनोरंजन के कार्यक्रमों को भी इसमें शामिल किया गया। वास्तव में इस प्रकार टेलीविजन जनता के और नजदीक हो गया। इसके बाद इनसैट-1ए की शुरूआत हुई। यह देश का पहला घरेलू संचार उपग्रह था, जो 1982 में गतिशील हो गया। इसके कारण दूरदर्शन के सभी क्षेत्रीय स्‍टेशन प्रसारण करने में सक्षम हो गये। दूरदर्शन ने पहली बार ‘राष्‍ट्रीय कार्यक्रम’ शुरू किया, जिसे दिल्‍ली से अन्‍य स्‍टेशनों के जरिये प्रसारित किया। नवम्‍बर, 1982 में देश ने एशियाई खेलों की मेज़बानी की और सरकार ने खेलों के मद्देनजर रंगीन प्रसारण शुरू किया।

1980 के दशक को दूरदर्शन का युग कहा जाता है। इस दौरान हम लोग (1984), बुनियाद (1986-87) तथा अत्‍यंत लोकप्रिय पौराणिक धारावाहिक रामायण (1987-88) और महाभारत (1988-89) जैसे प्रसारण किये गये। अब भारत की 90 प्रतिशत से अधिक आबादी दूरदर्शन के कार्यक्रम देखती है, जिन्‍हें लगभग 1400 ट्रांसमीटरों के नेटवर्क के जरिये प्रसारित किया जाता है। टेलीविजन का तीसरा महत्‍वपूर्ण विकास 1990 के दशक की शुरूआत में हुआ, जब सीएनएन और स्‍टार टीवी जैसे विदेशी कार्यक्रमों को उपग्रह टीवी के जरिये दिखाया जाने लगा। इसके कुछ समय बाद ही भारतीय घरों में जी-टीवी और सन-टीवी जैसे घरेलू चैनलों ने प्रवेश किया। सरकार ने धीरे-धीरे नियंत्रण में ढील दी, जिसके कारण 1990 के दशक में केबल टीवी ने मनोरंजन के क्षेत्र में क्रांति ला दी।

अगर हम ट्राई द्वारा 2015-16 में जारी वार्षिक रिपोर्ट का जायजा लें, तो हमें पता चलेगा कि चीन के बाद भारत में दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा टीवी बाजार है। औद्योगिक आंकड़ों के अनुसार मार्च, 2016 को मौजूदा 2841 मिलियन घरों में से लगभग 1811 मिलियन घरों में टेलीविजन सैट मौजूद है, जिन्‍हें केबल टीवी सेवा, डीटीएच, आईपीटीवी सहित दूरदर्शन टीवी नेटवर्क सेवायें प्रदान करते हैं। इसके अलावा लगभग 1021 मिलियन केबल टीवी ग्राहक, 88.64 मिलियन पंजीकृत डीटीएच ग्राहक (58.53 मिलियन सक्रिय ग्राहक सहित) और लगभग 5 लाख आईपीटीवी ग्राहक मौजूद हैं। दूरदर्शन टीवी नेटवर्क देश की लगभग 92.62 प्रतिशत आबादी को अपने विस्‍तृत ट्रांसमीटर नेटवर्क के जरिये सेवाये प्रदान करता है।

इस समय 48 पे-ब्रॉडकास्‍टर, लगभग 60 हजार केबल ऑपरेटर, 6 हजार मल्‍टी सिस्‍टम ऑपरेटर, 6 पे-डीटीएच ऑपरेटर मौजूद हैं। इनके अलावा दूरदर्शन की फ्री-टू-एयर डीटीएच सेवा भी काम कर रही है। वित्‍त वर्ष 2015-16 के समापन तक सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय में 869 पंजीकृत टीवी चैनल मौजूद हैं। इनमें 205 स्‍टैंडर्ड डेफिनीशन (एसडी) पे-टीवी चैनल (पांच विज्ञापन मुक्‍त पे चैनल सहित) और 58 हाई डेफिनीशन (एचडी) पे-टीवी चैनल भी हैं।

2014-15 में भारत का टेलीविजन उद्योग 4,75,003 करोड़ रूपये का था, जो 2015-16 में 5,42,003 करोड़ रूपये हो गया। इस तरह इसमें लगभग 14.10 प्रतिशत की वृद्धि हुई। 2014-15 में ग्राहकों से प्राप्‍त राजस्‍व 3,20,003 करोड़ रूपये था, जो 2015-16 में बढ़कर 3,61,003 करोड़ रूपये हो गया। इसी प्रकार 2014-15 में विज्ञापन से होने वाली आय 1,55,003 करोड़ रूपये थी, जो 2015-16 में बढ़कर 1,21,003 करोड़ रूपये हो गई। पिछले दशक में केबल और उपग्रह टीवी बाजार में भारी बदलाव आया है। इस दौरान भारत में केबल टीवी क्षेत्र का डिजिटलीकरण अत्‍यंत महत्‍वपूर्ण विकास है।

भारत में टेलीविजन का भविष्‍य

ग्राहकों की संख्‍या के मद्देनजर एशिया प्रशांत क्षेत्र में भारत दूसरा सबसे बड़ा ग्राहक आधारित टेलीविजन बाजार है। टेलीविजन विज्ञापन के मामले में 2020 तक भारत में दो अंकीय विकास होगा और इस तरह भारत चंद देशों में शामिल हो जाएगा। ग्राहक संख्‍या में औसत रूप से वार्षिक गिरावट देखी जा रही है, लेकिन इसके बावजूद 2020 तक केबल टेलीविजन का बाजार में दबदबा बना रहेगा। डिजिटलीकरण के कारण टेलीविजन चैनलों में भी भारी वृद्धि देखी गई है और इसकी संख्‍या 800 के पार हो गई है। इस समय भारत में टेलीविजन की पहुंच 61 प्रतिशत है। इस तरह उसके विकास और विस्‍तार की अपार संभावना है।

एक आकलन के अनुसार भारतीय मीडिया और मनोरंजन उद्योग की वार्षिक विकास दर (सीएजीआर) 10.5 प्रतिशत रहने की संभावना है। इस समय यह आंकड़ा 27.3 अरब डॉलर का है, जो 2021 तक 45.1 अरब डॉलर तक पहुंच जाएगा। यह आकलन प्राइस वॉटर हाऊस कूपर्स द्वारा जारी ‘ग्‍लोबल इंटरटेनमेंट एंड मीडिया आउटलुक 2017-21’ रिपोर्ट में किया गया है।

18.6 प्रतिशत सीएजीआर के मद्देनजर भारत में डिजिटल विज्ञापन के विकास के बारे में कहा जाता है कि वह सबसे तेज होने वाला है। उसकी संभावित वृद्धि 11.1 सीएजीआर के मद्देनजर 2017 और 2021 के बीच होने की संभावना व्‍यक्‍त की गई है। रिपोर्ट में कहा गया है, ‘अर्थव्‍यवस्‍था के विकास को देखते हुए टीवी बाजार के विस्‍तार की अपार संभावनाएं मौजूद हैं।’

*लेखक इंस्‍टीट्यूट ऑफ लैंग्‍वेज स्‍टडीज एंड अप्‍लाइड सोशल साईंसेज (आईएलएसएएसएस) आणंद, (गुजरात) के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में पढ़ाते हैं।

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