राष्ट्र ने भारत की ऐतिहासिक कारगिल विजय की 24वीं वर्षगांठ मनाई
नयी दिल्ली, 26 जुलाई। राष्ट्र ने भारत की ऐतिहासिक जीत की 24वीं वर्षगांठ,जिसे हर साल 26 जुलाई को ‘कारगिल विजय दिवस’ के रूप में मनाया जाता है,पर 1999 के कारगिल युद्ध के वीर सैनिकों को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की । इस दिन को चिह्नित करने के लिए, रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह ने आज लद्दाख के द्रास में कारगिल युद्ध स्मारक का दौरा किया, पुष्पांजलि अर्पित की और उन वीर सैनिकों को श्रद्धांजलि दी जिन्होंने ‘ऑपरेशन विजय’ के दौरान असाधारण वीरता का प्रदर्शन किया था।
द्रास के समारोह में युद्ध नायकों, वीर नारियों और शहीद नायकों के परिवारों की उपस्थिति भी देखी गई। श्री राजनाथ सिंह ने उनसे परस्पर बातचीत की और राष्ट्र की सेवा में सर्वोच्च बलिदान देने वाले सभी लोगों का स्मरण करते हुए हार्दिक आभार व्यक्त किया। उन्होंने उन्हें आश्वासन दिया कि इन वीरों का बलिदान कभी नहीं भुलाया जाएगा।
रक्षा मंत्री ने उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए सशस्त्र बलों की वीरता और प्रतिबद्धता की सराहना की, जिन्होंने समय-समय पर देश को संकट के समय मजबूती से खड़े रहने में मदद की है। उन्होंने कहा, आज का भारत सैनिकों के बलिदान की नींव पर टिका है। श्री राजनाथ सिंह ने ‘ऑपरेशन विजय’ को एक ऐसी घटना के रूप में वर्णित किया, जिसने प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद भारत के साहस और दृढ़ संकल्प को प्रदर्शित किया। उन्होंने इस विजय को एक लॉन्च पैड भी करार दिया, जिसने देश को सफलता की ऊंचाइयों को छूने के लिए प्रेरित किया।
श्री राजनाथ सिंह ने कारगिल युद्ध के कई बहादुर सैनिकों के वीरतापूर्ण कार्यों को याद किया, जिनमें परमवीर चक्र (पीवीसी) पुरस्कार विजेता कैप्टन विक्रम बत्रा और कैप्टन मनोज पांडे तथा वीर चक्र (वीआरसी) पुरस्कार विजेता लेफ्टिनेंट कर्नल आर विश्वनाथन, कैप्टन जिंटू गोगोई, कैप्टन विजयंत थापर और नायब सूबेदार मंगेज सिंह शामिल थे,जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं और हमेशा स्मरण किये जायेंगे।
रक्षा मंत्री ने फ्लाइट लेफ्टिनेंट गुंजन सक्सेना और श्रीविद्या राजन का विशेष उल्लेख किया, जिन्होंने युद्ध के दौरान असाधारण साहस दिखाया और यह संदेश दिया कि जब देश की सीमाओं की सुरक्षा की बात आती है तो भारतीय महिलाएं अपने पुरुष समकक्षों से कम नहीं हैं। उन्होंने रेखांकित किया कि ये सभी सैनिक भारत के विभिन्न क्षेत्रों से थे, लेकिन देश और उसके लोगों के हितों की रक्षा के लिए एक होकर लड़े।
रक्षा मंत्री ने रूस-यूक्रेन युद्ध का उदाहरण देते हुए कहा कि यह युद्ध, जो पिछले एक वर्ष के अधिक समय से जारी है, आज के समय में संघर्षों की अप्रत्याशित प्रकृति को दर्शाता है। उन्होंने कहा कि यह युद्ध लंबा खिंच गया है क्योंकि लोग अपने प्रयोजन के लिए लड़ने के लिए प्रशिक्षण ले रहे हैं और अपनी सेना में शामिल हो रहे हैं।
श्री राजनाथ सिंह ने लोगों से अपील की कि आवश्यकता पड़ने पर वे न केवल परोक्ष रूप से बल्कि प्रत्यक्ष रूप से भी युद्ध में भाग लेने के लिए तैयार रहें । उन्होंने कहा,“लोगों को मानसिक रूप से तैयार रहना चाहिए, ताकि जब भी देश को उनकी आवश्यकता हो, वे सशस्त्र बलों की मदद के लिए तैयार रहें। जैसे हर सैनिक भारतीय है; उसी तरह, हर भारतीय को एक सैनिक की भूमिका निभाने के लिए तैयार रहना चाहिए।”
इस समारोह में लद्दाख के उपराज्यपाल ब्रिगेडियर (डॉ.) बीडी मिश्रा (सेवानिवृत्त), चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, थल सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे, नौसेना स्टाफ प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी, पूर्व सेना प्रमुख जनरल वीपी मलिक (सेवानिवृत्त), उत्तरी कमान के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ लेफ्टिनेंट जनरल उपेन्द्र द्विवेदी, जनरल ऑफिसर कमांडिंग, 14 कोर लेफ्टिनेंट जनरल रशिम बाली, लेफ्टिनेंट जनरल वाईके जोशी (सेवानिवृत्त) और लेफ्टिनेंट जनरल अमरनाथ औल (सेवानिवृत्त) ने भाग लिया।
साहस और दृढ़ संकल्प के सच्चे उदाहरण और पीवीसी प्राप्तकर्ता सूबेदार मेजर संजय कुमार और महावीर चक्र विजेता हवलदार दिगेंद्र कुमार की उपस्थिति ने सभा को प्रेरित किया। कैप्टन मनोज पांडे, पीवीसी के भाई श्री मनमोहन पांडे और कैप्टन विक्रम बत्रा, पीवीसी के भाई श्री विशाल बत्रा भी इस अवसर पर उपस्थित थे। द्रास में आयोजित कार्यक्रम एकता, कृतज्ञता और गर्व का क्षण था, क्योंकि राष्ट्र उस वीरता को सम्मानित करने के लिए एकजुट हुआ था जो ‘भारत की भावना’ को परिभाषित करती है।
राष्ट्रीय राजधानी में, रक्षा राज्य मंत्री श्री अजय भट्ट, रक्षा सचिव श्री गिरिधर अरमाने, चीफ ऑफ स्टाफ कमेटी (सीआईएससी) के इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ के चीफ लेफ्टिनेंट जनरल जेपी मैथ्यू और तीनों सेनाओं के वाइस चीफ ने राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की और शहीद नायकों को श्रद्धांजलि दी।