सालम क्रांति दिवस के अवसर पर पूर्व और वर्तमान मुख्यमंत्रियों तथा नेता प्रतिपक्ष सहित प्रदेशवासियों ने याद किया शहीदों को
—उषा रावत —
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने आज 25 अगस्त को तहसील जैंती के धामदेव में सालम क्रांति दिवस के अवसर पर शहीद स्मारक पर पुष्प चक्र अर्पित कर शहीद नर सिंह एवं टीका सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस क्षेत्र के स्वतंत्रता सेनानी नर सिंह और टीका सिंह ने अग्रेजों से लड़ते हुए 25 अगस्त 1942 को इस स्थान पर बलिदान दिया था। उनकी बरसी पर हर साल धामदेव में यह दिवस मनाया जाता है।
मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि नर सिंह और टीका सिंह के जीवन से आज युवाओं को प्रेरणा लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि शहीदों का सम्मान स्वयं का भी सम्मान है। उन्होंने कहा कि देश ने पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश के वीर सपूतों को याद करते हुए आजादी का अमृत महोत्सव मनाया है, जिसके तहत आजादी के ऐसे अनगिनत अमर शहीदों को याद किया गया। उन्होंने हर घर झंडा अभियान में भागीदारी के लिए जनता जनार्दन का आभार व्यक्त किया।
कांग्रेस से पूर्व सीएम हरीश रावत, नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गोविंद सिंह कुंजवाल भी जैंती पहुंचे। जहां उन्होंने भी शहीद स्थल पहुंचकर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की। इस दौरान पूर्व सीएम हरीश रावत ने कहा कि सालम प्रांत का महान दिन है।आज के दिन नर सिंह और टीका सिंह के शौर्य, साहस व बलिदान को याद करते हैं। और उनके परिवार और सालम की धरती को प्रणाम करते हैं।
अल्मोड़ा शहर फाटक में 23 जून 1942 को मंडल कांग्रेस की एक बड़ी सभा आयोजित की गई, जिसमे कुमाऊं क्षेत्र के प्रसिद्ध नेता हर गोविंद पंत जी ने झंडा फहराया। बाद में राजस्व पुलिस ( पटवारी ) ने झंडा उतार कर भीड़ को तीतर बितर कर दिया। फिर 1 अगस्त 1942 को सालम के 11 स्थानों पर झंडा फहराने का निर्णय हुवा। 6 अगस्त को भारत छोड़ो और करो या मरो आंदोलन का प्रस्ताव पास होने के बाद 9 अगस्त को महात्मा गांधी जी को गिरफ्तार कर लिया गया। और उत्तराखंड के प्रतिनिधि गोविंद बल्लभ पंत जी को भी हिरासत में ले लिया गया।
पूरे देश मे नेताओ और कार्यकर्ताओं की धरपकड़ शुरू हो गई। इसी धर पकड़ के लिए पटवारियों का दल ,राम सिंह आजाद के घर सांगड गावँ में पहुच गया। मगर राम सिंह आजाद पटवारी दल को चकमा देकर गायब हो गए। उस समय सालम क्षेत्र के गावों में लगभग 200 कौमी एकता दल के सदस्य सक्रिय थे। वे पूरी ताकत से कैम्प लगा कर ,क्षेत्रीय जनता को जागरूक कर रहे थे। और ब्रिटिश सरकार भी इनको रात को गुपचुप पकड़ने की योजना बना रही थी।
19 अगस्त को कौमी एकता के सदस्यों का दल 23 -24 अगस्त को ,बिनोला, बांजधार,जैंती , बारम से नौगांव पहुच गया। यहां रात को ,भविष्य की योजना बना रहे थे,तो ब्रिटिश पुलिस बल ने गाव को चारों ओर से घेर लिया,और बैठक में शामिल 14 सदस्यों को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस बल द्वारा गिरफ्तार किए हुए सदस्य रात को, आजादी के गीत गाते हुए चलने लगे। और यह खबर आस पास के लोगो को पता चल गई,तो सभी क्षेत्रवासी बीरखम्भ में एकजुट हो गए। रात को अचानक इतनी बड़ी भीड़ देख कर पुलिस बल घबरा गया। डराने के लिए पटवारी ने हवाई फायर किया तो, भीड़ लाठी डंडे लेकर पोलिस वालों पर टूट पड़ी। उनकी बंदूकें छीन कर ,कौमी एकता के सदस्यों को छुड़ा लिया। अगले दिन जैंती स्कूल में , अल्मोड़ा से आये ,कौमी दल के सदस्यों ने सूचना दी कि, अंग्रेजो की फौज हथियारों से लैस होकर अल्मोड़ा से निकल गई है, कल दोपहर तक यहां पहुचने की संभावना है।
25 अगस्त 1942 के दिन आस पास के कई गांवों के लोग ,तिरंगे,ढोल नगाड़ों के साथ धामदेव के तप्पड़ में एकत्र होने लगे। थोड़ी देर बाद खबर मिली है, कि ब्रिटिश फ़ौज पूरे दल बल के साथ आ रही है, इसे सालम की बगावत को सख्ती से दमन करने के निर्देश मिले हैं। इस खबर से मानो जनता में भूचाल आ गया, हजारों की संख्या में लोग पूरे जोश से जुटने लगे।जब ब्रिटिश फ़ौज नजदीक पहुँची तो,उन्होंने जनता को डराने के लिए हवाई फायर की, तब जनता भड़क गई और अपने बचाव के लिए,ब्रिटिश सेना पर पत्थरों की बौछार शुरू कर दी। धामदेव का मैदान पूरा युद्ध का मैदान बन गया। एकतरफ दलबल के साथ ब्रिटीश सेना,दूसरी ओर कुमाऊं के निहत्ते स्वतंत्रता सेनानी। वहां हाहाकार मचा हुआ था। एक गोली चैकुना गाँव के नर सिंह धानक के पेट मे जा लगी और वो शाहिद हो गए। उसके बाद एक गोली टिका सिंह कन्याल को लगी ,वो गभीर रूप से घायल हो गए,बाद में शहीद हो गए। शाम होते होते यह सँघर्ष खत्म हो गया। इसमें जो कौमी दल के सदस्य पकड़े गए, उन पर जुल्म करते हुए उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया।