उत्तराखंड की ज्योति उड़ी जर्मनी :यूं ही नहीं पहुंचता कोई सफलता के मुकाम तक
—अनन्त आकाश
मानव सभ्यता के जिस चर्मोत्कर्ष पर हम आज हैं ,यहाँ तक पहुंचने में हमें लाखों लाख साल लगे हैं,हमारी आधुनिक मानव सभ्यता कुछ हजार बर्ष की ही है ,आदिम मानव ने जंगलों में भारी कष्ट सहने के बावजूद भी अपने आगे बढ़ने का रास्ता नहीं छोड़ा ,प्रकृति में वही जीवित रहा तथा आगे बढ़ा ,जो जुझा ,जो नहीं ,वह नेपथ्य में चला गया ।
सैकड़ों बर्षों बाद भी सुकरात आज भी जिन्दा है, और उसको बिष देने वालों को इतिहास ने मटियामेट कर दिया ।सावित्रीबाई फूले ,बीबी फातिमा आज भी हमारे मनोमतिष्क में हैं ,और उन पर पत्थर मारने वाले हास्य के पात्र बने हु्ही हैं ,आजादी के आन्दोलन का हीरो भगतसिंह हमारे लिऐ आदर्श है और सावरकर हमेंशा माफीबीर ही रहेगा ,आज सदियों बाद भी मार्क्स ,जैनी ,एग्लिंल्स हमारे मनोमतिष्क में राज कर रहे हैं ।
कहने का अर्थ है कि जो जुझेगा वह आगे बढ़ेगा वही याद किया जाऐगा यही साश्वत सत्य है ।
यही कहानी है हमारी ज्योति की जो कि सुदुरवर्ती सीमान्त जनपद चमोली के देवाल के देवसारी गांव की साधारण परिवार में जन्मी आज जर्मनी के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय में पीएचडी के लिए चयनित हुई है , दिल्ली एअरपोर्ट को जर्मनी के लिए रवाना हो गयी है ,वहाँ से होगा ज्योति का नया मुकाम ।उन लाखों लड़कियों के लिऐ गौरव की बात होगी जो स्वर्णिम भबिष्य का सपना संजोए हैं ।
उत्तराखण्डवासियों के लिए यह गौरव का पल है, जब ज्योति विश्वविद्यालय को ज्वाइन करेगी ।सीमान्त गांव देवसारी जो कि प्राकृतिक दृष्टि से अत्यधिक रमणीक है ,होने के बावजूद लोगों का जीवन कठिन एवम् संघर्षमय है बावजूद वे आगे बढ़ने की कश्मकश में लगे हुऐ हैं ।
उन्हीं में से ज्योति बिष्ट हैं ,जिनके पिता पेशे से अध्यापक हैं , श्री मोहनबिष्ट जी परिवार में उनकी पत्नी श्रीमती दमयंती बिष्ट जो कि गृहिणी है ,परिवार में ज्योति के अलावा दो बहिनें तथा दो भाई हैं ,जिनका सहयोग एवं प्यार हमेंशा ज्योति को मिलता रहा है ,ज्योति बताती है कि बचपन म़े गांव से प्रारम्भिक शिक्षा ग्रहण करने के बाद हर दिन 4,5किलोमीटर प्रतिदिन तय कर पैदल रास्ता तयकर देवाल से 12 वीं की शिक्षा ग्रहण करने के बाद गढ़वाल विश्वविद्यालय से विज्ञान स्नातक तत्पश्चात गोपेश्वर महाविद्यालय से बीएड डिग्री हासिल की , बाद को अपने बड़ी बहन जो दिल्ली में पहले से ही पीएचडी कर रही ,उन्होंने इस मुकाम तक पहुंचने के लिये प्रेरित किया ,खैर आज ज्योति जर्मनी के लिए रवाना हो चुकी हैजहाँ उन्हें वहाँ सरकार फैलोशिप देगी वे बताती हैं कि इस मुकाम हासिल करने के लिए छात्र संगठन एस एफ आई ने प्रेरित किया । लोकप्रिय पत्रकार रविश कुमार ने उनके सफलता की कामना की है ।