धामी मंत्रिमंडल के विस्तार को लेकर सीमांत जिला चमोली के लोग भी लगाए हुए हैं टकटकी
-महिपाल गुसाईं-
उत्तराखंड की धामी सरकार के मंत्रिमंडल विस्तार का सीमांत चमोली जनपद में बेसब्री से इंतजार है। राजनीतिक क्षेत्रों ही नहीं, आम जनता में भी उम्मीद के लिहाज से टकटकी लगी हुई है।
हालांकि मंत्रिमंडल में कौन आएगा या कौन जायेगा, यह मुख्यमंत्री के विवेक पर निर्भर करता है, किंतु आम लोगों की दृष्टि से देखा जाए तो यह स्वाभाविक अपेक्षा रहती है कि उनके जिले को भी प्रतिनिधित्व मिले। इस दृष्टि से सीमांत चमोली जिले के लोग भी टकटकी लगाए हुए हैं।
अभी राज्य मंत्रिमंडल में चार बर्थ खाली हैं जबकि चमोली, रुद्रप्रयाग, उत्तरकाशी, हरिद्वार, बागेश्वर, नैनीताल और पिथौरागढ़ का मंत्रिमंडल में कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। पौड़ी से दो मंत्री, टिहरी से एक, अल्मोड़ा से एक, देहरादून से दो तथा उधमसिंह नगर से एक मंत्री है जबकि चंपावत का प्रतिनिधित्व खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी कर रहे हैं। बागेश्वर से चंदन राम दास राज्य मंत्रिमंडल के सदस्य थे किंतु पिछले दिनों उनके आकस्मिक निधन के बाद यह जिला भी प्रतिनिधित्व विहीन हुआ है।
इधर जब से मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चाएं शुरू हुई हैं, चमोली जिले में भी आस जगी है। जिले की तीन में से दो सीटें कर्णप्रयाग तथा थराली भाजपा के पास हैं। एकमात्र बदरीनाथ सीट कांग्रेस के पास है लेकिन वहां के पूर्व विधायक महेंद्र भट्ट को पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया जा चुका है लेकिन मंत्रिमंडल की दृष्टि से जिला चमोली अभी तक वंचित है।
इस लिहाज से लोगों की उम्मीदें बढ़ी हैं तो एक कारण यह भी मजबूत दिखता है कि जब गैरसैंण में ग्रीष्मकालीन राजधानी बन ही गई है तो जिले का मंत्रिमंडल में भी स्थान की दावेदारी बनती ही है।
राजनीतिक क्षेत्रों में चर्चा का एक कारण यह भी है कि अगले साल लोकसभा चुनाव भी होने हैं। इस लिहाज से मंत्रिमंडल की चार सीटें भर सकती हैं तो शायद चमोली जिले के नाम भी लॉटरी खुल जाए। इस उम्मीद पर सत्तारूढ़ दल राजनीति से जुड़े लोग आशान्वित हैं तो आम लोग भी टकटकी लगाए हुए हैं कि चुनावी साल के चलते उनके किसी प्रतिनिधि को मंत्रिमंडल में जगह मिल जाए। देखना यह होगा कि सीमांत जिले के लोगों की उम्मीद पूरी हो पाती है या नहीं?