वाहन चलाने के लिए पेट्रल को मिला अल्कोहल का साथ : साबित हुआ बरदान
–By Usha Rawat
गन्ना इथेनॉल एक अल्कोहल-आधारित ईंधन है जो गन्ने के रस, गुड़ और पुराने और गैर-बूढ़े ऊतकों (मार्टिंस एट अल., 2016) के किण्वन द्वारा निर्मित होता है। बायोमास को इथेनॉल में परिवर्तित करने की सामान्य विधि को किण्वन कहा जाता है। किण्वन के दौरान, सूक्ष्मजीव (उदाहरण के लिए, बैक्टीरिया और खमीर) पौधों की शर्करा का चयापचय करते हैं और इथेनॉल का उत्पादन करते हैं।गन्ने में ग्लूकोज + फ्रुक्टोज पाया जाता है। फ्रुक्टोज एक मोनोसैकराइड है। गन्ने से इथेनॉल बनाने की प्रक्रिया तब शुरू होती है जब चीनी युक्त गन्ने का रस निकालने के लिए गन्ने के डंठल को कुचल दिया जाता है। जब गन्ने के डंठल को एक्सट्रैक्टर/एक्सपेलर से गुजारा जाता है, तो गन्ने का रस इकट्ठा किया जाता है और किण्वन टैंक में पहुंचाया जाता है, जहां इथेनॉल उत्पन्न करने के लिए खमीर किण्वन प्रतिक्रिया होती है।एथेनॉल (Ethanol) एक प्रसिद्ध अल्कोहल है। इसे एथिल अल्कोहल भी कहते हैं।समें गन्ने तथा अंगूर जैसे फलों की शर्करा का मन्द गति से जल अपघटन किया जाता है। इस क्रिया को किण्वन कहते हैं। शर्करा को इन्वर्टेज एंजाइम की उपस्थिति में ग्लूकोस या फ्रेक्टोस में परिवर्तित कर देते हैं। ग्लूकोस या फ्रेक्टोस को जाइमेज एंजाइम द्वारा किण्वन किया जाता है जिससे एथेनॉल प्राप्त होता है। एसीटोबैक्टर जैविक खाद यह जैविक खाद जीवाणु एसीटोबैक्टर डाइएजोट्राफिकस से बनी है। यह जीवाणु गन्ने के अंदर रहता है और इसके सभी भागों (जड़, तना और पत्ते) में पाया जाता है। यह सामान्य फसल उत्पादन में 5-20 टन/हैक्टर और चीनी परता में 5-10 प्रतिशत की वृद्धि करता है।
जून 2022 में, भारत ने पेट्रोल में 10% इथेनॉल की औसत मिश्रण दर हासिल की। वर्तमान में, वाहन को चलाने वाले पेट्रोल में दस फीसदी एथेनॉल का उपयोग किया जाता है। फिलहाल भारत E10 – या 10% एथेनॉल की नीति पर काम कर रहा था जिस लक्ष्य को हासिल कर लिया गया है। अब सरकार का लक्ष्य 2025 तक एथेनॉल के 20 प्रतिशत सम्मिश्रण को पूर्ण रूप से हासिल करना है। 20 फीसदी एथेनॉल मिले इसी ईंधन को ही ईंधन ई20 कहते हैं।भारत में साल 2020-21 में 29 लाख टन इथेनॉल का उत्पादन किया गया है. देश में सबसे ज्यादा इथेनॉल का उत्पादन उत्तर प्रदेश में होता है, महाराष्ट्र इस मामले में दूसरे नंबर पर और कर्नाटक तीसरे नंबर पर है.
चालू वर्ष में राज्य की चीनी मिलों ने मिलकर कुल 1.6 लाख टन चीनी को एथेनॉल उत्पादन में डायवर्ट किया है। इसी वजह से इस साल एथेनॉल का उत्पादन रिकॉर्ड स्तर पर हुआ है। पिछले तीन वर्षों में एथेनॉल की कुल मांग 360.32 करोड़ लीटर थी, जबकि 247.11 करोड़ लीटर की आपूर्ति की गई है।