पाकिस्तान के साथ ही चीन भी अफगानिस्तान पर दिल्ली डायलॉग से किया किनारा
- दिल्ली डायलॉग से चीन ने बनाई दूरी, पाकिस्तान भी कर चुका है इनकार
- दो दिवसीय बैठक में भारत समेत आठ देश अफगानिस्तान पर चर्चा करेंगे
- मीटिंग में रूस, ईरान के साथ-साथ अफगानिस्तान के पड़ोसी देश शामिल होंगे
नयी दिल्ली, 9 नवंबर । अफगानिस्तान के मसले पर भारत में हो रही दिल्ली डायलॉग में चीन हिस्सा नहीं लेगा। सूत्रों के अनुसार, चीन ने इस मीटिंग में भाग नहीं लेने के बारे में सूचना विदेश मंत्रालय को दे दी है। नहीं आने के पीछे पूर्व की व्यस्तता को बताया जा रहा है। पाकिस्तान पहले ही इसमें शामिल होने से इनकार कर चुका है। वहीं भारत इस मीटिंग से पाकिस्तान को सख्त संदेश दे सकता है कि अफगानिस्तान के मसले पर ही अपना हित साधने की कोशिश नहीं करे।
दो दिवसीय मीटिंग में होगा महामंथन
10-11 नवंबर को हो रही इस मीटिंग की अध्यक्षता भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल करेंगे। इस बार मीटिंग का अहम अजेंडा अफगानिस्तान के हालात पर चर्चा करना है। विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार अब इसमें भारत सहित 8 देश भाग लेंगे। ये सारे देश अफगानिस्तान से सटे भी हैं। जिन देशों ने अपनी हामी भरी है उसमें ईरान, किर्गिजस्तान, कजाकिस्तान, रूस, तजाकिस्तान, तुर्किस्तान, उज्बेकिस्तान के प्रतिनिधि शामिल होंगे।
पीएम मोदी से भी मिलेंगे विदेशी प्रतिनिधिमंडल
एनएसए स्तर की हो रही मीटिंग में भाग लेने के अलावा इन सभी देशों की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से भी मुलाकात होनी है। साथ ही सभी देशों से दो पक्षीय बातचीत भी होगी। हालांकि एनएसए स्तर की भारत की पहल यह पहली बातचीत नहीं है। 2018 और 2019 में इस स्तर की सफल मीटिंग ईरान में हो चुकी है। तब भी पाकिस्तान उन दोनों मीटिंग में भारत की उपस्थिति के कारण शामिल नहीं हुआ था।
पाकिस्तान की मंशा पर सवाल
भारत ने पाकिस्तान के इनकार करने को दु:खद बताते हुए कहा कि उनके इस बर्ताव पर बहुत हैरानी भी नहीं है। साथ ही अफगानिस्तान के प्रति पाकिस्तान के रूख भी सामने आ गया कि वह वहां की बेहतरी नहीं चाहता है। पिछले साल कोविड के कारण भारत में यह मीटिंग नहीं हो सकी थी। विदेश मंत्रालय के अनुसार दिल्ली डॉयलाग का साझा घोषणापत्र जारी हो सकता है। अफगानिस्तान के मसले पर रूस सहित 8 पड़ोसी देशों के एक साथ आने को भारत बड़ी कूटनीतिक पहल मान रहा है। एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि दिल्ली डायलॉग से स्पष्ट संदेश चला जाएगा कि दिल्ली अफगानिस्तान मसलों पर चर्चा और उचित समाधान के लिए सबसे मान्य है।