कम लागत वाला अधिक कारगर, मौलिक, पॉलीमर-आधारित इलेक्ट्रोलाइट तैयार
–उषा रावत –
एक नया कम लागत वाला, मौलिक, पॉलीमर-आधारित इलेक्ट्रोड/रेडॉक्स-सक्रिय विद्युत –अपघट्य (इलेक्ट्रोलाइट) संयोजन किसी भी सुपरकैपेसिटर को बेहतर इलेक्ट्रोकेमिकल प्रदर्शन और चक्रीय (साइकिलिंग) स्थिरता प्रदान कर सकता है तथा ऊर्जा भंडारण की सुविधा और धारण योग्य (वियरेबल) एकीकृत उपकरणों में शक्ति प्रदान कर सकता है।
आधुनिक विश्व की बढ़ती हुई ऊर्जा मांगों के साथ नवीकरणीय ऊर्जा के संचयन और भंडारण के लिए नवीन विधियों और सामग्रियों की खोज अनुसंधान का एक नवीनतम क्षेत्र बन गया है। सुपरकेपेसिटर अथवा अल्ट्राकेपेसिटर ऊर्जा भंडारण प्रौद्योगिकी में प्रमुखता दिए जाने वाले क्षेत्रों में से एक हैं क्योंकि इनमे बड़ी मात्रा में बिजली और निरंतर ऊर्जा की उपलब्धता प्रदान करके विभिन्न उपकरणों को अचानक किक- स्टार्ट देने के लिए परंपरागत कैपेसिटर्स और बैटरी, दोनों के विशेष गुणों का समावेश किया गया है।
सुपरकैपेसिटर की इलेक्ट्रोड सामग्री इन ऊर्जा उपकरणों की कार्यक्षमता और स्थायित्व के निर्धारण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। अपने लचीलेपन, स्थायित्व और ट्यून करने योग्य विद्युत और विद्युत रासायनिक गुणों के कारण पॉलीएनिलिन और पॉलीपीरोल जैसे संवाहक बहुलक (कंडक्टिंग पॉलिमर) इलेक्ट्रोड सामग्री के लिए उत्कृष्ट पात्र हैं। साथ ही ये कम खर्चीले, कम भारी (हल्के) भी हैं और आसानी से संश्लेषित किए जा सकते हैं। हालाँकि, इन इलेक्ट्रोडों का उपयोग करके निर्मित सुपरकैपेसिटर निरंतर संचालन के कुछ चक्रों के बाद प्रारंभिक विद्युत रासायनिक स्थिरता को निरंतर बनाए रखने में विफल रहते हैं। इन उपकरणों का खराब ऊर्जा घनत्व एक और ऐसा मुद्दा है जो व्यावहारिक अनुप्रयोगों में इन उपकरणों के उपयोग को सीमित कर देता है।
सनातन धर्म कॉलेज, अलाप्पुझा के भौतिकी विभाग के डॉ. श्रीकांत जे वर्मा की अध्यक्षता में दी मैटेरियल फॉर स्टोरेज एंड ऑप्टोइलेक्ट्रॉनिक डिवाइसेस ग्रुप ने पॉलीएनिलिन ( पीएएनआई ) आधारित सुपरकेपेसिटर के कार्य निष्पादन में सुधार करने की रणनीति ढूंढी है और बहुत उच्च विशिष्ट क्षेत्र या क्षेत्र की क्षमता की प्रति इकाई क्षमता और लंबे समय तक चक्रीय जीवन हासिल किया है। उन्होंने पाया कि स्व-स्थिर बहुलकीकरण (सेल्फ- स्टैबिलाइज्ड पोलीमराइजेशन– एसएसडीपी) प्रक्रिया से संश्लेषित मौलिक, झरझरा (पोरस), संचालन और उच्च आणविक-भार पीएएनआई से बने इलेक्ट्रोड्स को जब ऐसे एक योजक (एडिटिव) के साथ संचालित इलेक्ट्रोलाइट के साथ प्रयोग में लाया जाता है जो रेडॉक्स प्रतिक्रियाओं (रेडॉक्स-एडिटिव) को बढ़ाता है तब वह इन ऊर्जा भंडारण उपकरणों को अविश्वसनीय प्रदर्शन देने के लिए संचालित कर सकता है।
इन इलेक्ट्रोडों का उपयोग करके निर्मित हल्के सममित (सेमेट्रिक) सुपरकेपसिटर कई नई इलेक्ट्रोड सामग्रियों से बेहतर प्रदर्शन करते हैं। कंडक्टिंग पॉलीमर-आधारित इलेक्ट्रोड हल्का और अत्यधिक स्थायित्व वाला होता है। सुपरकैपेसिटर के बेहतर कार्यक्षमता और लंबे चक्रीय जीवनकाल को बंधन-मुक्त (बाइंडर-फ्री) प्रकृति, सरंध्रता (पोरोसिटी), उच्च और सम आणविक भार एवं इलेक्ट्रोड सामग्री की प्रशंसनीय चालकता और इलेक्ट्रोड/रेडॉक्स-सक्रिय इलेक्ट्रोलाइट संयोजन के लिए उत्तरदायी ठहराया जाता है।
हाल ही में जर्नल ‘इलेक्ट्रोकिमिका एक्टा’ में प्रकाशित इस अध्ययन को विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) कार्यक्रम की विज्ञान और प्रौद्योगिकी आधारभूत अवसंरचना सुधार के लिए निधि (फंड फॉर इम्प्रूवमेंट्स ऑफ़ एसएंडटी इन्फ्रास्ट्रक्चर- एफआईएसटी) कार्यक्रम के माध्यम से प्राप्त इंस्ट्रूमेंटेशन सुविधा का उपयोग से करवाया गया है, जो कम लागत और हल्के (धारणीय– वियरेबल) इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के लिए ऊर्जा स्रोतों की विकास के लिए नए रास्ते खोलेगा।