शराब नहीं पानी दो का नारा उलट गया पहाड़ में, सामाजिक कार्यकर्ताओं की भूमिका भी बदल दी शराब व्यवसाइयों ने

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-गौचर से दिगपाल गुसाईं
एक समय था जब गौचर में शराब नहीं पानी दो आंदोलन ने शासन प्रशासन के नाक में दम कर दिया था। लेकिन आज जिस तरह से शराब कारोबारी ऊंचे दामों पर गांव गांव घर घर शराब परोसकर सामाजिक तानेबाने को नष्ट करने तुले हुए हैं इससे सामाजिक कार्यकर्ता का तगमा पहनने वालों की भूमिका भी संदेह के घेरे आ गई है।

कुछ साल पहले जब जनपद चमोली के गौचर पालिका क्षेत्र के मुख्य बाजार में ऋषिकेश बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर नियम कानून को धत्ता बताकर शराब की दुकान खोलने का प्रयास किया गया तब कतिपय सामाजिक कार्यकर्ताओं ने शराब की दुकान खोलने के विरोध में आंदोलन चलाकर शासन प्रशासन के नाक में दम कर दिया था। इस आंदोलन में केवल गौचर क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता ही नहीं बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में अपनी राजनीति चमकाने वाले महिला पुरुष भी सामिल थे।अब नौबत ऐसी आ गई है कि शराब कारोबारियों ने समाजिक कार्यकर्ताओं की निष्क्रियता के चलते गांव गांव घर घर शराब पहुंचाकर समाजिक तानाबाने को नष्ट करना शुरू कर दिया है।

यही नहीं सरकार के ओवर रेटिंग न किए जाने के आदेश के बावजूद भी यहां धड़ल्ले से प्रिंट रेट से ऊपर शराब बेचकर लोगों की जेब पर डाका डालने का काम किया ज रहा है। ताजुब तो इस बात का है कि जिले का आबकारी विभाग सब जानते हुए भी क्यों कार्यवाही नहीं कर रहा है यह बात किसी के समझ में नहीं आ रही है। खुशाल सिंह असवाल का कहना कि इस संबंध में कई बार आबकारी अधिकारी फोन किया गया लेकिन वे फोन उठाने को ही तैयार नहीं हैं।

व्यापार संघ अध्यक्ष राकेश लिंगवाल का कहना है कि गांवों में शराब पहुंचाकर जो सामाजिक तानेबाने को खराब करने का काम किया जा रहा है यह का कहीं तक भी क्षमा योग्य नहीं है यहीं नहीं प्रिंट से ऊपर सामान बेचना भी अपराध की श्रेणी में आता है। उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि समय रहते आबकारी विभाग ने उचित कदम नहीं उठाया तो आंदोलन किया जाएगा।

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