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ऑपरेशन सिल्क्यारा पूर्ण : एन डीआर एफ ने लगभग 1 घंटे में निकाल लिया अधिकांश मजदूरों को सुरंग से , सभी स्वस्थ और प्रसन्न निकले

 

-By Usha Rawat

सिलक्यारा, 28 नवम्बर। सुरंग हादसों के अब तक के सबसे बड़े रेस्क्यू ऑपरेशन को  17 वें  दिन आखिर सफलता मिल ही गयी। दीवाली के दिन 12 नवम्बर से उत्तरकाशी के सिलक्यारा में सुरंग में फंसे सभी  सभी 41 श्रमिकों को आज मंगलवार को कई दिनों की बहुआयामी जद्दोजहद के बाद सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है। 17 दिनों तक सुरंग में फंसे रहे मजदूरों का आज खुली हवा में सांस लेने के साथ ही बेचैनी से प्रतीक्षा कर रहे अपने परिजनों से आ मिलना एक अत्यन्त भावुक क्षण था। इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और केंद्रीय सड़क  परिवहन राज्य मंत्री जनरल बी. के. सिंह ने मुक्त हुए श्रमिकों का  फूल  मालाओं के साथ गर्मजोशी  से स्वागत किया।

मंगलवार सांय 7 बजकर 12 मिनट पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और केन्द्रीय राज्य मंत्री जनरल बी.के.सिंह ने सुरंग में प्रवेश किया और ठीक 7 बजकर 22 मिनट पर दोनों ही प्रसन्नचित मुद्रा में बाहर आ गये। थोड़ी देर में आगर मशीन के चालक ने बाहर आकर बताया कि रैट माइनर द्वारा खुदाई का काम पूरा हो गया है और एनडीआरएफ एक्टशन में आ गयी है और उनके पांच कमाडो पाइप से सुरंग में स्टेचर सहित घुस चुके हैं। 9  बजे तक 34 मजदूरों को  एन डीआर एफ सुरंग से बाहर निकल लिया था  सबसे पहले निकले  दोनों ही झरखंड के हैं।   इन जदूरों का सुरंग के अंदर बने मडिकल कैंप में मेडिकल परीक्षण किया गया।सभी श्रमिकों को प्राथमिक चेकउप के बाद तैयार कड़ी एम्बुलेंस से सीधे चिन्यालीसौड़ स्थित पीएचसी पहुँचाया गया . सुरंग से सबसे पहले 5 मजदूर 7 बज कर  45 मिनट पर बाहर निकाले गए थे।

कुछ समय से  ऑपरेशन के तकनीकी पक्ष का नेतृत्व अन्तर्राष्ट्र सुरंग विशेषज्ञ अरनोड डिक्स कर रहे थे। श्रमिकों को बाहर  निकालने  के लिए 5 मोर्चों पर काम  चल रहा था लेकिन अंततः सफलता सुरंग के मलबे में बहुत मोटी  पाइप घुसा कर रेस्क्यू करने में ही  मिली। विकल्प के तौर पर पहाड़ी की चोटी  से भी सुरंग के अंदर पहुँचने के लिए ड्रिलिंग की जा रही थी और लगभग 40 मीटर तक मोटा छेद  हो चुका था। दूसरी ओर बड़कोट की ओर से भी खुदाई की जा रही थी।

सुरंग से आज रेस्क्यू किये गये श्रमिकों में उत्तराखण्ड के 2, हिमाचल प्रदेश का एक, उत्तर प्रदेश के 8, बिहार के पांच, पश्चिम बंगाल के 3, असम के 2, झारखण्ड के 15 और उड़ीसा के 5 श्रमिक शामिल हैं।

 

गत 12 नवंबर को सिल्कयारा से बड़कोट तक निर्माणाधीन सुरंग में सिल्कयारा की तरफ 60 मीटर हिस्से में मलबा गिरने से सुरंग ढह गई थी। फंसे हुए 41 मजदूरों को बचाने के लिए राज्य और केंद्र सरकारों द्वारा तत्काल संसाधन जुटाए गए।

शुरूआत में सुरक्षा चिंताओं के कारण मलबे के माध्यम से 900 मिली मीटर के पाइप का चयन करने के साथ एक साथ कई बचाव विकल्पों की खोज हुई। फंसाने का क्षेत्र, जिसकी ऊंचाई 8.5 मीटर और लंबाई 2 किलोमीटर है, सुरंग का निर्मित हिस्सा है, जो उपलब्ध बिजली और पानी की आपूर्ति के साथ मजदूरों को सुरक्षा प्रदान करता था। पांच एजेंसियों-तेल और प्रकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी), सतलज जल विद्युत निगम लिमिटेड (एसजेवीएनएल) और रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल), राष्ट्रीय राजमार्ग अवसंरचना विकास निगम लिमिटेड (एनएचआईडीसीएल) और टिहरी हाइड्रो विकास निगम लिमिटेड (टीएचडीसीएल) को विशिष्ट दायित्व सौंपा गया है। ये एजेंसियां परिचालन दक्षता के लिए सामयिक कार्य समायोजन के साथ मिलकर काम कर रही थी।।

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