लोक सभा चुनाव 2024 : उत्तराखंड में चुनाव वहिष्कारों ने खोली विकास के दावों की पोल : सत्ता के अहंकार ने नहीं सुनी प्रतिकार की आवाजें

–by Jay Singh Rawat
देहरादून, 19 अप्रैल। निर्वाचन आयोग द्वारा सायं 7 बजे जारी विग्यप्ति के अनुसार उत्तराखंड में आज शुक्रवार 19 अप्रैल को संपन्न लोक सभा चुनाव के लिए 53.56 प्रतिशत मतदान हुआ। यह मत प्रतिशत 2019 के चुनाव से कम है। जबकि चुनाव मशीनरी ने इस बार मतदान प्रतिशत बढ़ने ले लिए पूरी ताकत झोंक दी थी । सन 2019 में राज्य का मतदान प्रतिशत 58.01 प्रतिशत था। मतदान के असली आंकड़े ईवीएम मशीनों के लौटने के बाद ही जारी होंगे. सभी मतदान पार्टियां सोमवार तक अपने-अपने मुख्यालयों पर लौट जाएँगी।
प्रदेश में 2019 के मुकाबले इस बार मतदान प्रतिशत गिरने के साथ ही मतदान बहिष्कार में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। 2019 में जहां 10 स्थानों पर चुनाव का बहिष्कार हुआ था, वहीं इस बार के चुनाव में यह आंकड़ा 25 को पार कर गया है।

आयोग द्वारा जारी मतदान के अस्थायी आंकड़ों से प्रत्याशियों और प्रमुख दलों की पेशानी में बल पड़ गए है. इस बार भारत निर्वाचन आयोग की ओर से सरकारी मशीनरी द्वारा पूरी ताकत और संसाधन झोकने के बावजूद मतदान प्रतिशत के गिरने की संभावना शासन प्रशासन के लिए लिए भी चिंता का सबब बन गया है ।

जानकारों के अनुसार मत प्रतिशत गिरने का एक प्रमुख कारण शादियों का सीजन भी रहा । आजकल फसल काटने का सीजन होना भी एक कारण गिनाया जा सकता है. कुछ स्थानों पर ग्रामीणों द्वारा चुनाव वहिष्कार भी काम मतदान का कारन रहा और इसके लिए पूरी तरह शासन प्रशासन की लापरवाही को जिम्मेदार माना जा सकता है । फ़िलहाल चमोली गढ़वाल ने कर्णप्रयाग विधानसभा क्षेत्र के सकंड गांव और थराली के देवराड़ा गावों द्वारा मतदान वहिष्कार की सूचना है. इनके अलावा भी कई अन्य गावों के उपेक्षित ग्रामीणों द्वारा एक आरसे से मतदान वहिष्कार के चेतावनियां दी जा रही थी.।
थराली के देवराड़ा में दिनभर मतदाताओं का इंतज़ार करते रहे मतदान कर्मी।(वीडियो -हरेंद्र बिष्ट)
दरअसल यह विकास के दावों के खोखलेपन का ही सबूत है। वहिष्कार के लिए जन सरोकारों के प्रति उदासीनता और सत्ताधारियों का ओवर कॉन्फिडेंस तथा अहंकार भी एक कारण रहा। सत्ता में बैठे लोगों को ये अहंकार रहा कि उनको सत्ता में बनाये रखना जनता की महती जिम्मेदारी है चाहे कोई सरकार से खुश हो या न हो। या जनता की सड़क, बिजली, पानी, स्कूल जैसी मूलभूत समस्याओं का समाधान हो या न हो ।

