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इन्फ्रारेड अवशोषण प्रौद्योगिकियों के लिए नए कृत्रिम नैनोस्ट्रक्चर रक्षा क्षेत्र, छायांकन और सम्वेदन में उपयोगी हो सकते हैं

A new method to confine and absorb infrared (IR) light with GaN nanostructures can help develop highly efficient infrared absorbers, emitters, and modulators that are useful in defense technologies, energy technologies, imaging, sensing, and so on.

-उत्तराखंड हिमालय  ब्यूरो  –

गैलियम नाइट्राइड (जीएएन – GaN) नैनोस्ट्रक्चर के साथ अवरक्त (इन्फ्रारेड – आईआर) प्रकाश को सीमित और अवशोषित करने की एक नई विधि ऐसे अत्यधिक कुशल अवरक्त (इन्फ्रारेड) अवशोषक, उत्सर्जक और मॉड्यूलेटर को विकसित करने में सहायक बन सकती है जो रक्षा प्रौद्योगिकियों, ऊर्जा प्रौद्योगिकियों, छायांकन और सम्वेदन में उपयोगी हैं।

गैलियम नाइट्राइड (जीएएन – GaN ) नीले प्रकाश उत्सर्जन के लिए व्यापक रूप से उपयोग की जाने वाली सबसे उन्नत अर्धचालकों में से एक सामग्री है। हालांकि एलईडी और लेजर डायोड व्यावसायिक रूप से उपलब्ध होने के साथ ही गैलियम नाइट्राइड के दृश्यमान और पराबैंगनी प्रकाश अनुप्रयोगों को पहले ही अनुभव किया जा चुका है, तथापि अवरक्त (इन्फ्रा रेड) प्रकाश संचयन अथवा जीएएन-आधारित इन्फ्रा रेड प्रकाशिक तत्वों के विकास के लिए गैलियम नाइट्राइड का उपयोग अब भी कम है।

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त संस्थान, बेंगलुरु के जवाहर लाल नेहरू उन्नत वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र (जवाहरलाल नेहरू सेंटर फॉर एडवांस्ड साइंटिफिक रिसर्च – जेएनसीएएसआर) के शोधकर्ताओं ने पहली बार गैलियम नाइट्राइड (जीएएन) नैनोसंरचना (नैनोस्ट्रक्चर) के साथ अवरक्त प्रकाश उत्सर्जन और अवशोषण दिखाया है। हालांकि गैलियम नाइट्राइड से नीला प्रकाश उत्सर्जन कुछ समय के लिए जाना जाता है और इसका उपयोग एलईडी में किया जाता है, पर यह पहली बार है कि जीएएन में अवरक्त प्रकाश- पदार्थ परस्पर क्रियाओं का प्रदर्शन किया गया है। इस प्रदर्शन के लिए, उन्होंने गैलियम नाइट्राइड नैनोस्ट्रक्चर में सतह पोलरिटोन उत्तेजना नामक एक वैज्ञानिक घटना का उपयोग किया है जो इन्फ्रा रेड वर्णक्रमिक सीमा (आईआर  स्पेक्ट्रल रेंज) में प्रकाश-पदार्थ की अंतर्क्रिया का कारण बनता है।

तलीय पोलरिटोन एक संवाहक और एक अवरोधक जैसे वायु के इंटरफेस पर यात्रा करने वाली विद्युत चुम्बकीय तरंगों के विशेष प्रकार हैं। नैनोसंरचना की आकारिकी और स्वरूप में परिवर्तन करके, वे जीएएन में प्लास्मोन पोलरिटोन को उत्तेजित करने में भी सक्षम होते हैं, जिसके परिणामस्वरूप प्रकाश-पदार्थ युग्मन को विद्युत चुम्बकीय वर्णक्रम की और अधिक पहुंच तक बढ़ाया जाता है। ये पोलरिटोन ऐसे अर्ध-कण होते हैं जिनमें प्रकाश और पदार्थ दोनों की विशेषताएं होती हैं।

शोधकर्ताओं ने इन गैलियम नाइट्राइड नैनोस्ट्रक्चर को विकसित करने के लिए जेएनसीएएसआर  में अंतर्राष्ट्रीय पदार्थ विज्ञान केंद्र (इंटरनेशनल सेंटर फॉर मैटेरियल्स साइंस) में आणविक बीम एपिटॉक्सी नामक एक विशेष सामग्री एकत्रीकरण उपकरण का प्रयोग किया। यह उपकरण मनुष्य के बाल की चौड़ाई से लगभग 100000 गुना छोटे आयामों के साथ उच्च गुणवत्ता वाली सामग्री के नैनोस्ट्रक्चर को विकसित करने के लिए बाहरी अंतरिक्ष की स्थितियों के समान अल्ट्रा-हाई वैक्यूम का उपयोग करता है।

ऐसी अत्याधुनिक सामग्रियां पोलरिटोन-आधारित उपकरणों के निर्माण की अनुमति देती हैं, जो पारंपरिक इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों को कई प्रकार के लाभ प्रदान करते हैं। पोलारिटोनिक तकनीकों ने अनुप्रयोगों की एक विस्तृत श्रृंखला जैसे सुरक्षित उच्च गति प्रकाश-आधारित संचार (एलआईएफआई – LiFi), अगली पीढ़ी के प्रकाश स्रोत, सौर ऊर्जा कन्वर्टर्स, क्वांटम कंप्यूटर और अपशिष्ट-ताप कन्वर्टर्स को आकर्षित किया है।

“पिछले 25 वर्षों में गैलियम नाइट्राइड (जीएएन) के साथ नीली एलईडी ने हमारी दुनिया को महत्वपूर्ण रूप से बदल दिया है। यद्यपि जीएएन से नीला प्रकाश उत्सर्जन अच्छी तरह से समझा जाता है, तथापि अवरक्त प्रकाशिकी के लिए जीएएन का उपयोग अब भी अच्छी तरह से स्थापित नहीं है। हमारा काम इन्फ्रारेड नैनोफोटोनिक अनुप्रयोगों में जीएएन के उपयोग के लिए एक अभिनव मार्ग प्रदर्शित करता है। महत्वपूर्ण रूप से, यहां वैज्ञानिकों ने कहा कि इन्फ्रारेड सतह की जिस पोलरिटोन उत्तेजना को हमने प्रदर्शित किया है उसे कई अन्य अर्धचालकों (सेमीकन्डक्टर्स) में भी अनुप्रयोगी किया जा सकता है।” यह शोध प्रतिष्ठित जर्नल नैनो लेटर्स में प्रकाशित हुआ है। इसमें प्रौद्योगिकी की अवधारणा का प्रमाण प्रदर्शित किया गया है।

जवाहर लाल नेहरू उन्नत वैज्ञानिक अनुसंधान केंद्र में सहायक प्रोफेसर डॉ. बिवास साहा ने कहा,” इस काम से ऊर्जा, सुरक्षा, छायांकन और अन्य अनुप्रयोगों के लिए अवरक्त (इन्फ्रा रेड – आईआर)  स्रोतों और डिटेक्टरों की मांग को पूरा करने में बहुत लाभ होगा।”

प्रकाशन लिंक:

https://pubs.acs.org/doi/pdf/10.1021/acs.nanolett.2c03748

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