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केतन पारिख फिर फँसे…..

-By Milind Khandekar

केतन पारिख को लेकर 25 साल पहले इकनॉमिक टाइम्स के पहले पन्ने पर ख़बर छपी थी कि बाज़ार में नया बिग बुल आ गया है.वो जिस शेयर को हाथ लगाते थे वो भाग जाता था. उनके दस पसंदीदा शेयर K 10 के नाम से जाने जाते थे. इन शेयरों के भाव कुछ ही महीनों में कई गुना बढ़ गए थे.रोज अपर सर्किट लग जाता था. दो साल में भांडा फूट गया. जेल जाना पड़ा. शेयर बाज़ार की देखरेख करने वाली संस्था SEBI ने उन्हें 14 साल के लिए बाज़ार में कारोबार से बैन कर दिया गया था.

केतन पारिख फिर से चर्चा में हैं. SEBI ने उन्हें फिर बैन कर दिया है. अबकी बार आरोप है कि वो अमेरिका के बड़े फंड के ऑर्डर पर वो फ़्रंट रनिंग कर रहे थे. सिंगापुर के रोहित सालगावकर को अमेरिका के फंड ने भारतीय शेयर बाज़ार में उसके सौदे करने का काम दिया था. रोहित ने यह सौदे पूरे करने का काम मोतीलाल ओसवाल और Nuvama को दिया था. अमेरिका का फंड रोहित को जो शेयर ख़रीदने या बेचने के लिए कहता था वह Non Public Information थी.  यह जानकारी सार्वजनिक नहीं थीं. किसी के साथ शेयर करना अपराध है. रोहित यही जानकारी केतन पारिख को दे देते थे.अमेरिकी फंड के सौदे पूरे होने से पहले केतन यह जानकारी कोलकाता में अपने सहयोगियों को दे रहे थे. ये सहयोगी उन शेयरों में ख़रीद बेच कर मुनाफ़ा कमा रहे थे. यह खेल 2021 से 2023 तक चलता रहा. 66 करोड़ रुपये का फ़ायदा हुआ जिसे SEBI ने ज़ब्त करने का आदेश दिया है.

SEBI को केतन और कोलकाता के ब्रोकरों की Whatsapp chat मिली जिसमें वो ख़रीदने बेचने का ऑर्डर दे रहे थे. पहचान छिपाने के लिए 12 फ़ोन नंबरों का इस्तेमाल किया. कोलकाता के ब्रोकरों ने केतन का नाम अपने फ़ोन में Jack, Jack New, Boss, Bhai जैसे नामों से सेव कर रखा था. SEBI ने इन ब्रोकरों के सौदे और अमेरिकी फंड के ऑर्डर को मैच कर लिया. पैटर्न पकड़ में आ गया.

सबसे पहले जब केतन को पकड़ा गया था तो शेयर बाज़ार डूब गया था. केतन ने कहानी यह बनाई कि  उनका फ़ोकस TMT यानी टेक्नोलॉजी, मीडिया और टेलीकॉम शेयरों पर है. 25 साल पहले यह उभरते सेक्टर थे. HFCL, Zee Telefilms , DSQ सॉफ़्टवेयर जैसे शेयर रोज़ बढ़ रहे थे. भांडा फूटा तो पता चला कि केतन अपने शेयरों में सर्कूलर ट्रेडिंग करवा रहे थे. उनके साथी आपस में शेयर ख़रीद कर भाव बढ़वा रहे थे. बाज़ार भी इन शेयरों के पीछे भागता था. फिर केतन के साथी इसे एक लेवल पर पहुँचाकर बेच देते थे. मोटा मुनाफ़ा कमाते थे . इसके बाद 2003 में उन्हें 14 साल शेयर बाज़ार में कारोबार करने से रोक दिया गया था. 2013 में उन्हें दोबारा पकड़ा गया जब किसी और के नाम पर कारोबार कर रहे थे. अब दस साल बाद वो फिर SEBI के जाल में फँसे है. SEBI ने अपने आदेश में ऐसे ही केतन पारिख को आदतन अपराधी नहीं कहा है.

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