टीएमयू में स्टुडेंट्स जानेंगे लीडरशिप की क्वालिटी
तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी की ओर से फर्स्ट लीडरशिप टॉक सीरीज का आगाज़
ख़ास बातें :
- 14 दिसंबर, 22 को होगा लीडरशिप टॉक सीरीज का शंखनाद
- इंटरप्रेन्योरशिप, इंस्टिट्यूशन एंड कंपीटिटिवनेस होगी थीम
- बनयान एडु सर्विस के संस्थापक श्री शौनक रॉय चौधरी होंगे मुख्य वक्ता
- वीसी, रजिस्ट्रर और डीन की रहेगी उल्लेखनीय मौजूदगी
- आईआईटी, आईआईएम एवम् देश-विदेश के प्रीमियर इंस्टिट्यूशन्स के विशेषज्ञ होंगे टॉक सीरीज में मेहमान
मुरादाबाद, 10 दिसंबर ( भाटिया) । तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी की ओर से लीडरशिप टॉक सीरीज का यूनिवर्सिटी के ऑडिटोरियम में 14 दिसंबर को पूर्वांहन 11 बजे शंखनाद होगा। टॉक सीरीज की थीम इंटरप्रेन्योरशिप, इंस्टिट्यूशन एंड कंपीटिटिवनेस रहेगी। टॉक सीरीज में बनयान एडु सर्विस, नई दिल्ली के फाउंडर श्री शौनक रॉय चौधरी बतौर मुख्य वक्ता स्टुडेंट्स को संबोधित करेंगे। लीडरशिप टॉक सीरीज के शुभारम्भ में कुलपति प्रो. रघुवीर सिंह, रजिस्ट्रार डॉ. आदित्य शर्मा, टॉक सीरीज की कन्वीनर एवम् एसोसिएट डीन प्रो. मंजुला जैन आदि की गरिमामयी मौजूदगी रहेगी। इस मौके पर बिजनेस इन्क्यूबेशन मैनेजर श्री नीरज मित्तल, असिस्टेंट डायरेक्टर एकेडमिक्स मिस नेहा आनन्द, आईआईसी की कन्वीनर डॉ. गीतान्शु डावर के अलावा दीगर कॉलेजों के प्रिंसिपल्स, एचओडी, फैकल्टीज और छात्र-छात्राएं भी शामिल होंगे।
व्याख्यान की कन्वीनर एवम् एसोसिएट डीन-एकेडिमिक्स प्रो. मंजुला जैन ने यह जानकारी देते हुए बताया, छात्रों को उद्योग की कार्यशैली के अपडेशन के संग-संग आत्मविश्वास और स्मार्ट होने की दरकार है। लेकिन यहां सवाल उठता है कि बिना इंडस्ट्री में आए किसी भी छात्र को यह सब कैसे पता चलेगा? इसी कारण से उद्योग और शिक्षा जगत से टॉक सीरीज़ के आयोजन का महत्व और बढ़ जाता है। इसी को ध्यान में रखते हुए तीर्थंकर महावीर यूनिवर्सिटी लीडरशिप टॉक सीरीज शुरू करने जा रही है। इसमें भविष्य में आईआईटी, आईआईएम और देश-विदेश के प्रीमियर इंस्टिट्यूशन्स के विशेषज्ञों को छात्रों के साथ बातचीत करने के लिए आमंत्रित किया जाएगा।
उल्लेखनीय है, छात्रों के सर्वांगीण विकास की वकालत करने वाली राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में स्पष्ट उल्लेख है, वैश्विक चुनौतियों से निपटने के लिए सिर्फ किताबी ज्ञान ही काफी नहीं है। छात्रों को जमीनी हकीकत के अनुभवों वाली हस्तियों की संगत और व्यापार के गुर पहले से सीखने की समय-समय पर जरूरत है। वैश्विक बदलाव और आवश्यकताओं के चलते उच्च शिक्षा मे क्रांतिकारी बदलाव शिद्दत से महसूस किया जा सकता है। के पारंपरिक शिक्षा को दुनिया की परिस्थितियों के अनुकूल ढालने की जरूरत है। यह बात दीगर है, यह एक या दो दशक पहले की आवश्यकताओं से अलग हैं। स्टुडेंट्स को भी अपने आप को अपडेट करना होगा। ज्ञान प्राप्ति को माइंड सेट बदलना होगा। उन्होंने उम्मीद जताई, शिक्षण संस्थानों में सबसे प्रभावी और सदाबहार तरीकों में विशेषज्ञ वार्ता श्रृंखला और अतिथि व्याख्यान मील का पत्थर साबित होते हैं।