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मुख्यमंत्री की घोषणा का लाभ सफाई कर्मियों से ज्यादा बिचौलियों को हो रहा

  • सफाई कर्मचारियों को 500 रू. मानदेय की घोषणा का लाभ सभी सफाई कर्मचारियों को नही मिल रहा
  • आउटसोर्स एजेंन्सी के संचालको पर लग रहे गंभीर आरोप

–उत्तराखंड हिमालय ब्यूरो –

देहरादून, 15 दिसम्बर। पर्यावरण मित्रों का मानदेय 500 रुपये प्रति माह बढ़ाने की घोषणा का लाभ अभी भी नगर निकायों के सभी पर्यावरण मित्रों (सफाई कर्मचारियों) को नहीं मिल रहा हैै। अलबत्ता इससे आउटसोर्स एजेन्सियों के संचालकों का सर्विस जार्च बढ़ने तथा जी.एस.टी., ई.एस.आई तथा जी.पी.एफ. कटौती की अधिक धनराशि मिलने से उन्हें सर्वाधिक लाभ अवश्य मिल रहा है। इन आउटसोर्स एजेन्सियों के संचालकों पर कर्मचारी शोषण के गंभीर आरोप भी लगते रहते हैैं।

काशीपुर के सूचनाधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्दीन को लोक सूचना अधिकारी/मुुुख्य नगर स्वास्थ अधिकारी नगर निगम देहरादून द्वारा उपलब्ध करायी गयी सूचना के अनुसार आउटसोर्स के माध्यम से तैनात सफाई कर्मियों को शासनादेश दिनांक 12-04-22 के अन्तर्गत रू. 500 प्र्रतिदिन की दर से मानदेय कार्मिकों को इसका लाभ नहीं दिया जा रहा है। जिस कारण कार्मिकों को पुुुरानी दर रू. 350 प्रतिदिन की दर से मानदेय दिया जा रहा है। इसमें से भी 13 प्रतिशत पी0एफ0 तथा 3.25 प्र्रतिशत ई0एस0आई0 की कटौती की जा रही हैै।

लोक सूचना अधिकारी/सहायक नगर आयुुक्त नगर निगम, कणनगरी, कोटद्वार ने अपने पत्रांक 2559 से सूचित किया हैै कि सभी पर्यावरण मित्रोें को 500 रू. प्र्रतिदिन के हिसाब से मानदेय दिया जा रहा है। उनके द्वारा उपलब्ध आउटसोर्स एजेन्सी के बिल की प्र्रतिलिपियों से स्पष्ट है कि एजेन्सी के 500 रू. प्र्र्रतिदिन मानदेय के अतिरिक्त 13 प्र्र्रतिशत ई.पी.एफ. तथा 3.25 प्र्र्रतिशत ई.एस.आई. की धनराशि का अलग से भुगतान किया जा रहा हैै। इसके अतिरिक्त 1.6 प्र्र्रतिशत की दर से सर्विस चार्ज भी एजेंन्सी को मिल रहा है। जून तक 316 रू. प्र्रतिदिन की दर से भुगतान के कारण सर्विस चार्ज की धनराशि कम थी लेकिन दर बढ़ोत्तरी से इसमें भारी वृृद्धि हो गयी है।

नगर निगम ऋषिकेश के लोक सूचना अधिकारी द्वारा पत्रांक 1691 से उपलब्ध करायी गयी सूचना के अनुसार आउटसोर्स एजेन्सी के जुलाई 2022 से 500 रू. प्रतिदिन के हिसाब से मानदेय का भुगतान किया जा रहा है। इसके अतिरिक्त 13 प्र्र्रतिशत ई.पी.एफ. 3.25 प्रतिशत ई.एस.आई. तथा 20 प्र्र्रतिशत डिवीडेट के भी भुगतान किये जा रहे है जबकि इससे पूर्व 320 रू. प्र्रतिदिन तथा इस धनराशि पर ई.पी.एफ., ई.एस.आई. व डिवीडेट का भुगतान किया जा रहा है।

नदीम ने बताया कि पर्यावरण मित्रों की आउटसोर्स व्यवस्था लागू होने से जहां प्र्राइवेट आउट सोर्स एजेन्सी रूपी बिचौलियों को लाभ होता हैै, वहीं कमचारियों का भारी शोषण होता है तथा आउटसोर्स एजेन्सी के संचालकों के दवाब के चलते सफाई कार्य भी प्र्रभावित होता हैै। इसके अतिरिक्त उन्हंे दिये जा रहे सर्विस चार्ज/डिवीडेट, जी.एस.टी. के रूप में अतिरिक्त भार भी नगर निकायों पर पड़ता है। इन एजेन्सियोें पर पूरा मानदेय न देने, जी.पी.एफ. तथा ई.एस.आई. का पैसा जमा न करने तथा इसका भुुगतान कर्मचारी द्वारा प्र्राप्त करने में बाधा उत्पन्न करने के आरोप लगते रहते हैं। इसके विरूद्ध कर्मचारी सेवा समाप्त किये जाने तथा उसके परिवार व रिश्तेदारों को सेवा से हटाने के डर से कोई कार्यवाही या शिकायत भी नहीं कर पाता। इसलिये जनहित, निगम हित तथा कर्मचारी हित में यह व्यवस्था समाप्त होनी चाहिए।
काशीपुर निवासी सूचना अधिकार कार्यकर्ता नदीम उद्््दीन ने उत्तराखंड के सभी नगर निगमोें से मुख्यमंत्री की घोषणा पर जारी शासनादेश का पालन कर 500 रू. प्रतिदिन मानदेय का भुगतान करने सम्बन्धी सूचनायें मांगी थी। इसके उत्तर में किसी भी नगर निगम ने पूर्ण सूचनायें उपलब्ध नहीं करायी तथा विभिन्न नगर निगमोें ने कोई सूचना ही नहीं उपलब्ध करायी गई। इन सबकी प्रथम अपील की गयी है। जो सूचनायें उपलब्ध करायी गयी है उसी सेे चौंकाने वाले तथ्य प्रकाश में आये हैैं।

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